अमरनाथ यात्रा पर राज्यपाल का फरमानअब दर्शन केवल 39 दिनलीगी सोच की सरकार की शह पर घटाई गई अमरनाथ यात्रा की अवधि
दिंनाक: 09 Jun 2012 14:30:52
भारत के मुकुट जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर शहर से 125 किमी दूर हिमालय की बफर्ीली चोटियों के बीच 13,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव का अदभुत हिमलिंग बाबा अमरनाथ के नाम से विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह सिर्फ करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरो कर रखने का एक प्रमुख आधार स्तंभ भी है। भारत तो क्या विश्व का शायद ही कोई कोना ऐसा होगा जहां से हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने न आते हों। इस यात्रा से जहां बाबा के भक्त अपनी मन मांगी मुराद पूरी करते हैं वहीं कश्मीर क्षेत्र में रहने वाली जनता (अधिकांश कश्मीरी मुसलमान) इससे वर्ष भर की अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं। इतना ही नहीं, वहां की अर्थव्यवस्था का आधार पर्यटन है जिसको बढ़ावा देने हेतु सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है, किन्तु इस दो महीने की यात्रा से उसे बैठे बिठाये लाखों पर्यटक मिल जाते हैं जिससे बहुत बड़ी राशि राज्य कोष में जमा होती है।
अत्यंत दुर्गम रास्ता, खराब मौसम और आतंकवादियों की धमकियों व हमलों के चलते यात्रा में अनेक बार व्यवधान पड़ता रहा है। अलगाववादियों के इशारों पर चलने वाले राजनेता तथा कुछ विघटनकारी तत्व इस पवित्र यात्रा को समाप्त करने के तरह-तरह के षड्यंत्र रचते रहते हैं। कभी खराब मौसम का बहाना, कभी आतंकवादियों की धमकी, कभी व्यवस्था का प्रश्न तो कभी आस्था पर हमला। बस यूं ही चलता रहता है इसे सीमित दायरे में बांधने या इसे समाप्त करने का कुत्सित प्रयास। गत अनेक वर्षों से इस यात्रा को ज्येष्ठ पूर्णिमा से प्रारंभ कर श्रावण पूर्णिमा (रक्षा बन्धन) के दिन पूर्ण किया जाता रहा है। हर साल बाबा का दर्शन पाने के अभिलाषियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
गत वर्ष यह आंकड़ा 8 लाख को पार कर गया था। यात्रा का समय चाहे पूरा हो गया था, किन्तु भक्तों का जोश बढ़ता ही जाता था। बाबा के भक्तों का यह आंकड़ा इस बार भी किसी कीर्तिमान से कम नहीं दिख रहा है। इस सबके बावजूद इस वर्ष की यात्रा अवधि को मनमाने तरीके से घटाकर 39 दिन कर दिया गया है, जिसे किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता है। इस संदर्भ में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) द्वारा बुलाई गई प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विहिप के केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि गत शताब्दी के अन्त में इस यात्रा के दौरान हुए एक हादसे के बाद एक आयोग का गठन किया गया था जिसने अपनी रपट में कहा कि वर्तमान व्यवस्था के हिसाब से वहां एक दिन में 10 हजार से अधिक यात्रियों को दर्शन नहीं कराये जाने चाहिए। साथ ही यात्रियों की सुविधा हेतु समुचित प्रबन्ध भी आवश्यक हैं। इस हिसाब से भी यदि यह यात्रा 39 दिन तक चलती है तो अधिकाधिक 4 लाख भक्त ही दर्शन कर पायेंगे। इससे न सिर्फ 5 लाख से अधिक भक्त बाबा के दर्शन से वंचित रह जाएंगे बल्कि राज्य सरकार व वहां की जनता की रोजी-रोटी पर भी असर पड़ेगा।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विहिप के अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने तीखे शब्दों में पूछा कि जब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री यात्रा को पूरे दो महीने रखने को राजी होकर सुरक्षा देने पर सहमत हैं तो राज्यपाल श्री एन.एन. वोहरा क्यों इस यात्रा को डेढ़ माह तक सीमित कर रहे हैं? राज्यपाल के हिन्दू विरोधी रवैये पर उन्होंने कहा कि बाबा अमरनाथ की जमीन भी हमसे छीनी गई थी जिसे हिन्दुओं ने दो माह तक संघर्ष कर वापस लिया। हमने घोषणा कर दी है कि यह यात्रा पूर्व की तरह ज्येष्ठ पूर्णिमा (4 जून, 2012) से ही प्रारंभ होगी, जिसे रोकने का यदि किसी ने प्रयास किया तो हम देश भर में लोकतांत्रिक तरीके से व्यापक आंदोलन चलायेंगे।
इसमें संदेह नहीं कि देश की एकता, अखण्डता, धार्मिक आस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस यात्रा को प्रोत्साहित किया जाना अत्यंत जरूरी है। वैसे भी, जहां एक ओर हमारी केन्द्र व राज्य सरकारें हर राज्य में जगह-जगह हज यात्रा हेतु हज हाउस बना कर करोड़ों रुपए की हज सब्सिडी दे रही हैं तो क्या हिन्दुओं को अपने ही देश में स्वयं के ही पैसे से, बिना किसी सरकारी सहायता के अपने आराध्य के दर्शनों की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए? दूसरी बात यह कि क्या ईद व क्रिसमस जैसे त्योहारों की तिथि कोई राज्यपाल तय करता है, जो जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल हिन्दुओं की इस पवित्र यात्रा की तिथि तय कर रहे हैं? हां! श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष के नाते यात्रा के सुचारू रूप से चलने हेतु जो प्रबन्ध आवश्यक हैं, वे उन्हें करने चाहिए, किन्तु यात्रा की अवधि तो संत समाज व हिन्दू संस्थाएं ही तय कर सकती हैं।
यात्राअवधिघटानेकेविरोधमेंजम्मूमेंउबाल
अमरनाथश्राइन बोर्ड द्वारा इस वर्ष की यात्रा को दो माह की बजाय 39 दिनों तक सीमित कर 25 जून से प्रारंभ करने के निर्णय पर विश्व हिन्दू परिषद ने कड़ा ऐतराज जताते हुए शिवभक्तों का आह्वान किया था कि वे 2 जून को जम्मू पहुंचंे और 3 जून को यात्रा पर जाने वाले पहले जत्थे में शामिल हों। इसके साथ ही राज्य के छह स्थानों से इसी दिन यात्रा शुरू करने का निर्णय भी हुआ। यात्रा में भाग लेने के लिए हजारों शिवभक्त जम्मू पहुंचे, जिसके चलते जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यात्रा को असफल बनाने के लिए कूटनीतिक चालें चलनी शुरू कर दीं। जिन सामाजिक व धार्मिक संस्थानों में यात्री ठहरे उनके पदाधिकारियों को यात्रियों को न ठहराने की धमकी दी गई। जब इससे भी बात नहीं बनी तो प्रशासन के इशारे पर इन भवनों में बिजली-पानी की आपूर्ति ठप्प की गई। जिन बसों से यात्रियों ने यात्रा शुरू करनी थी, उनके मालिकों को धमकाया गया कि यात्रा पर जाने वाली बसों के परमिट रद्द कर दिए जाएंगे। विश्व हिन्दू परिषद ने निजी छोटे वाहनों में यात्रा प्रारंभ करने का निर्णय लिया और तय कार्यक्रम के अनुसार सभी शिवभक्त 3 जून को परेड़ की ब्राह्मण सभा के सामने एकत्र हुए, यहां से पहला जत्था रवाना होना था। अमरनाथ यात्रियों के पहले जत्थे का नेतृत्व करने के लिए प्रसिद्ध संत बाबा राधे-राधे भी जम्मू पहुंचे।
पुलिस ने इन हजारों शिवभक्तों को अमरनाथ यात्रा पर जाने की इजाजत नहीं दी। इस बीच शिवभक्तों व पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। 'बम-बम भोले, 'लाठी-गोली खाएंगे-अमरनाथ जाएंगे' के नारे लगाते हुए आगे बढ़ते शिवभक्तों को पुलिस ने चारों ओर से घेर लिया। माहौल खराब होते देख पुलिस ने सभी अमरनाथ यात्रियों को गिरफ्तार कर लिया और बसों में बिठा कर यात्री निवास ले जाया गया।
इससे पूर्व हजारों शिवभक्तों का स्वागत करते हुए बाबा राधे-राधे ने कहा कि श्रीअमरनाथ यात्रा को श्राइन बोर्ड ने जानबूझकर 25 जून को शुरू करने का निर्णय लिया, ताकि देशद्रोही अलगाववादियों को खुश किया जा सके। उन्होंने कहा कि श्राइन बोर्ड रास्ता खराब होने का बहाना बनाकर शिवभक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहा है। परपंरा के अनुसार बाबा भोलेनाथ की यात्रा ज्येष्ठ पूर्णिमा को आरंभ होनी चाहिए जिसके लिए आज हजारों शिवभक्त यहां पहुंचे हैं।
इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता डा. सुरेन्द्र जैन ने अमरनाथ यात्रियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि यात्रा हर हाल में इसी दिन प्रारंभ होगी। अमरनाथ श्राइन बोर्ड व प्रशासन को हिन्दुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। बोर्ड जानबूझकर इस यात्रा को सीमित करने का षड्यंत्र रच रहा है जिसमें जम्मू-कश्मीर का प्रशासन भी उसका साथ दे रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अप्रैल माह में यात्री अमरनाथ पहुंच सकते हैं तो फिर 3 जून को क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि इस वर्ष कुछ यात्री अप्रैल माह में अमरनाथ पहुंचे और ताजा तस्वीरें लेकर आए जो इस बात का पक्का प्रमाण है कि अमरनाथ यात्रा ज्येष्ठ पूर्णिमा से प्रारंभ करने में कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रशासन और बोर्ड को शिवभक्तों के जाने की व्यवस्था करनी चाहिए न कि उन्हें प्रताड़ित करना चाहिए।
डा. जैन ने कहा कि अमरनाथ श्राइन बोर्ड और जम्मू-कश्मीर प्रशासन अमरनाथ यात्रा के मार्ग की सफाई और मौसम का बहाना बनाकर शिवभक्तों और देश की जनता के साथ धोखाधड़ी कर भ्रमित करने का असफल प्रयास कर रहे हैं। बोर्ड हेलिकॉप्टर से लिए गए पुराने चित्र दिखाकर यह सिद्ध करने का असफल प्रयास कर रहा है कि इस पावन यात्रा के लिए अभी कोई भी मार्ग उपयुक्त नहीं है।
इस दिन कठुआ में 500, साम्बा में 500, जम्मू में 1000, उधमपुर में 200, राजौरी में 150, सुन्दरबनी में 200 व बालटाल से 5 शिवभक्तों को गिरफ्तार किया गया, जिसके विरोध में शिवभक्तों ने साम्बा में 2 घंटे, कठुआ में 2 घंटे, राजौरी में 2 घंटे व सुन्दरबनी में 3 घंटे चक्का जाम रखा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा यानी 4 जून को भी शिवभक्तों ने अमरनाथ यात्रा पर जाने का प्रयास किया, परन्तु पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। इस जत्थे में भाजपा सांसद जे.पी. नड्डा व सांसद तरुण विजय सहित सैकड़ों शिवभक्तों ने गिरफ्तारियां दीं और विरोध स्वरूप श्राइन बोर्ड का पुतला जलाया। इस जत्थे का नेतृत्व करने वाले संत केशवानंद महाराज व दिव्यानंद महाराज इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित थे। संत केशवानंद ने श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष व राज्यपाल पर इस यात्रा को जानबूझकर देर से शुरू करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हर वर्ष यात्रा पर विवाद खड़ा किया जाता है ताकि जम्मू-कश्मीर आने वाले यात्रियों की संख्या को कम किया जा सके।
5 जून को भी शिवभक्तों ने ब्राह्मण सभा के बाहर एकत्र होकर अमरनाथ यात्रा पर जाने का प्रयास किया। विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता व मंत्री डा. सुरेन्द्र जैन, प्रदेश अध्यक्ष डा. रमाकांत दुबे, यात्री न्यास के अध्यक्ष सुरेन्द्र अग्रवाल सहित अनेक शिवभक्तों ने गिरफ्तारियां दीं।जम्मू से बलवान सिंह
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