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गवाक्ष
एकअम्लानसुमनकाअवसान
शिवओमअम्बर
कानपुरसेसबसेपहलेकमलेशद्विवेदीनेदूरभाषपरसूचनादी, फिरश्मशान–स्थलसेअंसारकम्बरीऔरप्रमोदतिवारीनेसूचितकिया–सुमनजीनहींरहे।वाचिककविताकेमंचपरएकलम्बेअरसेतकराष्ट्रवादकेउद्घोषकेपर्यायरहेकविवरसुमनदुबेइधरएकान्त–साधनाकोसमर्पितथे।मंचोंकेवर्तमानपरिदृश्यसेउन्हेंविरक्तिहोगईथी।आजमंचपरवीररसकेझिलमिलातेसितारेभारतमाताकीवन्दनाकाएकगीतपढ़करदूसरीरचनासुनानेसेपहलेचारफूहड़चुटकुलेभीसुनातेहैंऔरअपने–आपकोसाहित्यिकताकासंरक्षककहनेवालेप्रथमपंक्तिमेंबैठेमहानुभावइसशील–हरणकेदृश्यपरअट्टाहसकरआनन्दितहोतेदीखतेहैं।सुमनजीकेलियेइसकुत्साकोसहपानाअसह्यहोगयाथा, अत: वहनेपथ्यमेंचलेगये।
मुझेअपनेकाव्य–जीवनकेप्रारम्भिकवर्षोंमेंसुमनजीकापर्याप्तसान्निध्य, स्नेहऔरसंरक्षणमिला।उससमयकानपुरकेसाहित्य–समाजमेंकविवरधर्मपालअवस्थी, सुमनदुबेऔरशिवकुमारसिंहकुंवरकीत्रयीप्रख्यातथी।लगभगअधिकांशमहत्वपूर्णआयोजनोंमेंइनकीउपस्थितिकविताकोऊंचाइयोंकाउपहारतथानईपीढ़ीकोआचरणकेसंस्कारप्रदानकरतीथी।इनकेपासजातेहीयुवावर्गकोआश्वस्तिकीएकछाया, उत्साहकाएकआलोकवृत्तऔरउत्प्ररेणाकाएकअदृश्यतत्वअनुभूतहोनेलगताथा।कविताकावाचिकमंचजन–संवादकाएकविराट्अवसरतथाशब्दकीशक्तिकेसकारात्मकप्रयोगकाएकअनुष्ठान–स्थलहै – ऐसाउन्होंनेहमेंपुन:-पुन: समझायाऔरसिद्धकरकेदिखायाथा।जहांभीकिसीप्रतिभाकेअंकुरकोउभरतादेखतेथे, येलोगआपसमेंचर्चाकरतेऔरउसेअभिसिंचितकरनेकाप्रयासकरते, फिरउसेपल्लवितऔरपुष्पितहोतेदेखकरसन्तोषकाअनुभवकरते।……….. सुमनजीकाप्रभावीव्यक्तित्वउनकेकाव्य–पाठको<span style="font-size: 14.5pt; font-family: 'Mangal','serif'; mso-fareast-font-family: Calibri; m
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