|
अत्यन्त सरल, पेशे से वकील, उत्तराखण्ड विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय भट्ट रानीखेत से विधायक हैं। उन्होंने राज्य की जनता के हितों के लिये हमेशा से ही संघर्ष किया है। राज्य में कांग्रेस सरकार की विफलता व राजनीतिक परिस्थितियों के संदर्भ में अजय भट्ट से पाञ्चजन्य ने बातचीत की। यहां प्रस्तुत हैं उस बातचीत के मुख्य अंश–
प्रदेश में विधायकों की खुलेआम खरीद–फरोख्त हो रही है, आप क्या कहेंगे?
कांग्रेस की परम्परा ही खरीद-फरोख्त की रही है। धन का लालच देकर उन्होंने पहले भी अन्य राज्यों में यही काम किया है। दस करोड़ रुपए देकर एक भाजपा विधायक (किरन मण्डल) को कांग्रेस ने खरीदा है। इस पूरे प्रकरण पर किरन मण्डल के एक पारिवारिक सदस्य ने हमें एक सीडी भी सौंपी है, जिसमें साफ-साफ खरीद-फरोख्त का खुलासा किया गया है। भारतीय जनता पार्टी किरन मण्डल की खरीद के खुलासे को चुनावी मुद्दा बनायेगी, क्षेत्र की जनता उसका जवाब देगी। कांग्रेस का इतिहास बताता है कि उसके नेता सत्ता के लिये कुछ भी कर सकते हैं। जबकि भारतीय जनता पार्टी कुचक्रों के सहारे सत्ता हथियाने में जरा भी विश्वास नहीं रखती है।
सितारगंज उपचुनाव को लेकर क्या तैयारियां हैं?
सितारगंज उपचुनाव के लिये भारतीय जनता पार्टी एकजुट होकर कार्य कर रही है। खरीद-फरोख्त प्रकरण को हमने चुनावी मुद्दा बनाया है। निश्चित तौर पर हमारे प्रत्याशी प्रकाश पंत विजयी पताका फहरायेंगे।
भाजपा सरकार के समय में जो जनहित की योजनाएं प्रदेश में लागू की गई थीं, कांग्रेस सरकार ने उन्हें उलट दिया है, ऐसा क्यों?
कांग्रेस का तीन माह का कार्यकाल बेहद निराशाजनक रहा है। कांग्रेस के विधायक मानने को तैयार ही नहीं हैं कि बहुगुणा उनके मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस सरकार के मंत्री ही सरकार के विरुद्ध बयान दे रहे हैं। पिछली भाजपा सरकार ने जनता की भलाई की अनेक योजनायें चलायीं थीं, कांग्रेस ने वे सब बंद कर दी हैं। इनमें दीनदयाल आवास योजना और अटल खाद्यान्न योजना गरीबों के लिये थी। पिछली भाजपा सरकार ने लोकायुक्त कानून बनाया था, उसे भी कांग्रेस ने खत्म कर दिया है। राज्य के कर्मचारियों के लिये स्थानान्तरण नीति बनाने वाला पहला राज्य उत्तराखण्ड था, उसे भी कांग्रेस सरकार ने खत्म कर दिया। प्रदेश में कानून व्यवस्था की समस्या को लेकर भाजपा सरकार ने 74 थाने खुलवाये थे, उन्हे भी बंद करने का आदेश कांग्रेस सरकार ने दिया है।
विपक्ष का नेता नियुक्त होने के बाद आपने जनहित के किन प्रमुख मुद्दों को सदन में उठाया?
जब हम सत्ता में थे और कांग्रेस विपक्ष में थी तो कांग्रेस के नेता बजट सत्र में हंगामा करके चले जाते थे। इस बार पांच साल में पहली बार बजट को लेकर विधानसभा में बहस हुई। एक अच्छी परम्परा की शुरुआत हुई है। बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा एवं रोजगार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सरकार निरुत्तर रही। जंगल की आग से वन्य जीव जन्तुओं की सुरक्षा, बाघों का शिकार करने को लेकर कार्बेट पार्क में घुस आये अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह, महंगाई के मुद्दों को प्रमुखता से सदन में रखा गया। सदन में सरकार के मंत्रियों के उत्तर स्थगित होते रहे। सदन में सवाल स्थगित होने का मतलब है मंत्री नाकाम हैं, उनका ध्यान विकास कार्यों को छोड़ कहीं और है। सरकार चाहती थी कि सदन न चले, हमने सदन चलाया। कुछ निजी संस्थानों को विश्वविद्यालय का दर्जा देने के लिये सरकार ने 24 घंटे के भीतर दो बार कैबिनेट की बैठक बुला ली। इन विश्वविद्यालयों को 'डीम्ड यूनिवर्सिटी' का दर्जा देने के लिये पैसों का लेन-देन हुआ, हमने इसका पुरजोर विरोध किया है।
टिप्पणियाँ