पाठकीय: अंक-सन्दर्भ 21 अक्तूबर,2012
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आवरण कथा 'चीन का खतरा' के अन्तर्गत श्री नरेन्द्र सहगल ने ठीक ही कहा है कि 1962 में चीन द्वारा किए गए मित्रघात को भूलने की भूल खतरनाक साबित होगी। चीन से सदैव सावधान रहने की जरूरत है। आने वाले समय में चीन की चुनौती अवश्य मिलेगी। भारत अपनी सुरक्षा की पुख्ता तैयारी करे।
–गणेश कुमार
पटना (बिहार)
चीन एशिया में अपना आधिपत्य जमाना चाहता है और उसकी विस्तारवादी नीति में भारत सबसे बड़ा रोड़ा है। आश्चर्य है कि उसने म्यांमार, बंगलादेश, श्रीलंका में युद्धपोत तैनात कर दिए हैं। पाकिस्तान को तो उसने पूरी तरह अपने साथ मिला लिया है। इस हालत में भारत को विशेष सतर्क रहना पड़ेगा।
–वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर
दिल्ली-110051
20 अक्तूबर, 1962 को चीन ने भारत पर आक्रमण किया था। यह आक्रमण चीन का विश्वासघात भी था। चीन द्वारा विश्वासघात करने के कारण हमारे अनेक वीर शहीद हुए थे। उन वीरों की शहादत बेकार न जाए, यह प्रयास भारत का होना चाहिए।
–देशबन्धु
आर जेड-127, प्रथम तल, सन्तोष पार्क
उत्तम नगर, दिल्ली-110059
देश पर कलंक!
सम्पादकीय 'हरियाणा में दुष्कर्म का खौफनाक चेहरा' में एक गंभीर मामले को उठाया गया है। देश की बेटियां असुरक्षित महसूस कर रही हैं, यह पूरे देश के लिए कलंक है। इस देश में कहा जाता है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता बसते हैं। नारी की पूजा अभी भी हो रही है, फिर 'शैतान' कहां से पैदा हो रहे हैं? पश्चिमी संस्कृति की अंधी नकल हमारी सदियों पुरानी संस्कृति को नष्ट कर रही है।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग, नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)
मजबूती या मजबूर
श्री देवेन्द्र स्वरूप ने अपने लेख 'विकास की अंधी गली' में अति विचारणीय विषय उठाया है। जिन आधुनिक उपकरणों को हम विकास का पैमाना मान रहे हैं क्या वे हमारी मजबूती हैं या वे हमें मजबूर बना रहे हैं? यदि हम बिजली से चलने वाले उपकरणों पर अपनी निर्भरता बढ़ाते हैं तो यह सवाल उठता है कि इतनी बिजली आएगी कहां से? जिन उपकरणों को हमने अपनी जरूरत बना लिया है शायद उनके बिना भी काम चल जाता, परन्तु रोटी, कपड़ा और मकान का कोई विकल्प नहीं।
–विशाल कोहली
ए-5/बी, पश्चिम विहार
नई दिल्ली-110063
उर्दू को सरकारी संरक्षण
डा. शत्रुघ्न प्रसाद का लेख 'हिन्दी-उर्दू विवाद का सच' बड़ा ही तथ्यपूर्ण है। हमारी सेकुलर सरकारें वोट बैंक की खातिर उर्दू को प्रोत्साहित करती हैं और हिन्दी एवं संस्कृत की उपेक्षा। देखा जाए तो उर्दू ने पाकिस्तान के निर्माण में सहायता की थी। जब पूर्वी पाकिस्तान के बंगालियों पर उर्दू थोपी गई तब वहां विद्रोह हुआ और बंगलादेश का जन्म हुआ। जम्मू-कश्मीर राज्य में भी सरकारी भाषा उर्दू है, जबकि आम भाषा 'डोगरी' और कश्मीरी हैं।
–बी.एल. सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023
सुन्दर चित्रण
डा. कृष्ण गोपाल ने डा. अम्बेडकर के संघर्षों का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है। डा. अम्बेडकर ने समाज के वंचित बंधुओं को संवैधानिक अधिकार दिलाने और आपसी भाईचार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे वास्तव में समाज-सुधारक थे।
–डा. के.सी. गोयल
2/56, खिचड़ीपुर, दिल्ली-110091
जमीनी सच्चाई
श्री मुजफ्फर हुसैन ने अपने लेख 'नरेन्द्र मोदी से भयभीत है पाकिस्तान' में जमीनी सच्चाई का बयान किया है। कांग्रेस नरेन्द्र मोदी के बारे में दुष्प्रचार करती है। ऐसा लगता है उसी दुष्प्रचार की वजह से देश-विदेश के पत्रकार और स्तंभ लेखक भी दिग्भ्रमित होते हैं। जबकि नरेन्द्र मोदी एक विकास-पुरुष के रूप में जाने जाते हैं। उनकी इस विशेषता की चर्चा मीडिया जगत में कम ही होती है।
–हरेन्द्र प्रसाद साहा
नया टोला, कटिहार-854105 (बिहार)
पहले मुल्क या मजहब?
इतिहास दृष्टि में डा. सतीश चन्द्र मित्तल ने मजहबी उन्माद को रेखांकित किया है। जिन लोगों के लिए मुल्क से ज्यादा महत्व मजहब रखता है, उनसे देशप्रेम की उम्मीद करना बेकार है। जिन्होंने भी इस देश की सेवा की है उनका आज भी बड़ा आदर किया जाता है। किन्तु जो लोग बर्बरता से अपने मजहब का विस्तार करना चाहते हैं वे न तो अपने मजहब का भला कर रहे हैं और न ही अपने देश का।
–मनोहर 'मंजुल'
पिपल्या–बुजुर्ग, प.निमाड़ (म.प्र.)
अंक संदर्भ : 14 अक्तूबर, 2012
मानवतावादी संस्कृति
नई दिल्ली में सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत द्वारा दिए गए उद्बोधन का सार है कि भारतीय संस्कृति 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की कामना करती है। भारतीय संस्कृति के लिए पूरा विश्व एक परिवार है। जब ऐसी उदात्त सोच दुनिया की सभी संस्कृतियों की हो जाए तो फिर कहीं कोई समस्या ही नहीं रहेगी। भारतीय संस्कृति मानवतावादी है, उपभोगवादी नहीं।
–प्रमोद प्रभाकर वालसांगकर
1-10-81, रोड नं.-8 बी, द्वारकापुरम, दिलसुखनगर, हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)
आम जन की पीड़ा
चर्चा सत्र में श्री बल्देव भाई शर्मा के आलेख 'क्या भगवान भरोसे चलेगा देश' में आम जन की पीड़ा अभिव्यक्त हुई है। संप्रग सरकार जन-भावनाओं के खिलाफ काम कर रही है। सुरेश कलमाडी, ए. राजा और कनीमोझी को विभिन्न समितियों में नामांकित कर इस सरकार ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को एक तरह से नकार दिया है। यह सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगी है।
–राममोहन चंद्रवंशी
'अभिलाषा निवास', विट्ठल नगर, स्टेशन रोड टिमरनी, जिला–हरदा (म.प्र.)
चर्चा सत्र सरकार को आईना दिखाने वाला रहा। इसमें सरकार की नीतियों की बखिया उधेड़ी गई है। जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं उन्हें सरकारी समितियों में पद क्यों दिए जा रहे हैं? क्या उन पदों के लिए उनसे योग्य व्यक्ति नहीं मिल रहे हैं?
–प्रिन्स वर्मा
मंदावरा, इन्द्रा कालोनी, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)
हिन्दुओं का अपमान
श्री अरुण कुमार सिंह की रपट 'रामलीलाओं के आयोजन में सेकुलरी बाधा' से पता चलता है कि प्रशासन रामलीलाओं के मंचन को रोकना चाहता है। यह अधर्म ही नहीं, हिन्दुओं का अपमान है। यह षड्यंत्र किसके इशारे पर रचा जा रहा है? रामलीला समितियों की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। अनेक बाधाओं के बावजूद ये समितियां राम-कथा को जन-जन तक पहुंचा रही हैं।
–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा, रतलाम-457222 (म.प्र.)
हिन्दी के नाम पर लूट
व्यंग्य वाण स्तम्भ में श्री विजय कुमार ने अपने लेख 'आओ गाएं हिन्दी राग' में बड़े तार्किक दृष्टिकोण के साथ वास्तविक स्थिति का उल्लेख किया है। हिन्दी पखवाड़ा मनाने के नाम पर सरकारी और गैर-सरकारी संगठन सरकारी पैसे की लूट करते हैं। कार्यक्रम सिर्फ कागजों पर होते हैं। यह भी आश्चर्य है कि हिन्दी-भाषी देश में हिन्दी को प्रोत्साहन देने के लिए हिन्दी पखवाड़ा मनाया जाता है।
–उदय कमल मिश्र
गांधी विद्यालय के समीप, सीधी-486661 (म.प्र.)
प्रेरणादायक रपट
श्री हरिमंगल की रपट 'बहादुर बालाओं ने सिखाया सबक' प्रेरणादायक लगी। प्रयाग की दो छात्राओं-आरती यादव और पूर्णिमा सिंह ने मनचलों की पिटाई कर अन्य बहनों को प्रेरित किया है कि अपनी रक्षा के लिए स्वयं उठो। जब तक बहनें ही छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ नहीं उठेंगी तब तक मनचले सुधरेंगे नहीं। बहनों को लक्ष्मी बाई बन कर अपनी ताकत दिखानी होगी।
–राकेश काम्बोज
चौक बाजार, थाना भवन, शामली (उ.प्र.)
नारी अबला नहीं, शक्ति-स्वरूपा देवी है। वह अति का अन्त करना जानती है। प्रयाग में मनचलों को सबक सिखाने वाली बहनों का सम्मान होना चाहिए। अपने साथ होने वाली किसी भी घटना के समय बहनें थोड़ी भी हिम्मत दिखाएं तो अपराधियों को भागने के रास्ते नहीं मिलेंगे।
–विजय कुमार
शिवाजी नगर, वडा, जिला–थाणे (महाराष्ट्र)
पाठकों की दृष्टि में सुदर्शन जी
निवर्तमान सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन के निधन से राष्ट्रवादियों को बहुत बड़ा आघात लगा है। उनकी स्पष्टवादिता से छद्म सेकुलरवादियों में बेचैनी हो जाती थी। उनकी इस मान्यता में दम है कि मानव को विनाश से बचाना है तो भारतीय जीवन मूल्यों की ओर विश्व को लौटना होगा।
–क्षत्रिय देवलाल
उज्जैन कुटीर, झुमरी तलैया, कोडरमा-825409 (झारखण्ड)
सुदर्शन जी की विद्वता के प्रशंसक लाखों में हैं। उन्होंने अहर्निश राष्ट्र सेवा की। अशान्त असम और पंजाब में शान्ति लाने के लिए उन्होंने जो कार्य किया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
–कालीमोहन सिंह
गायत्री मंदिर, मंगलबाग, आरा-802301 (बिहार)
सुदर्शन जी राष्ट्र के अविचल पथिक थे। उनकी परमधाम विदाई से एक तेजस्वी जीवन का अध्याय समाप्त हो गया। उनसे प्रेरणा लेकर हम सब आगे बढ़ें।
–पारुल बिजल्वाण
36, तीरथ कालोनी, हरर्ावाला
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
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