सम्पादकीय
दिंनाक: 12 May 2012 17:21:21 |
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सव्वा ता जिम्हं गच्छन्ति, नेत्ते जिम्हं गते सतित। (पालि)
नेता के कुटिल चलने पर सबके सब अनुयायी भी कुटिल ही चलने लगते हैं।
–अंगुत्तरनिकाय, 4/7/10
सम्पादकीय
एक तरफ तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कांग्रेसियों को फटकार लगाती हैं कि पार्टी में गुटबाजी और अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दूसरी तरफ 10, जनपथ केन्द्रीय गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर एक अक्षम और निरंतर विफल रहे तथा भ्रष्टाचार के आरोपों में आकंठ डूबे पी.चिदम्बरम को पद से हटाए जाने की लगातार मांग के बावजूद उन पर अपनी कृपा बनाए हुए है। सोनिया गांधी का यह कहना कि पार्टी को खुद को ताकतवर बनाने के बारे में सोचना चाहिए, एकदम विरोधाभासी है, क्योंकि जब पार्टी की सबसे कमजोर कड़ी चिदम्बरम को अपने निजी लगाव के कारण कांग्रेस हाईकमान स्वयं संरक्षण दे रहा है तो पार्टी मजबूत कहां से होगी। उ.प्र. विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी शिकस्त से तिलमिलाई कांग्रेस यह क्यों भूल जाती है कि उसके भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने का ढोंग तो चिदम्बरम के कारण उजागर हो रहा है, तो उ.प्र.की जनता कांग्रेस और उसकी सरकार की 'साफ–सुथरी' छवि को कैसे गले उतारती और यह विश्वास कर पाती कि कांग्रेस उ.प्र. में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन दे पाएगी? जो व्यक्ति तत्कालीन वित्तमंत्री के रूप में पौने दो लाख करोड़ के 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के लिए गंभीर आरोपों से घिरा है, यहां तक कि चिदम्बरम की भूमिका पर सवाल खड़े करने वाला वित्त मंत्रालय का 'नोट' सामने आने पर यह विवाद और गहरा गया तथा चिदम्बरम और वर्तमान वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी आमने–सामने आ गए, तब भी 10, जनपथ के एक और चहेते मंत्री सलमान खुर्शीद ने बयान दिया कि सरकार चिदम्बरम के साथ खड़ी है। यदि चिदम्बरम इतने ही दूध के धुले थे तो दूरसंचार मंत्रालय द्वारा 2 जी स्पेक्ट्रम की मनमानी कीमतें तय किए जाने के निर्णयों में उनकी सहमति क्यों बनी?
विपक्ष लम्बे समय से चिदम्बरम को मंत्रिमंडल से हटाए जाने की मांग कर रहा है, लेकिन चिदम्बरम की एक के बाद एक कमजोरियां सामने आने के बाद भी सरकार, विशेषकर सोनिया गांधी उनका रक्षा कवच बनी हुई हैं। अब 2 जी स्पेक्ट्रम से जुड़े एअरसेल-मेक्सिस सौदे के मामले में चिदम्बरम के बेटे की भागीदारी के मुद्दे ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। बताया जा रहा है कि इस 'डील' के दौरान एअरसेल के तत्कालीन प्रमुख सी.शिवशंकरन और चिदम्बरम के बेटे के बीच शेयरों की खरीद-फरोख्त के रूप में लाखों का लेन-देन हुआ। चिदम्बरम भले ही आरोपों को नकार रहे हैं, लेकिन यदि विपक्ष सरकार से सारे मामले पर लीपापोती करने की बजाय स्थिति स्पष्ट करने वाला बयान चाहता है तो सरकार मुंह क्यों चुरा रही है? कांग्रेस ने अपनी सत्तालोलुप राजनीति से जिस भ्रष्ट कार्यशैली को पाला-पोसा है, चिदम्बरम उसका ताजा उदाहरण बनकर उभरे हैं। इतना ही नहीं कि वित्त मंत्री के रूप में उनकी भूमिका भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी है, बल्कि गृहमंत्री के रूप में भी जिहादी आतंकवाद और माओवादी नक्सलवाद के राष्ट्रविरोधी रक्तरंजित हमलों से निपटने में वे बेहद लचर साबित हुए हैं और वह सोनिया गांधी के इशारे पर चर्च के षड्यंत्रों को भारत में साकार करने के लिए आतंकवाद का ठीकरा राष्ट्रभक्त हिन्दू संगठनों के सिर पर फोड़ने वाले 'हिन्दू आतंकवाद', 'भगवा आतंकवाद' जैसे जुमले भी गढ़ते रहे हैं। इसलिए कांग्रेस हाईकमान को पार्टी की विफलताओं और जनता द्वारा उसे नकारे जाने के लिए पार्टी नेताओं को दोषी ठहराने के बजाय अपने गिरेबां में झांकना चाहिए कि जब वही भ्रष्टाचार और जिहादी आतंकवाद व माओवादी नक्सलवाद जैसे नासूर को खत्म करने की बजाय इसके लिए जिम्मेदार लोगों के बचाव में खड़ी रहेगी तो पार्टी को जनता का विश्वास कैसे प्राप्त होगा?
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