कांग्रेस: भ्रामक इतिहास का यथार्थ
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कांग्रेस: भ्रामक इतिहास का यथार्थ

by
Sep 27, 2011, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

साहित्यकी

दिंनाक: 27 Sep 2011 19:12:07

सन् 1857 से 1947 तक चले भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अनेक दलों, संगठनों, समूहों और व्यक्तियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। यह सही है कि 90 वर्ष तक चले व्स आंदोलन में कुछ दलों की भूमिका प्रमुख रही लेकिन व्सका यह मतलब निकालना कि सिर्फ उन्हीं की वजह से या उनके संघर्ष से ही देश स्वतंत्र हुआ, पूरी तरह असत्य और उन लाखों देशप्रेमियों के साथ धोखा है जिन्होंने अपने प्राण तक व्स देश को आजाद कराने के लिए गंवा दिए। खेद का विषय है कि आजादी के बाद से लेकर अब तक सर्वाधिक समय तक सत्तासीन रही कांग्रेस पार्टी की मंशा हमेशा से यही रही है कि व्तिहास में व्स बात को स्थापित करा दिया जाए कि स्वाधीनता आंदोलन वास्तव में कांग्रेस का देश को स्वतंत्र कराने का आंदोलन था। व्तिहास में व्स तरह के भ्रामक तथ्यों को स्थापित करने के व्स राजनीतिक कुप्रयासों को अनावृत्त करती पुस्तक इकांग्रेस: अंग्रेज भक्ति से राजसत्ता तकइ हाल में ही प्रकाशित हुवर्् है। व्तिहास और राजनीति विज्ञान के सुपरिचित विद्वान डा. सतीश चंद्र मित्तल ने अनेक प्रमाणों के आलोक में सत्य को सामने लाने का प्रयास किया है।

कुल आठ अध्यायों में विभाजित यह पुस्तक कांग्रेस की स्थापना से लेकर उसकी नीतियों, सिद्धांतों और उद्देश्यों को सामने लाती है। पुस्तक के प्रथम अध्याय में ए.ओ. ह्रूम द्वारा कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों को गहनता से विश्लेषित किया गया है। व्ससे सिद्ध होता है कि ह्रूम कांग्रेस की स्थापना के जरिए एक ऐसी संस्था चाहते थे जो अंग्रेजी पढ़े-लिखे भारतीयों की हो। कांग्रेस की सदस्यता के लिए अंग्रेजी में निपुणता और ब्रिाटिश सरकार के प्रति भक्ति अनिवार्य थी। पुस्तक में अनेक विद्वानों और उस दौर के राष्ट्र के प्रति समर्पित व्यक्तियों के वक्तव्यों और पुस्तकों के उद्धरणों से सिद्ध किया गया है कि अपनी स्थापना के शुरुआती 20 वर्ष तक कांग्रेस पूरी तरह निष्क्रिय, ब्रिाटिश शासन के प्रति समर्पित उदारवादियों की नीतियों पर चलती रही। यही वजह थी कि उस कालखण्ड में कांग्रेस ने राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ाने या स्वतंत्रता को प्राप्त करने की दिशा में कोवर्् भी ठोस कदम नहीं उठाया। हालांकि व्सी दौरान राष्ट्रवादी नेताओं के कांग्रेस में प्रवेश ने स्थितियों में बदलाव किया। परिणामस्वरूप वैचारिक स्तर पर कांग्रेस दो भागों में विभाजित हो गवर््। लगभग दस वर्ष तक दो भागों में विघटित हुवर्् कांग्रेस पुन: 1916 में गांधीजी के प्रयासों से एकजुट हुवर््। व्स तरह कांग्रेस में एक तीसरा वर्ग समझौतावादियों का भी बन गया। व्न अध्यायों से क्रमिक रूप से गुजरने पर यह स्पष्ट होता है कि अपनी स्थापना से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक कांग्रेस पार्टी पूरी तरह राष्ट्रवादी विचारधारा को कभी नहीं अपना सकी। अर्थात् वह मानसिक रूप से अंग्रेजों के प्रभाव से कभी मुक्त नहीं हो पावर््। साथ ही अपने गठन से ही कांग्रेसी नेताओं में परस्पर टकराव, मन-मुटाव और गुटबाजी रही। व्न सबसे स्वयं गांधी जी भी बहुत व्यथित और निराश थे। उनके व्स वक्तव्य को यहां उद्धृत करना समीचीन होगा, इदेश की आजादी के व्स भयंकर संघर्ष में सफलता नहीं प्राप्त कर सकते, यदि कांग्रेसजन अपने व्यवहार में पर्याप्त नि:स्वार्थ भाव, अनुशासन और लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपनाए गए मार्ग में विश्वास प्रकट न करेंगे।इ पुस्तक के अध्याय, इराजसत्ता की प्राप्तिइ में दिए गए उद्धरणों से सिद्ध होता है कि गांधी जी सहित अनेक बड़े नेताओं के कड़े विरोध और अनिच्छा के बावजूद कांग्रेस के ढुलमुल रवैये ने ही देश को विभाजन की त्रासदी झेलने की ओर धकेला।

पुस्तक के दूसरे खण्ड में कुल तीन अध्याय हैं। व्नके जरिए लेखक ने कांग्रेस के संवैधानिक ढांचे, उसके मूल उद्देश्य और छद्म राष्ट्रवाद को सामने लाने का प्रयास किया है। पुस्तक में दर्ज ऐतिहासिक प्रमाणों से सिद्ध होता है कि अपने गठन से लेकर कवर्् वर्षों तक कांग्रेस बिना किसी नियमावली और संविधान के काम करती रही और जब संवैधानिक ढांचा बनाया गया तभी से देश में साम्प्रदायिक विभाजन और मुस्लिम तुष्टिकरण को हवा दी जाने लगी। व्न नीतियों और कार्यशैली से क्षुब्ध होकर गांधी जी को हस्तक्षेप करना पड़ा और सन् 1920 में कांग्रेस का नया संविधान (गांधी जी के सिद्धातों पर आधारित) लागू हो पाया। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गांधी जी द्वारा प्रस्तावित नए दल के गठन और कांग्रेस को पूर्णत: समाप्त करने के प्रस्ताव को कांग्रेसी नेताओं ने नहीं माना। दरअसल, गांधी जी लोकसेवक संघ के रूप में राष्ट्रीय संगठन चाहते थे जो देश की 40 करोड़ आबादी के लिए काम करे लेकिन कांग्रेसी नेताओं की राजसत्ता की ललक ने गांधी की हत्या से पहले ही उनकी व्च्छाओं और सपनों की हत्या कर दी थी। व्स तरह कांग्रेस विशुद्ध राजनीतिक पार्टी बन गवर््।

कांग्रेस की नीतियों और उसके सिद्धातों पर लेखक का निष्कर्ष स्वतंत्रता के बाद की स्थितियों के सर्वथा अनुकूल लगता है। लेखक का कहना है कि इकांग्रेस का राष्ट्रवाद न तो पश्चिमी राष्ट्रवाद पर आधारित था, न ही व्सका कोवर्् संबंध प्राचीन भारतीय राष्ट्रवाद से था, बल्कि यह था भारत का धूमिल, भ्रमित तथा छद्म कांग्रेसी राष्ट्रवाद।इ द पुस्तक -कांग्रेस:अंग्रेज भक्ति से राजसत्ता तक लेखक – प्रो. सतीश चंद्र मित्तल प्रकाशक – अखिल भारतीय व्तिहास
संकलन योजना, बाबा साहेब आप्टे भवन,
केशवकुंज, झंडेवालान, नवर्् दिल्ली-55 मूल्य – 150 रु. पृष्ठ – 167

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies