पूर्वोत्तर भारत में चीन की दखल से बढ़ता खतरायह अनदेखी बहुत खतरनाक साबित होगी-बासुदेब पाल
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पूर्वोत्तर भारत में चीन की दखल से बढ़ता खतरायह अनदेखी बहुत खतरनाक साबित होगी-बासुदेब पाल

by
Dec 22, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 22 Dec 2012 15:44:26

 

भारत के सीमावर्ती देश म्यांमार और बंगलादेश चीन के प्रभाव या दबाव के चलते भारत में अस्थिरता पैदा करने वाले आतंकवादी गुटों की शरणस्थली तथा उनके गुर्गों का प्रशिक्षण केन्द्र बन गये हैं। इन दोनों देशों में चीनी हथियार आसानी से पहुंच जाते हैं। पिछले 2-3 सालों से बंगलादेश ने उल्फा के गुर्गों को भारत के हाथों सुपुर्द करना शुरू कर दिया है। तब से म्यांमार उत्तर-पूर्वी भारत में सक्रिय आतंकी गुटों के गुर्गों और उनके नेताओं का संरक्षण और प्रशिक्षण केन्द्र बन गया है। म्यांमार में बैठकर ही उन्हें चीनी हथियार और अन्य मदद मिलती रहती है। इस वर्ष जून माह के प्रथम सप्ताह में भारत के प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने म्यांमार की जुंटा सरकार से आग्रह किया था कि वह अपने यहां स्थित सभी आतंकी शिविरों को बंद कराए। लेकिन भारत सरकार के अनुरोध पर भी म्यांमार की जुंटा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इधर मणिपुर में सक्रिय सात आतंकी गुटों के एक संघ के सम्मिलित हो जाने के कारण व्यवसायियों और आम आदमी के साथ अब पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से भी जबरन धन बसूली शुरू कर दी गई है।

यह कैसा व्यापार?

'कोरकम' यानी सातों आतंकी गुटों की संयुक्त समिति बनने के बाद से आये दिन, दिन-दहाड़े मणिपुर की सीमा पर स्थित म्यांमार के तामू में बैठकर आतंकी भारतीय अधिकारियों, व्यापारियों से जबरन बसूली कर रहे हैं। सन् 2011 में इसी तामू शहर में उल्फा के सैन्य प्रमुख परेश बरुआ को आखिरी बार देखा गया था। तामू शहर चीन निर्मित सामान के व्यापार का प्रमुख केन्द्र है। यहां चीनी रोस्टोरेंट और चीनी भाषा सीखने के केन्द्र जगह-जगह पर खुले हुए हैं। म्यांमार की मुद्रा का नाम है- 'कायात', भारत के 1 रुपए के बराबर म्यांमार के 15 कायात हैं। पर तामू में सभी दुकानों पर भारतीय मुद्रा का भी चलन है, ताकि यहां बैठे आतंकी गुट भारतीय मुद्रा में ही धन बसूली कर सकें। मणिपुर की राजधानी इम्फाल से सीमावर्ती नगर मोर तक 110 किमी. के रास्ते में 70 किमी. पहाड़ और जंगल है। यहां हर एक कि.मी. के बाद असम रायफल्स या मणिपुर पुलिस के कमाण्डो तैनात रहते हैं, मगर सिर्फ दिन में। अंधेरा होते ही यह इलाका 'कोरकम' के गुर्गों के चंगुल में चला जाता है। उधर म्यांमार की सांगी डिवीजन का मुख्य नगर तामू है, जो मणिपुर के सीमावर्ती नगर मोर से केवल 4 किमी. की दूरी पर है।

1998 में भारत-म्यांमार व्यापार संधि काफी धूमधाम के साथ की गई थी। भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने उसी साल इस पर अनुमोदन की गुहार लगायी थी। 2001 में भारत-म्यांमार के बीच व्यापार आधिकारिक तौर पर शुरू हुआ था। मगर उसी साल इस व्यापार पर अलगाववादी-आतंकवादी गुटों की संयुक्त समिति ने कब्जा जमा लिया। उक्त व्यापार संधि के अनुसार भारत एवं म्यांमार एक-दूसरे देश के 17 किमी. अन्दर तक जाकर व्यापार कर सकते हैं। यानी भारत के लोग म्यांमार के नास्लम, तामू और खुनजां तक जा सकते हैं, उधर म्यांमार के व्यापारी मणिपुर के मोरे एवं खुदेथांवि तक आ सकते हैं। भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित होने के कारण मणिपुर के मोरे शहर का काफी महत्व है। यहां मूलत: व्यापारी एवं कुकी जनजाति के लोग रहते हैं। असम रायफल्स एवं मणिपुरी सुरक्षा बलों की यहां कड़ी पहरेदारी है, लेकिन इससे आतंकी गुटों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। मोरे के नजदीक म्यांमार का व्यापार केन्द्र है खुनजां। इस बाजार की विशेषता यह है कि यहां हर प्रकार के आधुनिक हथियार बिकते हैं। जिन लोगों का वहां पर नियमित आना-जाना होता है वे बताते हैं कि खुनजां में युद्धक विमान और युद्धक टैंक के अलावा हर प्रकार के घातक हथियार मिलते हैं।

हथियारों का बाजार

म्यांमार के भी दो सक्रिय आतंकी गुट हैं, इनके नाम है- कचिन इण्डिपेंडेन्स आर्मी एवं चीनी नेशनल आर्मी। इन दोनों आतंकी गुटों का अवैध हथियारों के बाजार पर नियंत्रण है। चीन के नारिको में स्थित हथियार कारखाने में निर्मित हथियार यहां खुलेआम बेचे जाते हैं। खुनजां से मावते होकर मणिपुरी नदी पार करके घने जंगलों से गुजर कर चन्देल (मणिपुर) में हथियार पहुंचाए जाते हैं। यहां से पूरे पूर्वोत्तर भारत में शस्त्र पहुंच जाते हैं।

इन सब कारणों से चीन ने खुनजां बाजार को अपना केन्द्र बनाया है। यहां से चीन का मोबाइल और चीन निर्मित मोटर साइकिल तक खरीदी जा सकती है। यहां भारत में प्रतिबंधित सामान की भी काफी तादात है। भारत में प्रतिबंधित दवाइयों की भी यहां बहुत मांग है। म्यांमार से सोना एवं दुर्लभ तेंदुए की खाल का व्यापार भी जोर-शोर से जारी है। चीन निर्मित हथगोला (हैंड ग्रेनेड) यहां 3 हजार कायात यानी मात्र 200 रुपए में उपलब्ध है। चीन, जर्मनी, इस्रायल, रूस एवं कम्बोडिया में तैयार एके सीरीज की किसी भी रायफल की कीमत अन्तरराष्ट्रीय बाजार में 5 से 6 लाख रु. तक है, लेकिन दीमापुर (नागालैण्ड) में ही चीन में बनी उसी प्रकार की रायफल डेढ़ से दो लाख रुपए में मिल रही है। इसे खरीदने वाले आतंकी गिरोहों में उल्फा, एनडीएफबी, केसीपी, केवाईकेएल, डी.एच.डी., कार्बी नेशनल लिबरेशन फ्रंट, यूएनएलएफ तथा प्रीपाक जैसे गुट शामिल हैं। ये सारी जानकारी मिलने के बाद से ही खुफिया विभाग के आग्रह पर मोरे शहर में निगरानी बढ़ाई गई है। इस छोटे से कस्बे में मणिपुर पुलिस के 40 कमाण्डो को तैनात किया गया है। पर इसके कारण स्थानीय लोगों द्वारा म्यांमार-इम्फाल राष्ट्रीय मार्ग पर अवरोध पैदा किया गया। इन लोगों का कहना था कि पुलिस की पहरेदारी तेज होते ही आतंकी गुटों का दबाव भी बढ़ता है। हम दोनों तरफ से पीसे जा रहे हैं। जबकि सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क अवरोध के पीछे भी चीन का ही हाथ था। चीन ने अपनी रणनीति के तहत स्थानीय लोगों से वह अवरोध करवाया था।

चीन और नागालैण्ड के आतंकी

अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर के बाद अब नागालैण्ड भी चीन के निशाने पर है। इसका एक प्रमुख कारण तो यह है कि वृहत्तर नागालैण्ड की मांग करने वाले दो प्रमुख आतंकी गुट नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नागालैण्ड- एनएससीएन (आई.एम. तथा के.के.) पहले से ही चीन के निर्देश पर चल रहे हैं। आईएम के प्रमुख टी. मुइवा तथा के.के. के प्रमुख खोले कितोबी हथियार चलाने का प्रशिक्षण चीन से ही लेकर आए थे। नागालैण्ड में अस्थिरता पैदा करने के लिए चीन-म्यांमार से सटे नागालैण्ड के मोन जिले के दुर्गम पहाड़ों-जंगलों से होकर हथियार की तस्करी को बढ़ावा दे रहा है। नागालैण्ड में शांति स्थापना के लिए भारत सरकार एनएससीएन के तीनों गुटों सहित सभी आतंकी गुटों (आई.एम., खाफ्लांग और खोले कितोबी) के साथ शान्ति वार्ता करना चाहती है। सशस्त्र विद्रोही गुट भी दिखाना चाहते हैं कि वे शांतिवार्ता के पक्ष में हैं। इसलिए उन्होंने भारत सरकार के साथ युद्ध-विराम घोषित कर रखा है। एनएससीएन (आईएम) गुट के हथियारबंद आतंकी अपने सुरक्षित स्थान, दीमापुर के नजदीक हैब्रान शिविर में वापस चले गये हैं। खोले-कितोबी के गोरिल्लाओं ने खेहोइ कैम्प में शरण ली है। खाफ्लांग के गुर्गे इधर-उधर घूम रहे हैं। उसके अधिकतर गुर्गे असम में फिरौती बसूलने में लगे हैं।

लेकिन एनएससीएन का सबसे ताकतवर एवं खूंखार गुट आइजक-मुइवा (आईएम) शांत नहीं बैठा है। कुछ साल पहले इस गुट ने चीन में रहकर एक स्वघोषित स्वतंत्र नागालिम सरकार बनायी थी। उस सरकार का मुखिया यानी प्रधानमंत्री टी. मुइवा स्वयं था। कम्बोडिया, लाओस एवं म्यांमार में उस सरकार का एक-एक राजदूत भी रखा गया। खुफिया अधिकारियों का कहना है कि भारत एवं म्यांमार के नागा जनजाति-बहुल इलाकों को लेकर यह एक नागा राष्ट्र बनाना चाहता है। इसमें अब एनएससीएन (आईएम) के साथ खोले-कितौबी गुट भी जुड़ गया है। ये दो गुट साथ मिलकर खाफ्लांग गुट को खत्म करना चाहते हैं। खबर है कि आईएम के प्रमुख टी. मुइवा ने चीन में अपने राजदूत के नाते खोले सुमि का नाम तय करके चीनी खुफिया एजेंसी 'म्यान-वू' को एक प्रस्ताव भी भेजा है। चीन ने भी उस पर सहमति जतायी है। इससे पहले आईएम और चीन के बीच संबंध मजबूत रखने की जिम्मेदारी एंथोनी शिमराय पर थी, लेकिन 2 अक्तूबर, 2010 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने शिमराय को गिरफ्तार कर लिया। उससे पूछताछ में पता चला कि 2009-10 में चीन ने आईएम को जो हथियार पहुंचाए उसकी भारतीय रुपये में कीमत 900 करोड़ रु. से अधिक है।

चीन–म्यांमार और भारत

खुफिया अधिकारियों के अनुसार म्यांमार के तामू, नाफाल, खुनजां, लाहे, लेसे एवं नयांग जैसे नागा बहुल क्षेत्रों में आईएम के शिविर बरकरार हैं। ये शिविर बन्द करने के लिए जब भारत सरकार की ओर से दबाव डाला गया, तब चीन कुछ संभला। चीन के सिचुयान प्रान्त को राजधानी चेंगदू में चीन के कुछ अधिकारियों के साथ एनएससीएन (आईएम) की एक बैठक हुई, जिसमें चीनी खुफिया अधिकारियों ने म्यांमार सरकार को आतंकी शिविर ध्वस्त करने से रोकने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी। भारतीय खुफिया अधिकारियों के अनुसार म्यांमार के समुद्र तट पर स्थित शहर खेमती के बंदरगाह पर चीनी खुफिया अधिकारियों के साथ म्यंमार के सैन्य अधिकारियों का एक समझौता हुआ। तब एनएससीएन की ओर से वाई. वांग्रिन नागा उस बैठक में उपस्थित था और म्यांमार की सेना की ओर से कर्नल पुइमांग उपस्थित था। उस गुप्त बैठक में तय हुआ कि (1) एनएससीएन के कैम्प को बंद नहीं कराया जाएगा। (2) एनएससीएन के कैडर हथियार लेकर खुलेआम नहीं घूमेंगे। (3) एक-दूसरे पर कोई हमला नहीं करेगा। (4) लाहे, लेसे, नयांग जैसे क्षेत्रों में एनएससीएन को स्वायत्त शासन दिया जायेगा और बदले में जुंटा सरकार को यह गुट दस लाख कायात हर माह देंगे।

कब चेतोगे?

इसी साल अगस्त में दीमापुर से एक महिला तस्कर लोबिन काथ को गिरफ्तार किया गया था। उससे पूछताछ में पता चला है कि वह चीन की युआन प्रदेश की नारिको के कारखाने में तैयार रायफल म्यांमार से दीमापुर (भारत) लाने का काम करती है। वह महिला भी कई बार उसकी एजेंट बनकर चीन जाकर वापस आयी है। इसी बीच इसी साल 16 जनवरी को दीमापुर रेलवे स्टेशन पर पुलिस ने कुईओयां नामक एक चीनी महिला को धर दबोचा था। पहले उस महिला ने स्वयं को बीजिंग की रहने वाली पत्रकार बताया। बाद में पता चला की वह चीनी लाल सेना (रेड आर्मी) के खुफिया विभाग की सदस्य है। उस गुप्तचर महिला को दीमापुर से हैब्रान के रास्ते पर एनएससीएन के मुख्यालय से 30 किमी. की दूरी पर पकड़ा गया था। इससे पहले उसने 4 जनवरी को एनएससीएन (आईएम) के प्रमुख टी. मुइवा के साथ दिल्ली में चार घंटे तक बैठक की थी। इसलिए उसे गिरफ्तारी के बाद दिल्ली भेजा गया। पर उसे उसी दिन चायना ईस्टर्न एयरलाइन की उड़ान पर बैठाकर वापस क्यों भेज दिया गया, यह अभी तक एक रहस्य है। कुल मिलाकर देखें तो चीन हथियार देकर, आश्रय देकर पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय आतंकी गिरोहों को उकसा रहा है। भारत-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देकर, भड़काकर भारत को बांटने पर तुला है। पर भारत सरकार के किसी राजनेता के पास चीन की इस करतूत के विरोध में एक भी शब्द कहने या सुनने का समय ही नहीं है। रक्षामंत्री रहते जार्ज फर्नांडीस ने चीन को 'भारत का सबसे बड़ा दुश्मन' करार दिया था। वह सच अब दिखाई दे रहा है। पर भारत का दुर्भाग्य है कि वह आसन्न खतरे को देखकर भी उसकी अनदेखी कर रहा है, ठीक वैसे ही जैसे कबूतर बिल्ली को देखकर आंख मूंद लेता है, पर इससे उसकी जान तो नहीं बच पाती।द

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

बलूचिस्तान ने कर दिया स्वतंत्र होने का दावा, पाकिस्तान के उड़ गए तोते, अंतरिम सरकार की घोषणा जल्द

IIT खड़गपुर: छात्र की संदिग्ध हालात में मौत मामले में दर्ज होगी एफआईआर

प्रतीकात्मक तस्वीर

नैनीताल प्रशासन अतिक्रमणकारियों को फिर जारी करेगा नोटिस, दुष्कर्म मामले के चलते रोकी गई थी कार्रवाई

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

बलूचिस्तान ने कर दिया स्वतंत्र होने का दावा, पाकिस्तान के उड़ गए तोते, अंतरिम सरकार की घोषणा जल्द

IIT खड़गपुर: छात्र की संदिग्ध हालात में मौत मामले में दर्ज होगी एफआईआर

प्रतीकात्मक तस्वीर

नैनीताल प्रशासन अतिक्रमणकारियों को फिर जारी करेगा नोटिस, दुष्कर्म मामले के चलते रोकी गई थी कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (चित्र- प्रतीकात्मक)

आज़ाद मलिक पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का संदेह, ED ने जब्त किए 20 हजार पन्नों के गोपनीय दस्तावेज

संगीतकार ए. आर रहमान

सुर की चोरी की कमजोरी

आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर

कंधार प्लेन हाईजैक का मास्टरमाइंड अब्दुल रऊफ अजहर ढेर: अमेरिका बोला ‘Thank you India’

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने के बाद क्षतिग्रस्त दीवारें, टूटी खिड़कियां और ज़मीन पर पड़ा मलबा

पाकिस्तानी सेना ने बारामुला में की भारी गोलाबारी, उरी में एक महिला की मौत

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies