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महिलाओं से सरेआम बदतमीजी आम बात होती जा रही है। घर से दफ्तर या बाजार जाती महिलाएं, स्कूल, कोचिंग या सफर पर निकली बच्चियां मनचलों की हरकतों और फब्तियां सहन को मजबूर अभ्यस्त सी हो गयी हैं। दरअसल समाज से लेकर परिजन तक यही सलाह देते आ रहे हैं कि रोज-रोज किस-किससे झगड़ा करोगी। लेकिन इस सहनशक्ति का परिणाम मनचलों को और आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करता है।
प्रयाग (इलाहाबाद) में पिछले कुछ हफ्तों के अन्दर कई ऐसी घटनाएं घटीं जिन्हें याद करके लोग भयभीत हो जाते हैं। शहर के केन्द्र में स्थित कटरा बाजार की एक छात्रा ने छेड़छाड़ और अश्लील हरकतों से तंग आकर आत्महत्या कर ली, तो दूसरी ओर स्कूल के वाहन से घर लौट रही छात्रा से चालक और उसके दोस्तों ने छेड़छाड़ करनी चाही तो वह चलती गाड़ी से कूद गयी। कई दिनों तक गंभीर हालात में रहने के बाद अब उसमें कुछ सुधार हुआ। लेकिन शायद अब लड़कियों की सहनशक्ति जवाब देने लगी है। तभी तो एक सप्ताह के अन्दर नगर की दो छात्राओं ने मनचलों को ऐसा सबक सिखाया है कि सब उनकी प्रशंसा कर रहे हैं।
पहली घटना 14 सितम्बर की है। प्रयाग विश्वविद्यालय की छात्रा आरती यादव रोज की तरह आटो से उतर कर भीड़भाड़ वाले इलाके से विश्वविद्यालय जा रही थी। तभी उसे आए दिन परेशान करने वाला विवेक सिंह अपनी मोटर साइकिल से आया और आरती को रोक लिया। लेकिन उस दिन आरती की सहनशक्ति जवाब दे गयी और जो कुछ हुआ जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। आरती ने अपनी चप्पल उतारी और टूट पड़ी विवेक पर। विवेक ने भागना भी चाहा लेकिन आरती ने उसे पीटते-पीटते धक्का दे दिया और वह मोटर साइकिल सहित गिर पड़ा। विवेक किसी तरह जान बचाकर भाग गया लेकिन आरती का गुस्सा कम नहीं हुआ। उसने बगल में पड़ी ईंट उठायी और मोटर साइकिल पर टूट पड़ी। उसे बुरी तरह कुचलने के बाद भीड़ से माचिस मांगी और टंकी से पेट्रोल गिराकर मोटर साइकिल फूंक दी। पूरी मोटर साइकिल चंद क्षणों में आग का गोला बन गयी। घटना के बाद आयी पुलिस ने आरती की शिकायत पर विवेक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया। आरती ने कहा कि वह विवेक के कारण काफी दिनों से परेशान थी। विवेक की लगातार बढ़तीं हरकतें देखकर उसकी सहनशक्ति खत्म हो गयी थी।
यह घटना अभी चर्चा में ही थी कि 22 सितम्बर को एक और छात्रा पूर्णिमा सिंह ने भी मनचलों को अपना रौद्र रूप दिखा दिया। बीसीए की छात्रा पूर्णिमा सिंह रोज की तरह कोचिंग पढ़कर अपने सहपाठी की मोटर साइकिल से घर जाने के लिए निकली। कुछ देर बाद उसे लगा कि उसके पीछे-पीछे कोई मोटर साइकिल से चल रहा है। मोटर साइकिल सवार दोनों मनचले पूर्णिमा सिंह की मोटर साइकिल के पास आकर गन्दे-गन्दे व्यंग्य करने लगे और अश्लील हरकतें शुरू कर दीं। कुछ देर तक सहन होता रहा, फिर पूर्णिमा ने मुख्य सड़क पर एक अस्पताल के पास मोटर साइकिल रुकवा ली। लेकिन बिगड़ैल मनचलों ने भी अपनी मोटर साइकिल उसी के पास रोक कर पूर्णिमा सिंह को खींचने का प्रयास किया। साहसी पूर्णिमा और उसका सहपाठी पवन मनचलों से भिड़ गये। इसी बीच एक मनचले ने जेब में रखा कोई पाउडर निकाला और पूणिर्मा के चेहरे पर फेंक दिया। पाउडर पड़ते ही पूर्णिमा बेहोश हो गयी। सरेआम मनचलों की हरकत देख रहे लोग दौड़े तो मनचले मोटर साइकिल लेकर भागने लगे, लेकिन उनकी मोटर साइकिल हड़बड़ी में एक दूसरी मोटर साइकिल से टकरा गयी और दोनों गिर पड़े। फिर वे दोनों मोटर साइकिल छोड़कर पैदल ही भाग गये।
भीड़ ने पानी के छींटे मारे तो पूर्णिमा को होश आया। होश आते ही पूर्णिमा गुस्से से आग बबूला होकर मनचलों की मोटर साइकिल पर टूट पड़ी। गाड़ी में पेट्रोल न होने के कारण वह फुंकने से तो बच गयी लेकिन जितना संभव था उतना पूर्णिमा ने उसे ईंट से क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस ने पूर्णिमा की शिकयत पर मुकदमा लिखा और मोटर साइकिल की पहचान के सहारे दोनों मनचलों तक पहुंच गयी। उनमें एक आबकारी विभाग में सिपाही तो दूसरा कानपुर का छात्र है। फिलहाल दोनों जेल में हैं। प्रयाग की इन दो बहादुर बालाओं ने न केवल मनचलों को सबक सिखाया बल्कि लड़कियों का हौसला भी बढ़ाया है।
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