दृष्टिपात
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आलोक गोस्वामी
अदालत की अवमानना के आरोप में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को 25 अप्रैल को वहां की सर्वोच्च अदालत से दोषी ठहराए जाने पर मात्र 30 सैकेण्ड की सजा ही मिल पाई, जबकि इस मामले में गिलानी को ज्यादा से ज्यादा छह महीने की सजा दी जा सकती थी। प्रधानमंत्री गिलानी पर आरोप था कि उन्होंने राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ घोटाले के मामले पर फिर से कार्रवाई किए जाने के अदालत के आदेश की अवहेलना की थी। दरअसल दिसम्बर 2009 से ही सर्वोच्च अदालत सरकार को जरदारी द्वारा स्विट्जरलैंड में पैसा जमा करने के आरोपों के मामलों पर कार्रवाई करने को कहती आ रही थी। पर गिलानी जरदारी के खिलाफ मामलों पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़े। लिहाजा अदालत की अवमानना हुई, लिहाजा दोषी पाए गए, लिहाजा सजा दी गई, 30 सैकेंड की, सांकेतिक! दस मिनट के अंदर न्यायमूर्ति नसीरुल मलिक की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय पीठ ने फैसला सुना दिया था।
सुबह 9.30 बजे अदालत बैठने से पहले गिलानी पूरे लाव-लश्कर के साथ अदालत पहुंचे, गजब के सुरक्षा घेरे में। अदालत की सीढ़ियां चढ़ते हुए उन पर तमाम मंत्रियों, चहेतों ने फूल बरसाए, आंतरिक मामलों के मंत्री रहमान मलिक बगल में थे। ऊपरी सीढ़ी पर पहुंचकर गिलानी पलटे और हाथ हिलाकर इम्मीनान से अदालत में दाखिल हुए। दस मिनट में दोषी ठहराए जाकर, 30 सैकेण्ड की 'सजा' भुगतकर बाहर आए और फुर्र…!
के.एफ.सी. को मिलेगी सजा
आस्ट्रेलिया में एक बच्ची के.एफ.सी. (केंटकी फ्राइड चिकन) का 'चिकन ट्विस्टर' खाकर दिमागी तौर पर बीमार हो गई थी और लकवा मार गया था। अक्तूबर 2005 में जब वह बीमार पड़ी थी तब सात साल की थी। नन्ही मोनिका ही नहीं, उसके परिवार के कई दूसरे सदस्य भी के.एफ.सी.का मांसाहारी खाना खाकर बेहद बीमार पड़ गए थे। लिहाजा के.एफ.सी.के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया। अब आस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी अदालत ने के.एफ.सी.को दोषी ठहराते हुए पीड़ित परिवार को करीब 41.5 करोड़ रु. का हर्जाना देने को कहा है। पिछले दिनों दिए अपने फैसले में अदालत ने कहा कि मोनिका को दिमागी चोट -सलमोनेला एनसेफालोपैथी-खाने में विषाणुओं से पहुंची थी जिससे उसका खून संक्रमित हो गया था और सेप्टिक हो गया था। मोनिका कोमा में चली गई थी और उसकी हालत अब गई कि तब गई तक जा पहुंची थी।
अपने फैसले में न्यायमूर्ति स्टीफन रोथमन ने कहा कि के.एफ.सी. के एक या अधिक कर्मचारियों की लापरवाही से 'चिकन' खराब हो गया था। कर्मचारियों ने बनाने के सही कायदे नहीं अपनाए, जो कि लापरवाही ही कही जाएगी। कुछ कर्मचारी इसके नतीजों से बेपरवाह थे, ऐसे सबूत हैं। मोनिका और उसके परिवार ने जब के.एफ.सी. का 'चिकन' खाया था, उससे ठीक पहले वाले महीनों में दुकान के स्तर का अंदरूनी जायजा लिया गया था जिसमें साफ-सफाई और खाना बनाने के स्तर को लेकर आपत्तियां की गई थीं, पर के.एफ.सी ने शायद उन्हें नजरअंदाज कर दिया। बहरहाल, मोनिका अब पहिए की कुर्सी से बंध चुकी है, दिमागी तौर पर लाचार है और जीवन में अब अपने बूते कुछ कर पाएगी, ऐसी संभावना भी नहीं है।
मुशर्रफ को नहीं सौंपेगा ब्रिटेन
ब्रिटेन की सरकार ने इस्लामाबाद को जता दिया है कि वह जनरल मुशर्रफ को पाकिस्तान को नहीं सौंपेगी। ब्रिटेन की नीति है कि वह किसी को भी उन देशों को प्रत्यर्पित नहीं करती जहां सजाए-मौत का प्रावधान हो। लिहाजा ऐसे मामलों में वह कोई भी फैसला लेने से पहले उसे अपने न्यायिक तंत्र के आधार पर तोलती है। ब्रिटेन सरकार के अनुसार, मुशर्रफ ही नहीं, यूनाइटेड किंग्डम में ऐसे कई लोग रह रहे हैं, जो दूसरे देशों के हैं और जिन्हें उनके देश अपने यहां भेजे जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन जब तक वे यू.के. के कानूनों का उल्लंघन नहीं करते तब तक उन्हें उनके देशों का सौंपे जाने का सवाल नहीं उठता। अभी पिछले ही दिनों पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री रहमान मलिक ने कहा था कि इंटरपोल को रेड नोटिस के संदर्भ में आधिकारिक तौर पर लिखा जा चुका है कि बेनजीर भुट्टो हत्या की जांच के सिलसिले में पूर्व राष्ट्रपति की पाकिस्तान में दरकार है, पर ब्रिटेन के इस ताजे रुख से मामला उलझ गया है।
'बोको हराम' ने दागे स्कूल
नाइजीरिया में पिछले कुछ हफ्तों के दौरान अल कायदा से जुड़े इस्लामी जिहादी गुट 'बोको हराम' ने कम से कम आठ स्कूलों को आग के हवाले किया है। सरकारी हो या निजी, 'बोको हराम' हर उस स्कूल को मिट्टी का तेल छिड़ककर जला रहा है जहां बड़ी तादाद में बच्चे पढ़ते हों। वहां स्कूल जाने वाले हजारों बच्चे पढ़ाई छीन लिए जाने से आतंकित हैं। उनके माता-पिता हकबकाए से सरकार की ओर देख रहे हैं, पर सरकार के पास ठोस जवाब नहीं है।
'बोको हराम' के नाम में ही पढ़ाई-लिखाई का विरोध छिपा हुआ है। स्थानीय हउसा भाषा में 'बोको' के मायने हैं किताब या 'बुक' या कहें 'पश्चिमी पढ़ाई' और 'हराम' का अर्थ अरबी भाषा में है 'वर्जित'। 'बोको हराम' के आतंकी शाम ढले किसी स्कूल पर पहुंचते हैं, बंदूकें तानते हैं, मिट्टी का तेल छिड़कते हैं और स्कूल की इमारत धधका देते हैं। 'बोको' के एक तथाकथित प्रवक्ता ने अखबारों को फोन करके कहा कि यह खुले में चलने वाले इस्लामी स्कूलों पर सरकारी अफसरों के निशाना साधने का जवाब है। वहां की एक मानवाधिकारवादी संस्था का कहना है कि पिछले दो सालों में 'बोको हराम' 900 से ज्यादा लोगों को मार चुका है। यहां उसी का राज चलता है। जगह-जगह उसके खबरिए तैनात हैं। नाइजीरिया सरकार उसके खिलाफ दमदारी से कार्रवाई करे, वहां के अधिकांश नागरिक यही आवाज बुलंद कर रहे हैं।
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