सरकार की फितरत 
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सरकार की फितरत 

by
Dec 1, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

सरकार की फितरत

दिंनाक: 01 Dec 2012 11:17:06

यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि 'चोर चोरी से जाये, हेराफेरी से न जाये।' संसद से सड़क तक बने चौतरफा दबाव के बीच राज्यसभा की प्रवर समिति ने लोकपाल विधेयक संबंधी अपनी रपट संसद में पेश कर दी तो पता चला कि 'टीम अण्णा' से लेकर सशक्त लोकपाल के पक्षधरों की ज्यादातर मांगों को किंतु-परंतु के साथ स्वीकार कर लिया गया है। अब इस रपट पर अंतिम फैसला सरकार और संसद को करना है, पर सरकार ने  अपनी फितरत फिर दिखा दी। प्रवर समिति ने सीबीआई को सरकार के चंगुल से बाहर निकाल कर स्वायत्तता देने के उद्देश्य से इस आम मांग को मान लिया है कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और देश के मुख्य न्यायाधीश की तीन सदस्यीय समिति करे। समिति की सिफारिशें मीडिया में लीक होते ही सरकार सक्रिय हुई और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रंजीत सिन्हा को दो साल के लिए सी.बी.आई. निदेशक नियुक्त कर दिया। यह समझना मुश्किल नहीं होना चाहिए कि प्रवर समिति की सिफारिशों के अनुरूप लोकपाल कानून बनने से पहले ही अपने चहेते को सीबीआई निदेशक बनाने के मकसद से ही सरकार ने यह फुर्ती दिखायी। आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि संसद के दोनों ही सदनों के विपक्ष के नेताओं ने इस नियुक्ति का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को संयुक्त रूप से पत्र भी लिखा, पर वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा किसी और की सुनते कहां हैं?

  आदत है कि नहीं जाती

एक हैं मनीश तिवारी। पंजाब के लुधियाना से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य हैं। पेश से वकील मनीष हाल तक कांग्रेस के बड़बोले प्रवक्ताओं में से एक थे। ऐसे बड़बोले कि पिछले साल जन लोकपाल को ले कर रामलीला मैदान में अनशन कर सरकार को हिला देने वाले अण्णा हजारे को अनशन से ठीक पहले ही भ्रष्टाचार में डूबा करार दे दिया था। परिणामस्वरूप कांग्रेस और सरकार को लेने के देने पड़ गये। जन आक्रोश से  बचने के लिए मनीष को प्रवक्ता पद से ही अवकाश नहीं दे दिया गया, बल्कि वह संसद के सत्र में भी नजर नहीं आये, लेकिन कांग्रेस विरोधियों की आलोचना में तमाम मर्यादाओं का उल्लंघन कर जाने वाले मनीष को पुरस्कार देते हुए अब केंद्र में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार वाला राज्य मंत्री बना दिया गया है, पर मंत्री बन जाने के बावजूद बात-बात पर हर मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने की आदत है कि नहीं जा रही। 2 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की संदेहास्पद नाकामी और 'कैग' के एक पूर्व अधिकारी द्वारा अविश्वसनीय तर्कहीन टिप्पणी के बाद अब नये नवेले मंत्री के निशाने पर 'कैग' हैं। वह 'कैग' को 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले से राजस्व को हुई हानि के आकलन पर सार्वजनिक बहस की चुनौती दे रहे हैं। आखिर करें तो क्या, वकील के साथ-साथ कांग्रेस के प्रवक्ता भी रहे हैं, और फिर आलाकमान की नजर में नंबर बढ़ाने के लिए तो विरोधियों पर तीर चलाना पहली अनिवार्य शर्त है।

  ठीकरा फोड़ने की तैयारी

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सबसे नाकाम मुख्यमंत्री भी साबित हो रहे हैं–यह बात तो अब खुद उनकी समाजवादी पार्टी के नेता भी निजी बातचीत में मानने लगे हैं। पर नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव के इस 'युवराज' के विरुद्ध कोई बोले भी तो कैसे? सो, अब बेटे की नाकामी का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ने की तैयारी है। निजी बातचीत के जरिये मीडिया में यह प्रचारित कराया जाने लगा है कि बेचारे अखिलेश तो बहुत कुछ करना चाहते हैं, पर चाचा हैं कि कुछ होने ही नहीं देते। फिलहाल निशाना दो ही चाचाओं पर है- एक, सगे चाचा शिवपाल सिंह यादव। दूसरे, मोहम्मद आजम खां। दोनों में ही दो समानताएं हैं। दोनों ही अखिलेश सरकार में मंत्री हैं, जबकि महत्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की रही है। शिवपाल तो आश्वस्त थे कि मुलायम जब भी राष्ट्रीय राजनीति का रुख करेंगे, प्रदेश की कमान उन्हें ही मिलेगी। लेकिन नेताजी ने पहले सपा की उत्तर प्रदेश इकाई की बागडोर बेटे को सौंपी और फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी बिठा दिया। इसी तरह आजम को उम्मीद थी कि अल्पसंख्यक मतों के बल पर राजनीति करने वाले मुलायम उन्हें उत्तर प्रदेश का पहला मुस्लिम मुख्यमंत्री बना कर अगले लोकसभा चुनावों के लिए अपना 'ट्रंप कार्ड' चल सकते हैं। लेकिन उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी।

  चार साल बाद

वह तो अच्छा हुआ कि न्यायपालिका और फिर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की भी रफ्तार से मुंबई पर आतंकी हमले के एकमात्र जीवित पकड़े जा सके हमलावर अजमल आमिर कसाब को फांसी हो गयी, वरना चार साल बाद भी आतंकवाद के विरुद्ध जबर्दस्त तैयारियों के सरकारी दावे अभी हवा में ही ज्यादा हैं। समुद्री रास्ते से पाकिस्तान से आये आतंकियों को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए खुफिया एवं सुरक्षा तंत्र को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सरकार ने लंबी-चौड़ी योजनाओं की घोषणा की थी। इनमें 7517 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा की निगरानी के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा भी शामिल थी, लेकिन हो अभी तक कुछ भी नहीं पाया है। हां, मुंबई हमले की नाकामी के लिए पद से हटाये गये सत्ताधीशों का पुनर्वास अवश्य कर दिया गया। महाराष्ट्र के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री आर. आर. पाटिल राज्य के गृह मंत्री के रूप में वापस आ गये हैं तो देश के गृह मंत्री पद से हटाये गये शिवराज पाटिल पंजाब के राज्यपाल बना दिये गये हैं।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies