सुजलाम्-सुफलाम् गुजरात
May 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सुजलाम्-सुफलाम् गुजरात

by
May 28, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

सुजलाम्-सुफलाम् गुजरात

दिंनाक: 28 May 2012 14:34:38

गुजरात सरकार ने सहभागी जल संचय योजना के नाम से एक योजना शुरू की है, जो लोगों की सहभागिता पर आधारित है। वर्ष 2001 में किसानों और लाभार्थियों के साथ विस्तृत चर्चा के पश्चात यह योजना शुरू की गई। शुरू में गैरजनजातीय क्षेत्र में 60:40 (सरकार:लाभार्थी) के वित्तीय योगदान से यह योजना प्रारंभ की गई थी, जबकि जनजातीय क्षेत्रों में यह 80:20 के अनुपात में थी। इस योजना के लिए लाभार्थियों से अत्यधिक प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। पूरे राज्य में सरदार पटेल सहभागी जल संचय योजना का चौथा चरण 1 अप्रैल, 2005 को वित्तीय योगदान 80:20 के (सरकार:लाभार्थी) अनुपात से शुरू हुआ। इस योजना और अन्य योजनाओं के अन्तर्गत जल संसाधन विभाग द्वारा 80,355 चैक बांधों का निर्माण किया गया है।

परियोजना के लाभ तथा प्रभाव

खरीफ सिंचाई के लिए सहायता मिलती है, रवि की सिंचाई भी संभव है।

भूजल जलाशय में अतिरिक्त मानसून अप्रवाह (रन आफ) संरक्षण एवं लाभ प्राप्त करना।

अतिरिक्त और अत्यधिक शोषित क्षेत्र में उर्जा उपभोग में कमी के कारण तालाबों एवं कुंओं के जलस्तर की बढ़ोतरी।

वर्तमान भूजल ढांचों की वहनीयता।

सिंचाई के लिए अतिरिक्त जल की उपलब्धता के कारण फसल उपजाने के तरीकों में परिवर्तन।

मिट्टी की नमी में बढ़ोतरी और हरे पेड़-पौधों में वृद्धि।

अप्रत्यक्ष लाभ, जैसे मिट्टी क्षरण में वृद्धि और किसानों की सामाजिक आर्थिक दशाओं में सुधार।

विश्वभर में प्रशंसा

गुजरात सरकार की इस परियोजना को दिल्ली से प्रकाशित एक अग्रणी साप्ताहिक पत्रिका ने सूचीबद्ध किया और भारतीय गर्व के 95 विषयों की सूची में प्रकाशित किया।

जोहानिसबर्ग की आर्थिक शिखर वार्ता में गुजरात के चैक बांधों ने आयोजकों का ध्यान आकृष्ट किया था।

आईआईएम (अमदाबाद) ने इस कार्यक्रम के परिणामों की प्रशंसा की और सरकार से कहा कि इसे जारी रखे।

योजना आयोग ने गुजरात को उनके चैक बांधों के लिए बधाई दी।

सुजलाम्–सुफलाम् योजना

जल की कमी वाला राज्य होने के कारण उत्तर गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में जल की उपलब्धता बहुत सीमित है। वर्षा अनियमित और अपर्याप्त है। इन क्षेत्रों को बार-बार सूखे के लिए जाना जाता है और वे अक्सर पानी की कमी का सामना करते हैं। लगभग 1600 किमी. की लंबी समुद्री रेखा के कारण खारेपन का प्रवेश गुणवत्ता समस्या को और बढ़ा देता है। इससे अत्यधिक फ्लोराइड, नाइट्रेट और बैकिसनेश की जल में बहुलता हो जाती है। राज्य सरकार ने उत्तर गुजरात, मध्य गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ के सूखे व खारे जल वाले जिलों की पहचान की है, जिन्हें सुजलाम्- सुफलाम् योजना में शामिल किया गया है। ये जिले हैं-अमदाबाद, पाटण, बनासकांठा, गांधीनगर, महेसाणा, साबरकांठा, दाहोद, पंचमहाल, सुरेन्द्रनगर और कच्छ। कम जल संचय वाले इस क्षेत्र के लिए राज्य ने एक बहु कांटेदार रणनीति अपनाई है, अर्थात जल प्रबंधन के वृहद और लघु दोनों स्तर पर अलग-अलग नीति। इस योजना में एक ओर सरदार सरोवर और अन्य जलाशयों से जल उपलब्ध कराया जाता है, और दूसरी ओर अधिकतम लाभ ग्रहण करने के लिए जल की प्रत्येक बूंद का संग्रह, भंडारण और पुनर्प्रयोग करने का प्रयास किया जा रहा है। समुदाय द्वारा संचालित वर्षा जल संग्रह (चैक बांध) के रूप में एकत्रित करके राज्य ने तालाबों इत्यादि को गहरा करके उच्च लाभांश प्रदान किया है। इस कार्य और खारापन प्रवेश रोक से संबंधित कार्यों को भी सुजलाम् सुफलाम् योजना में शामिल किया गया है। जल की सर्वाधिक कमी वाले पहचाने गए दस जिलों में 6 जिलों- अहमदाबाद, बनासकांठा, गांधीनगर, महेसाणा, पाटण, साबरकांठा के लिए उत्तर गुजरात क्षेत्र में 332 किमी.लंबी सुजलाम्-सुफलाम् विस्तृत नहर का निर्माण कार्य जोरों पर है। यह नहर माही से बनास नदी के आर-पार जा रही है, जो इन जल प्रभाव वाले क्षेत्रों से बाढ़ के जल अथवा अतिरिक्त जल को जल अभाव वाले क्षेत्रों तक पहुंचाती है। यह नहर 21 नदियों, 2 राष्ट्रीय राजमार्गों, 7 रेलवे लाइनों और अन्य 600 से अधिक प्राकृतिक ढांचों को पार करती हुई जाती है। सुजलाम् सुफलाम् स्प्रेडिंग नहर का कार्य लगभग पूरा हो गया है। 250 किमी. की लंबाई में जल बहाया जा चुका है। सुजलाम् सुफलाम् स्प्रेडिंग नहर का कार्य भौतिक रूप से पूरा हो गया है, सिवाय अतिरिक्त ढांचों, संरचनाओं, इनलेट्स, क्रासिंग के कार्यों के। इसका परिणाम आना शुरू हो गया है। किसानों ने लिफ्ट और भूजल रिचार्ज द्वारा अपनी जमीनों की सिंचाई की है। मुख्य नहर नर्मदा और सुजलाम् सुफलाम् योजना से 1,20,000 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई और भू-जल का लाभ मिलने लगा है।

सुजलाम् सुफलाम् स्प्रेडिंग नहर की विशेष उपलब्धि

सुजलाम् सुफलाम् स्प्रेडिंग नहर साधारण मिट्टी की नहर नहीं है बल्कि 2000 क्यूसेक की क्षमता वाली रिचार्ज नहर है।

सुजलाम सुफलाम स्प्रेडिंग नहर में लगभग 6.13 करोड़ क्यूबिक मीटर का भू-कार्य किया गया है।

इस नहर में कंक्रीट और सीमेंट कार्य में 40 लाख कट्टे से अधिक सीमेंट का प्रयोग किया गया है।

8.30 लाख क्यूबिक मीटर का सीमेंट कंक्रीट का कार्य और 46,660टन लोहे का इस्तेमाल हुआ।

इस नहर के द्वारा केन्द्रीय एवं उत्तर गुजरात में 21 नदियों के ‘<Æ]õ®ú˱ÉËEòMÉ’ (नदी जोड़ो) का कार्य पूरा हो गया है।

उत्तर गुजरात के जलाशयों और तालाबों को भरने के लिए लिफ्ट सिंचाई योजनाएं

मुख्य नहर नर्मदा से इस क्षेत्र की वर्तमान जलाशयों तक लिफ्ट सिंचाई योजनाएं, नर्मदा के अतिरिक्त आबंटित बाढ़ जल को ‘b÷É<´É]Çõ’ करने के लिए इस नेटवर्क में 14 पाइप लाइनों की योजना की गई थी, जिसमें से 8 लिफ्ट पाइप लाइनें पूरी हो गई हैं। 1- नर्मदा मेन कैनाल यानी एनएमसी (पियाज) धरोइ तक (2) एनएमसी (मोढेरा) धरोई तक-लगभग 10,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। (3) एनएमसी से खोरसाम तक- इस पाइप लाइन के द्वारा सरस्वती बैराज योजना को सक्रिय किया गया है और 6700 हेक्टेयर क्षेत्र को भी सजीव कर दिया गया है। (4) एनएमसी (जलुंद्रा) सुजलाम् सुफलाम् स्प्रेडिंग नहर तक (5) एनएमसी (अडुन्द्रा) सुजलाम् सुफलाम् स्प्रेडिंग नहर तक (7) एनएमसी (मोढेरा) सुजलाम् सुफलाम् स्प्रेडिंग नहर तक (8) एनएमसी (हाथमती) गुहाई तक। इन पाइप लाइनों द्वारा खरीफ और रबी मौसम के दौरान किसानों को सिंचाई जल की आपूर्ति की जा रही है, जलाशयों को भरा जा रहा है और रास्ते के टैंकों/तालाबों को भी पाइप लाइनों द्वारा भरा जा रहा है।

सुजलाम् सुफलाम् योजना:सौराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात के समुद्रतटीय क्षेत्रों में खारापन रोकने की योजनाएं–

गुजरात राज्य में सबसे लम्बी समुद्रतटीय रेखा 1600 किमी.की है, जो भारत की संपूर्ण तटीय रेखा की लगभग एक चौथाई है। सौराष्ट्र क्षेत्र में वर्षा कम और बहुत अनियमित है। समुद्र के निकट भूगर्भीय संरचना की खोखली प्रकृति के कारण तथा सिंचाई के लिए किसानों द्वारा अत्यधिक भूजल का निकास और भूजल की पुन:पूर्ति कम होने के कारण भूजल में खारे पानी का प्रवेश हो जाता है, जो अंत:क्षेत्र को खारे पानी की बेल्ट में रूपांतरित कर देता है। इसे रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। जैसे बंधारण का कार्य, टाईडल रेग्युलेटर, स्प्रेडिंग नहर, रिचार्ज नहर और समुद्री भराव विरोधी कार्य। खारापन प्रवेश रोकथाम योजना के अंतर्गत पिछले पांच वर्षों के दौरान (2006-7 से 2010-11 तक) 5 बंधारण, 10 रिचार्ज जलाशय, 11 रिचार्ज टैंक, 80 किमी.में नहर के 12 विस्तार कार्य, 41 किमी. में 5 रेडियल नहरें और 8 चैक बांध पूरे हो गये हैं। इसके अलावा, वर्तमान वर्ष के दौरान हडियाना बंधारण, हाबूकांड एवं पडना रिचार्ज टैंक पूरे हो चुके हैं। इनके अतिरिक्त 2 टाइडल रेग्युलेटर, 1 रिचार्ज जलाशय, 7 रिचार्ज टैंक, 94 किमी.में नहरों का विस्तार, 4 रेडियल नहरें और 5 चैक डैम और तीन समुद्री कटाव विरोधी कार्य तेजी से पूर्ण होने की ओर हैं।

दक्षिणी गुजरात में भी ज्वार के कारण समुद्री तट के साथ सार्वजनिक संपत्तियों और कृषि को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सुरक्षा दीवार, समुद्री कटाव रोकने हेतु कार्यों को शुरू किया गया है। नानी दांती का कार्य, मोटी दांती, उदवाडा और भगवा दांडी, बुडिया, ओजल, मच्छीवाल, भाट-नेश-करंज, डमारी, मेघर, नोर्गेल समुद्री कटाव विरोधी कार्य बल्डा में बाढ़ सुरक्षा कार्य पूरे कर लिए गए हैं।

सहभागी सिंचाई प्रबंधन (पीआइएम)

लाभार्थियों और हित धारकों को सिंचाई योजनाओं के उपलब्ध जल साधनों की योजना एवं प्रबंधन में शामिल किया जा रहा है। बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को नया रूप देने के मामले में जल वितरण के सहभागी सिंचाई प्रबंधन पर भी जोर दिया जा रहा है।

गुजरात सरकार ने सहभागी सिंचाई प्रबंधन के अधीन यह निर्णय किया कि वह राज्य के अधिकतम क्षेत्र को शामिल करे। सरकार ने सरकारी सिंचाई समितियों को अनेक सिंचाई कमांड क्षेत्र के स्थानांतरण की सुविधा प्रदान करने के लिए नीति और प्रक्रिया संबंधी अनेक निर्णय लिए हैं। गुजरात जल उपभोक्ता सहभागी सिंचाई प्रबंधन अधिनियम, 2007 पारित किया गया है। एआइएम को बनाने वाली और डब्ल्यू यू एस के संवर्धन हेतु अधिनियम और नीतियों के कुछ अनूठे उदाहरण इस प्रकार हैं-

क-नेटवर्क वितरण के पुनर्वतिकार्यों को करने के बाद जिले की डब्ल्यूयूए और विभाग द्वारा आपत्ति सहमति सिंचाई केन्द्रों के परिचालन एवं अनुरक्षण हेतु डब्ल्यूयूएस को संपूर्ण किया जाना है।

ख-डब्ल्यूयूएस को नहरों के पुनर्वास कार्यों के निष्पादन में प्राथमिकता प्रदान की जाती है।

ग-डब्ल्यूयूएस द्वारा किए गए कार्यों को मापने एवं परीक्षण हेतु प्रक्रियाओं को सरलीकृत किया गया है।

घ-सरकारी दर से अधिक और अतिरिक्त जल दरों का निर्णय करने के लिए डब्ल्यूयूएस स्वतंत्र है और संपूर्ण अतिरिक्त राशि को रोक लेने के लिए भी अधिकृत।

ङ-विभाग ने डब्ल्यूयूएस अग्रणी लोगों, विभाग के कार्यकर्त्ताओं तथा एनजीओ के प्रशिक्षण हेतु पृथक्करण सेटअप का सृजन किया है। सिंचाई नहरों का अनुसरण एवं मरम्मत करने के लिए किसानों के समूहों के पंजीकरण की शक्तियां आवंटित अधीक्षण अभिनियंताओं में निहित है।

उपभोक्ता प्रणालियों का अनुभव यह दर्शाता है कि सिंचाई प्रबंधन में अनेक कार्य कृषक समूहों द्वारा कुशलतापूर्वक और कम लागत पर नियंत्रित किए जाते हैं। किसानों के प्रभार में ‘EÆòºÉå¶ÉxÉ’ प्रणाली ने किसी गिरावट के जवाब में, जल के अधिक कुशल प्रयोग में, अधिक तेजी से परिणाम प्राप्त होता है। सहभागी सिंचाई प्रबंधन के अंतर्गत पिछले पांच वर्षों में और अक्तूबर, 2011 तक 4,26,678 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल किया गया है। स्वर्णिम वर्ष 2010 के दौरान सहभागी सिंचाई प्रबंधन के अंतर्गत 85,923 हेक्टेयर की सीमा तक क्षेत्र शामिल किया गया था।प्रतिनिधि

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Operation Sindoor Press briefing : ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

#पाकिस्तान : अकड़ मांगे इलाज

भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को किया नष्ट

भारतीय सेना ने PAK पर किया कड़ा प्रहार: पाकिस्तानी आतंकी लॉन्च पैड और चौकियां तबाह

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत के पॉवर ग्रिड पर पाकिस्तानी साइबर हमले की खबर झूठी, PIB फैक्ट चेक में खंडन

पुस्तक का लोकार्पण करते डॉ. हर्षवर्धन और अन्य अतिथि

कैंसर पर आई नई किताब

PIB Fact check

PIB Fact Check: सरकार ने नहीं जारी की फोन लोकेशन सर्विस बंद करने की एडवायजरी, वायरल दावा फर्जी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Operation Sindoor Press briefing : ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

#पाकिस्तान : अकड़ मांगे इलाज

भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को किया नष्ट

भारतीय सेना ने PAK पर किया कड़ा प्रहार: पाकिस्तानी आतंकी लॉन्च पैड और चौकियां तबाह

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत के पॉवर ग्रिड पर पाकिस्तानी साइबर हमले की खबर झूठी, PIB फैक्ट चेक में खंडन

पुस्तक का लोकार्पण करते डॉ. हर्षवर्धन और अन्य अतिथि

कैंसर पर आई नई किताब

PIB Fact check

PIB Fact Check: सरकार ने नहीं जारी की फोन लोकेशन सर्विस बंद करने की एडवायजरी, वायरल दावा फर्जी

Pakistan Defence minister Khawaja Asif madarsa

मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने बताया सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस

भारतीय सेना के हमले में तबाह हुआ पाकिस्तानी आतंकी ठिकाना

जब प्रश्न सिंदूर का हो, तब उत्तर वज्र होता है

Pahalgam terror attack

आतंक को जवाब: पाकिस्तान के 4 एयरबेस पर फिर सेना ने किया हमला

एक शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त करते संस्कृत प्रेमी

15,000 लोगों ने किया संस्कृत बोलने का अभ्यास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies