उत्तराखण्ड में सक्रिय हैंबाघों के हत्यारे-दिनेश
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

उत्तराखण्ड में सक्रिय हैंबाघों के हत्यारे-दिनेश

by
Jun 30, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 30 Jun 2012 15:02:07

खबर ये भी है कि उत्तराखंड में नामी– गिरामी बाघ तस्करों की मौजूदगी है और इनके साथ नेपाल, तिब्बत के गिरोह भी काम कर रहे हैं। नेपाल सीमा से लगे धारचूला, टनकपुर में कुछ बाघ तस्करों को सी बी आई टीम ने गिरफ्तार भी किया है। बाघों की खालों और हड्डियों का सबसे बड़ा खरीददार चीन है, और वहां तक माल नेपाल के रास्ते ही जाता है।

जिस तरह सरिस्का के जंगल, बाघों के लिए कब्रग्राह बन गए, अब वैसे ही हालात उत्तराखंड में भी पैदा हो रहे हैं। बाघों का घर माने जाते जिम कॉर्बेट पार्क से लगे जंगलों में बाघों की अच्छी संख्या है, जिन्हें शिकारी मार रहे हैं। पिछले एक साल से प्राय: हर माह एक बाघ का शव संदिग्ध हालात में मिल रहा है। बाघों के मारे जाने के प्रमाण भी मिल रहे हैं। हाल ही में कॉर्बेट पार्क से लगे सेना के हेमपुर डिपो के जंगल में लगी आग से बाघिन के चार बच्चों की मौत से भी बाघों की सुरक्षा पर नए सवाल उठ खड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री से लेकर हर किसी को इसकी चिंता तो है कि कहीं देश में बाघ खत्म न हो जाएं, लेकिन बाघों पर फिर भी संकट छाया है। 2011 में हुई बाघों की गिनती 1700 से कुछ ज्यादा ही थी, जिनमें 227 बाघ उत्तराखंड में बताये गए थे। जिम कॉर्बेट पार्क में करीब 175 बाघ देखे गए थे। कॉर्बेट से लगे जंगलों में 22 बाघों की मौजूदगी बताई गयी थी। इसके बाद बाघों के शिकारियों ने उत्तराखंड का रुख कर लिया। जिम कॉर्बेट पार्क से लगे जंगलों में 2011 से अब तक 8 बाघ मारे जा चुके हैं। ये वे बाघ हैं जो जहर देकर या लाठी-भालों से मार डाले गए, और जिनकी लाश बरामद हुई। बहुत से ऐसे बाघ भी थे जोकि शिकारियों ने मार डाले पर नजर में नहीं आये। कॉर्बेट पार्क से लगे उ.प्र. के बिजनौर जिले की पुलिस ने कुछ महीने पहले बाघों के शिकारियों को बाघों की खाल समेत हिरासत में लिया था। पूछताछ में इस गिरोह ने चौकाने वाली बात कही कि हर साल उत्तराखंड में करीब 40 बाघ उनका गिरोह मारता है। शिकारियों के इस कबूलनामे पर उत्तराखंड वन विभाग चुप है। कॉर्बेट पार्क प्रशासन भी ये कह कर अपना पल्ला झाड़ लेता है कि बाघ कॉर्बेट में नहीं मर रहे, बल्कि कॉर्बेट की सीमा से बाहर मर रहे हैं। हालांकि दो मामले ऐसे भी सामने आये हैं जिनमें कॉर्बेट पार्क के भीतर बाघों को जहर देकर मारा गया।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण हर साल जिम कॉर्बेट पार्क को एक बाघ की सुरक्षा के लिए 2 लाख रुपये देता है। तीन करोड़ से ज्यादा का बजट यहां केन्द्र सरकार देती है और करीब 50 लाख रु. राज्य सरकार देती है। पर हैरानी की बात ये है कॉर्बेट पार्क से लगे जंगलों के लिए कोई पैसा नहीं दिया जाता, जबकि यहां 22 बाघ मौजूद थे, जोकि किसी दूसरे राज्य के जंगलों से ज्यादा थे। सुरक्षा खामियों और बाघ संरक्षण प्राधिकरण की अटपटी नीतियों के चलते यहां बाघों को मारने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

शिकारी और पशुपालक

जब किसी गांव में बाघ द्वारा कोई पशु मारा जाता है, तो शिकारी उस पशु के मालिक को प्रलोभन देता है कि वह इसकी जानकारी वन विभाग को न देकर उसे दे। इसके बदले पशु पालक को शिकारी द्वारा 10-20 हजार रु. दिए जाते हैं, जबकि सरकार केवल चार हजार रु. मुआवजा देती है। और ये पैसा भी छह महीने से पहले नहीं मिल पाता। ऐसे में गांव वाले शिकारियों या खाल तस्करों के करीब होते जा रहे हैं। शिकारी बाघ के शिकार पर जहर डाल देते हैं। बाघ एक बार में अपना शिकार नहीं खाता वो दोबारा मांस खाने आता है और शिकारी के जहर का शिकार हो जाता है। कुछ बेहोशी की हालत में चले जाते हैं, जिन्हें शिकारी लाठी-भाले से पीट-पीट कर मार डालते हैं। कॉर्बेट पार्क से लगे रामनगर शहर के पशु चिकित्सक डा. राजीव सिंह, जो मरे हुए बाघों का अन्त्यपरीक्षण करते हैं, बताते हैं कि बाघों को मारा जा रहा है, ऐसे उनके लक्षण बता रहे हैं। और ये बात बाघों की बिसरा रिपोर्ट से भी जाहिर हो चुकी है। ये जानकारी वन विभाग को भी है। इसके बावजूद सब खामोश क्यों हैं? यह एक बड़ा सवाल है। जून महीने में कॉर्बेट पार्क से लगे हेमपुर डिपो, जोकि सेना का जंगल एरिया है, में लगी जंगल की आग में बाघ के चार बच्चे जल कर मर गए। पहले तो सेना के अधिकारियों ने एक बच्चे के मारे जाने की बात कही। जब गांव वालों ने शोर मचाया तो वन विभाग ने अपनी मौजूदगी में बाघ के तीन बच्चों को जमीन से निकलवाया, जिन्हें सेना के जवानों ने मिट्टी में दबा दिया था। वन विभाग ने सेना अधिकारियों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया है। बाघों के शव मिलने पर वन विभाग के अधिकारी अपनी कमी छुपाने के लिए एक ही बात कहते हैं कि आपसी संघर्ष में बाघ की मौत हुई है। उनका ये बयान बाघों के तस्करों के काम को और आसान करता है। कॉर्बेट पार्क से सटे जंगलों में, जोकि तराई पश्चिम, रामनगर फोरेस्ट और हल्द्वानी फोरेस्ट कहलाता है, इसे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एन.टी.सी.ए.) टाइगर लैंड एस्केप कहता हैं। यह पार्क बाघों के तेजी से बढ़ने का खुद प्रमाण भी देता है। देश में जहां 2011 में बाघों की गिनती में 22 फीसदी का इजाफा बताया गया था, वहीं इन जंगलों में 33 फीसदी बाघ बढ़े हैं। बाघों का अपना इलाका होता है। बाघ के जवान होते ही वे उम्र-दराज बाघ को इलाके से खदेड़ देते हैं। जानकार मानते हैं इस वजह से कॉर्बेट से बाघ पास के जंगलों की तरफ रुख कर रहे हैं। इन्हीं बाघों की फिराक में शिकारी लगे रहते हैं। और एक जानकारी उत्तराखंड के बाघों के बारे में मिली है कि यहां पिछले 11 साल में 72 बाघों की मौत वन विभाग में दर्ज की गयी। इनकी मौत कैसे हुई? कारण जानने के लिए बाघों का बिसरा आई वी आर आई बरेली भेजा गया था , जिन में से 51 का बिसरा खराब हालात में भेजा गया और बाघों की मौत की वजह पता नहीं चल पाई। इन में ज्यादा मामले जिम कॉर्बेट पार्क के हैं। बाघों की मौत पर कॉर्बेट प्रशासन या वन विभाग पर्दा डाल रहा है। कई बार ऐसा भी हुआ कि बाघों के शव दो महीने से जंगलों में पड़े रहे, और जब बरामद हुए तो ऐसे हालात में कि अन्त्यपरीक्षण करना भी मुश्किल हो जाये। बात गले नहीं उतरती कि कॉर्बेट प्रशासन को मरे बाघ के बारे में भी एक महीने तक न पता चले।

कागजों पर निगरानी

जानकार मानते हैं कि बाघों की मौत को छुपाने के लिए पार्क प्रशासन और वन विभाग के लोग ऐसे पैंतरे आजमाते हैं कि उनकी मौत की खबर और कारण दोनों जंगल में ही दफन हो जायें। कॉर्बेट इलाके में बाघों के संरक्षण के लिए काम कर रही गैर सरकारी संस्था कॉर्बेट फाउण्डेशन के डा. एस. बर्गली कहते हैं, कॉर्बेट और उसके आस-पास बाघ के संरक्षण और निगरानी केवल कागजों पर ही है, मुआवजे की कोई नीति नहीं है। जो लोग बाघों से प्यार करते थे वे गांव वाले पैसे के लालच में शिकारियों की तरफ जा चुके हैं। जंगलों से वन गूजर भगा दिए गए। इससे बाघ तस्करों का काम और आसान हो गया। जून महीने में ही कॉर्बेट और उसके साथ लगे जंगल में तीन बाघों की संदिग्ध मौत हुई। बाद में इस इलाके से दरिया शिकारी गिरोह के तीन सदस्य भी वन विभाग ने पकड़े। बाघों के लिए प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों से अपने यहां बाघ संरक्षण बल (टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स) बनाने का आग्रह किया था। उत्तराखंड की निशंक सरकार ने इसकी मंजूरी भी दे दी थी। पर आज तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है। खबर ये भी है कि उत्तराखंड में नामी- गिरामी बाघ तस्करों की मौजूदगी है और इनके साथ नेपाल, तिब्बत के गिरोह भी काम कर रहे हैं। नेपाल सीमा से लगे धारचूला, टनकपुर में कुछ बाघ तस्करों को सी बी आई टीम ने गिरफ्तार भी किया है। बाघों की खालों और हड्डियों का सबसे बड़ा खरीददार चीन है, और वहां तक माल नेपाल के रास्ते ही जाता है।

एन टी सी ए ,बाघों को बचाने के लिए कुछ अच्छे काम भी कर रही है। जैसे जंगल की सीमाओं पर बाघों की निगरानी के लिए कैमरा लगाना, उनकी आवाजाही पर निगरानी रखना, जैसी योजनाओं के अच्छे परिणाम सामने आये हैं। इन कैमरों में कई बार शिकारी भी दिखाई दे चुके हैं। दिलचस्प बात ये है कि कॉर्बेट पार्क के जंगलों में लगे 8 कैमरे चोरी हो गए, पार्क प्रशासन सोता रहा, इन कैमरों से किसको खतरा था? या तो बाघ तस्करों को या फिर जंगल माफिया को , या फिर वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को। .कैमरे कौन ले गया? अब पुलिस जांच कर रही है ,कॉर्बेट पार्क के म्यूजियम से हाथी के बेश- कीमती दांत चोरी हो जाते हैं, पार्क प्रशासन सोया रहता है। ये कुछ वाकये हैं जोकि उत्तराखंड में बाघों की सुरक्षा पर सवाल उठाते हैं।

जीवनशाला

जीवन अमूल्य है। दुर्गुण और कुसंस्कार या गलत आदतें जीवन में ऐसी दुर्गंध  उत्पन्न कर देती हैं कि हर कोई उस व्यक्ति से बचना चाहता है। जीवन को लगातार गुणों और संस्कारों से संवारना पड़ता है, तभी वह सबका प्रिय और प्रेरक बनता है। यहां हम इस स्तंभ में शिष्टाचार की कुछ छोटी–छोटी बातें बताएंगे जो आपके दैनिक जीवन में सुगंध बिखेर सकती हैं–

बोलते समय किसी तरह की जल्दबाजी या हड़बड़ी न दिखाएं। हर शब्द का साफ और स्पष्ट उच्चारण करें।

दूसरों के बोलते समय उन्हें ध्यानपूर्वक सुनें।

जब भी सामने वाला अपनी बात कहते–कहते रुके, अटके या हिचकिचाए तो तुरंत उसे अपनी बात पूरी करने में मदद न करने लगें और न ही उसके मुंह में शब्द डालने की कोशिश करें।

पूरी बातचीत पर अपना एकाधिकार जमाने की बजाय हर व्यक्ति को बोलने का मौका दें।

हर व्यक्ति को अपनी बात रखने या कहने का मौका दें और निर्णायकों या अधिकारियों के फैसले का सम्मान करें।

आपको किसी सार्वजनिक मंच पर बोलने का मौका मिले तो अपने वक्तव्य को निर्धारित समय से ज्यादा खींचने की कोशिश न करें। साथ ही, दूसरों पर अपना नजरिया थोपने की कोशिश न करें।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

पाकिस्तान के साथ युद्धविराम: भारत के लिए सैन्य और नैतिक जीत

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

पाकिस्तान के साथ युद्धविराम: भारत के लिए सैन्य और नैतिक जीत

Indian DRDO developing Brahmos NG

भारत का ब्रम्हास्त्र ‘Brahmos NG’ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल अब नए अवतार में, पांच गुणा अधिक मारक क्षमता

Peaceful Enviornment after ceasfire between India Pakistan

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आज क्या हैं हालात, जानें ?

Virender Sehwag Pakistan ceasfire violation

‘कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है’, पाकिस्तान पर क्यों भड़के वीरेंद्र सहवाग?

Operation sindoor

Operation Sindoor: 4 दिन में ही घुटने पर आ गया पाकिस्तान, जबकि भारत ने तो अच्छे से शुरू भी नहीं किया

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies