जनता देख रही सुशासन की राह
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

जनता देख रही सुशासन की राह

by
Dec 31, 2011, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

आवरण कथा

दिंनाक: 31 Dec 2011 15:42:51

विधानसभा चुनावों की बिछ गयी बिसात

27 दिसम्बर को निर्वाचन आयोग द्वारा देश के पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, गोवा और मणिपुर- में विधानसभा चुनाव संपन्न कराने संबंधी तिथियों की घोषणा के साथ ही इन राज्यों में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटों के लिए 4, 8, 11, 15, 19, 23 और 28 फरवरी 2012 को सात चरणों में, पंजाब में विधानसभा की 117 सीटों के लिए 30 जनवरी 2012 को, उत्तराखण्ड की 70 विधानसभा सीटों के लिए 30 जनवरी 2012 को, मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों के लिए 28 जनवरी 2012 को और गोवा की 40 विधानसभा सीटों के लिए 3 मार्च 2012 को चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों ने जनता के बीच संपर्क-दौरे बढ़ा दिए हैं। लेकिन जनता समझदार है, वह हर दल के चाल-चरित्र और काम-व्यवहार को आंक रही है। वह पूरी तैयारी में है कि इस बार इन राज्यों में किसी चुनावी झांसे से दूर रहकर हर दल को कसौटी पर परखे। जनता क्या मन बना रही है और दल क्या रणनीतियां बना रहे हैं, इस संदर्भ में हम यहां उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और पंजाब के हाल-चाल प्रस्तुत कर रहे हैं। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री खण्डूरी ने अपने साक्षात्कार में वह विश्वास झलकाया है जो उनके काम से जनता में जगा है। उस साक्षात्कार के अंशों सहित प्रस्तुत है यह चुनावी विहंगावलोकन। सं.

उत्तर प्रदेश

गुण्डाराज-माफियाराज से त्रस्त मतदाता

मांगेंगे दो टूक हिसाब

लखनऊ से सुभाषचंद्र

संसद में सर्वाधिक 80 सीटों का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रमुख दल अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। मई  2007 के बाद जनता को अपनी सरकार चुनने का फिर अवसर मिला है। मतदाताओं के सामने सरकार व बसपा के साथ ही उस सपा से हिसाब मांगने का समय आ गया है जो मुख्य विपक्षी पार्टी है और जिसके मुखिया मुलायम सिंह यादव 2007 से पहले मुख्यमंत्री थे, जिनके गुंडाराज के खिलाफ जनता ने मायावती को बहुमत दिया था। उस कांग्रेस से भी हिसाब मांगने का अवसर आ गया है जो रही तो विपक्ष में लेकिन कभी विपक्ष जैसा व्यवहार नहीं दिखा। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार ने समय-समय पर भ्रष्टाचारी माया सरकार को बचाया ही। दोनों में रणनीतिक रूप से नूराकुश्ती जारी रही। इस चुनाव में भाजपा को भी जनता के सामने साबित करना होगा कि वह सपा, बसपा और कांग्रेस से इतर सुशासन देने वाला विकल्प है।

मुख्य मुद्दा

उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा मुद्दा मायावती का करीब पांच साल का कार्यकाल है। सपा, कांग्रेस और भाजपा के निशाने पर बसपा और मायावती की सरकार होगी। सरकार के वायदों को जनता कसौटी पर कसेगी। मायावती ने सपा और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कुशासन को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा था। नारा लगा था-चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर- परेशान जनता को नारा जमा, मायावती पर भरोसा किया। हालांकि उस समय भी मायावती ने दागियों को टिकट दिया था। लेकिन जनता ने उन्हें एक मौका दिया और पूरे बहुमत के साथ दिया। मई 2007 में वह मुख्यमंत्री बनीं तो पहला गलत फैसला किया दागी मित्रसेन यादव (भ्रष्टाचार में अभी हाल ही में निचली अदालत से सात साल की सजा हुई, मित्रसेन अब सपा के उम्मीदवार हैं) के जेल में बंद पुत्र व पार्टी के दागी विधायक आनंदसेन को मंत्री बनाने की घोषणा करके। जनता की भावनाओं पर तुषारापात। शपथ नहीं ले सके, जेल से बाहर निकले तो अलग से शपथ दिलायी गई। गृह जनपद फैजाबाद की एक कालेज छात्रा शशि पहले अगवा की गई और बाद में उसकी हत्या हो गई। विधायक आनंदसेन के उससे कथित अवैध संबंध चर्चा में आए। हत्या की साजिश का आरोप सिद्ध होना ही था। उन्हें उम्रकैद की सजा हुई। मंत्री पद से हटाना पड़ा।

औरेया से बसपा विधायक शेखर तिवारी ने हफ्ता न देने पर वहां कार्यरत एक इंजीनियर को पीट-पीटकर मार डाला। मुकदमा दर्ज हुआ। बचाने की कोशिश हुई लेकिन सारे सबूत उनके खिलाफ थे। उन्हें भी उम्रकैद की सजा हुई। इसी बीच एक अन्य विधायक अमरमणि त्रिपाठी, मायावती की पिछली सरकार में मंत्री थे, के मंत्री रहते हुए कवयित्री मधुमिता शुक्ला से प्रेम प्रसंग की खासी चर्चा हुई। बात गंभीर हुई तो एक दिन मधुमिता की हत्या हो गई। वह गर्भवती थी। त्रिपाठी को मंत्री पद से जाना पड़ा। सीबीआई जांच में दोषी पाए गए और पत्नी मधुमणि के साथ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। बसपा विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी पर शीलू नाम की किशोरी के साथ दुराचार का आरोप लगा। उसने मुंह खोलने की कोशिश की तो चोरी के आरोप में उसे जेल भेज दिया गया। मीडिया में बात आई तो पुरुषोत्तम फंस गए। मुकदमा दर्ज हुआ। शीलू जेल से बाहर आई और पुरुषोत्तम नरेश अब जेल की हवा खा रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डिबाई से बसपा विधायक गुड्डू पंडित भी प्रेम प्रसंग में फंसे, जेल की हवा खानी पड़ी। बाद में स्थानीय निकाय चुनाव में बीडीसी सदस्य के अपहरण मामले में भी जेल गए। उन पर मायावती इतनी मेहरबान हुईं कि सामान्य विधायक होते हुए मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री को मिलने वाली जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान कर दी। मायावती सरकार के एक दर्जन से अधिक मंत्री लोकायुक्त की भ्रष्टाचार संबंधी जांच में दोषी पाए जाने पर हटाए गए। दो मंत्री एनएचआरएम घोटाले, दो सीएमओ व एक डिप्टी सीएमओ की हत्या के आरोप में हटाए गए। राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त कई लोगों को भ्रष्टाचार या अवैध यौन संबंधों में लिप्तता के कारण हटना पड़ा। ये मुद्दे ऐसे हैं जो बहुप्रचारित हैं, जनता के बीच आ चुके हैं।

क्या हैं तैयारियां?

प्रदेश के चुनावी महाभारत में सभी दलों की सेनाएं आ डटी हैं। सबके तरकश में अपने-अपने विषबुझे तीर हैं। दलगत कार्यक्रमों पर चर्चा कम होगी, निजी आरोप-प्रत्यारोप प्रभावी भूमिका अदा करेंगे। विभिन्न दलों की करनी पर डाल लेते हैं एक नजर।

बसपा: मुसलमानों को आरक्षण का चुग्गा, प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की नाटकीय चाल और सरकार में होने की हानि उठानी पड़ेगी, तो सत्ता में रहने का लाभ लेने की भी कोशिश होगी। मायावती चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद जोर-जबरदस्ती की कोशिश करेंगी। इस बार बसपा की राह आसान नहीं होगी। पार्टी में पहले जैसी एकजुटता नहीं है। विद्रोह के हालात होंगे। प्रत्याशियों और समर्थकों में अविश्वास की भावना भी बढ़ी है।

सपा: आशा की जा रही थी कि पुरानी भूलों से सपा और उसके मुखिया मुलायम सिंह सीख लेकर लेंगे, लेकिन ऐसा दिखा नहीं। बसपा के तत्कालीन दागी विधायक गुड्डू पंडित के खिलाफ उनकी पार्टी ने सड़कों पर संघर्ष किया था, बसपा से हटते ही वही गुड्डू पंडित सपा को इतने प्रिय लगे कि उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया और डिबाई से ही उन्हें सपा का उम्मीदवार बना दिया गया। कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में उम्रकैद की सजा काट रहे अमरमणि त्रिपाठी के पुत्र अमनमणि त्रिपाठी को पार्टी का टिकट दे दिया। अब अगर मुलायम सिंह मायावती के खिलाफ कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाएं तो जनता शायद ही विश्वास करे।

कांग्रेस: कांग्रेस की तैयारी राहुल गांधी की सक्रियता तक सीमित है। राहुल कितना भी दौरा कर लें, लेकिन केंद्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार, महंगाई से कराह रही जनता के आक्रोश से कांग्रेस बच नहीं सकती है। वह पिछले 22 साल से सत्ता से बाहर है। पार्टी बुरी तरह टूट भी चुकी है। संगठन क्षत-विक्षत पड़ा है। राहुल का करिश्मा बिहार विधानसभा चुनाव में तो दिखा नहीं।

भाजपा: भाजपा भी लगातार दो विधानसभा चुनाव हार चुकी है। उसके भी कई कद्दावर नेता उसके साथ नहीं हैं। इसके बावजूद वह संगठन के स्तर पर अपने को मजबूत करने में लगी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद नितिन गडकरी का सबसे अधिक ध्यान उत्तर प्रदेश पर रहा। उमा भारती की वापसी के तत्काल बाद उनका उत्तर प्रदेश के मोर्चे पर डट जाना भाजपा की चुनावी गंभीरता को दर्शाता है। विनम्र स्वभाव के संजय जोशी के आने के बाद संगठन स्तर पर सक्रियता बढ़ी है। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह व उपाध्यक्ष कलराज मिश्र की क्रमश: पश्चिम और पूरब से निकलीं रथयात्राओं से जनता और कार्यकर्ताओं के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में पार्टी अपने को सफल मान रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि भाजपा ने माया के भ्रष्टाचार पर दस्तावेजी सबूतों के साथ तगड़ा हमला बोला है। भाजपा ने यह भी साफ कर दिया है कि वह अपने सहयोगियों के अलावा किसी कीमत पर किसी भी दल से चुनाव में या चुनाव बाद गठबंधन नहीं करेगी, चाहे विपक्ष में ही क्यों न बैठना पड़े। द

उत्तराखण्ड

पहाड़ का विकास जगा रहा विश्वास

-मे.ज. (से.नि.) भुवन चंद्र खण्डूरी, मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड

मनोज गहतोड़ी

प्रदेश की बागडोर संभालने के कुछ समय के भीतर ही भ्रष्टाचार की जड़ पर चोट करके उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चन्द्र खण्डूरी ने तीन महीनों के कामकाज से यह साबित कर दिखाया है कि यदि नीयत साफ हो तो कम समय में भी अच्छा और ज्यादा काम किया जा सकता है। इतने कम समय में खण्डूरी ने अब तक कोई सवा सौ से अधिक जन-कल्याणकारी फैसले लेकर उत्तराखण्ड की जनता का दिल जीता है। सरकार के कामकाज एवं आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में पाञ्चजन्य के साथ बातचीत में उन्होंने जो कहा, यहां प्रस्तुत हैं इसके सम्पादित अंश-

 

थ् विधानसभा चुनावों को लेकर क्या तैयारियां हैं? चुनाव किस मुद्दे पर लड़ा जा रहा है?

द भारतीय जनता पार्टी ने पिछले पांच वर्षों में क्या काम किए और कांग्रेस ने क्या किया, चुनाव में हम उसकी तुलना आम जनता के बीच करेंगे। राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी ने साढ़े पांच साल में अटल जी के नेतृत्व में क्या किया और कांग्रेस ने देश में आजादी के बाद 64 में से 54 साल के राज में क्या किया, हम इस पृष्ठभूमि मे जायेंगे। उत्तराखण्ड किसने बनाया, किन उद्देश्यों को लेकर उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना हुई आदि बहुत सारे प्रश्न हैं जिनका जबाव स्वयं जनता के पास है। पूर्ण आत्मविश्वास के साथ हम कह सकते हैं कि अभूतपूर्व विकास कार्यो के बल पर भारतीय जनता पार्टी पुन: सरकार बनाएगी।

थ् जनता के बीच और क्या मुद्दे लेकर जा रहे हैं?

द अहम मुद्दा यह है कि हमने पिछले पांच वर्षो में अभूतपूर्व फैसले लिए हैं। 2007 में सत्ता में आते ही सरकारी भर्ती की प्रक्रिया को बदलकर उसे पूरी तरह पारदर्शी बनाया। सरकारी सेवा को भ्रष्टाचार मुक्त बनाया। मात्र 15000 रु. फीस पर हमने एम.बी.बी.एस. डाक्टर बनाने के लिए मेडिकल कालेज खोले। गौरा देवी कन्या धन, नन्दा देवी कन्या धन, अटल खाद्यान्न योजनाएं चलायी हैं। पिछले तीन महीनों के अन्दर लोकायुक्त विधेयक लाना, जन सेवा विधेयक लाना, 4 लाख हेक्टेयर वन भूमि पर बेनाप भूमि के ब्रिटिशकालीन फैसले को निरस्त किया। मंत्रियों, विधायकों तथा मुख्यमंत्री के लिए अपनी संपत्ति का ब्योरा देने का विधेयक लाकर जनकल्याणकारी फैसले किये। हमने भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए पूरे देश में पहली बार अलग से एक विभाग बनाया है। भ्रष्टाचार उन्मूलन ही इसका उद्देश्य है। इसे हम तेजी के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।

थ् मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद आपकी सरकार ने गत तीन माह में क्या उपलब्धियां अर्जित कीं?

द  पिछले तीन महीनों में बहुत सारे काम हुए हैं जिनकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। हम विचार के साथ चलने वाले लोग हैं। वैचारिक प्रतिबद्धता हमारे मूल में है। भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम, सशक्त लोकायुक्त विधेयक, लोकसेवकों द्वारा अनधिकृत और बेनामी सम्पत्ति को जब्त करने के विरुद्ध कानून बनाना जैसी अनेकों उपलब्धियां हमारी सरकार ने हासिल की हैं। जो समस्याएं पिछले 10 सालों से चली आ रही थीं, उनका समाधान किया है।

थ् उत्तराखण्ड में 40 प्रतिशत आबादी युवाओं की है, युवाओं के लिए क्या ठोस नीति है?

द उत्तराखण्ड में 11 सालों के दौरान पहली बार युवाओं के लिए नीति बनी है। उस नीति का आधार यह है कि हम युवाओं की शक्ति का सदुपयोग प्रदेश हित में करें। 40 प्रतिशत युवाओं वाला राज्य है उत्तराखण्ड। सरकारी नौकरियों के माध्यम से युवाओं के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हमने सरकारी विभागों में भर्तियां शुरू की हैं। प्रदेश के विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। अच्छी शिक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए हमने युवा-नीति बनाई है।

थ् पहाड़ के एक तिहाई गांव लगभग खाली हो गये हैं, पलायन रोकने के लिए क्या उपाय किये हैं सरकार ने?

द  यह बहुत बड़ी समस्या है, इसके पीछे सुविधाओं का अभाव होना है। इसके लिए हमने एक उद्योग-नीति बनाई है जो 2008 में शुरू की गई थी, उसे अभी अद्यतन किया गया है। पहाड़ में जो उद्योग लगेंगे, उसमे वहां के स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिलेगी। बड़े उद्योग पहाड़ों में जा नहीं सकते, इसलिए वहां लघु उद्योग ही कारगर हैं। मुझे आशा है कि कुछ समय बाद पुन: लोग पहाड़ों का रुख करेंगे और पलायन रुकेगा।

थ् संस्कृत शिक्षा के विकास के लिए सरकार ने खूब घोषणाएं कीं, लेकिन वह धरातल पर नहीं उतर पायीं।

द  संस्कृत के उन्नयन से ही भारतीय संस्कृति जिन्दा रह सकती है। वैसे भी हमने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया है। प्रदेश में संस्कृत के विद्वान हैं, जिनकी प्रेरणा से हमने संस्कृत के विकास के लिए ठोस शुरुआत की है। पिछली कैबिनेट बैठक में हमने संस्कृत शिक्षा का समाज में दायरा बढ़ाने और रोजगार से जोड़ने की कार्ययोजना को मंजूरी दी है। संस्कृत विद्यार्थियों के लिए बी.ए.एम.एस. में दाखिला, हरिद्वार में संस्कृत विश्वविद्यालय का नाम महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय किया, संस्कृत शिक्षा के लिए शासन द्वारा अलग अनुभाग, संस्कृत शिक्षा उत्थान की परियोजना के तहत कई कार्ययोजनाओं को स्वीकृति दी है। संस्कृत शिक्षकों का वेतनमान बहुत कम था, अब प्रदेश के अन्य शिक्षकों की भांति ही उन्हें भी सभी सुविधाएं प्रदान की गई हैं।

थ् भारतीय जनता पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की क्या स्थिति है? 

द  भारतीय जनता पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव नहीं है, बल्कि यह बहुत ज्यादा है और इसलिए जो भी समस्या होती है उसे बातचीत के द्वारा सुलझा लिया जाता है। भारतीय जनता पार्टी एक कार्यकर्ता आधारित पार्टी है, कार्यकर्ताओं की पार्टी है। हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों पर चलने वाले कार्यकर्ता हैं। केन्द्रीय नेतृत्व का दिशादर्शन लगातार मिलता है, जिससे ऊर्जा बनी रहती है।

थ्चुनावों में टिकट वितरण को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने क्या नीति अपनाई है?

द टिकट वितरण के लिए हमारा शीर्ष नेतृत्व जो भी फैसला लेता है, वह सभी को मान्य होता है। टिकट वितरण की हमारी पुरानी नीति रही है, समन्वय और सामंजस्य। कार्यकर्ता ही भारतीय जनता पार्टी की रीढ़ हैं। जमीनी कार्यकर्ताओं की सलाह पर ही निर्णय होते हैं। यह प्रक्रिया चल रही है।द

 

पंजाब

विकास ने दी अकाली दल (बादल)- भाजपा गठजोड़ को मजबूती

राकेश सैन

पंजाब के राजनीतिक गलियारों में आजकल चुटकुला चल रहा है- पुन्नयां दे चन्न दे दर्शन हुंदे हन 18 दिनां बाद, ओह केहड़ी हस्ती है जो पंज सालां बाद दिसदी है? (पूर्णिमा का चंद्रमा 18 दिनों के बाद दिखता है और वह कौन हस्ती है जो 5 साल में एक बार दिखती है? उत्तर मिलता है कैप्टन अमरिंदर सिंह। मुख्यमंत्री रहते हुए वे 2007 में दिखाई दिए थे और अब 2012 में पंजाब के लोगों को उनके दोबारा दर्शन करने का “सौभाग्य” मिल रहा है। पंजाब के लोग अब उन्हें पंचवर्षीय नेता के नाम से बुलाने लगे हैं। चाहे सत्ता में हो या विपक्ष में, वे जनसाधारण तो दूर कांग्रेसी विधायकों व सांसदों तक से दूरी बनाए रखते हैं। इसके बिलकुल विपरीत हैं उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, जो सत्ता में हों या विपक्ष में, दोनों स्थितियों में जनता से संपर्क बनाए रखते हैं। पंजाब में वर्तमान में चल रहे चुनावी महासंग्राम में जहां पार्टी के रूप में कांग्रेस पार्टी राष्ट्रव्यापी भ्रष्टाचार का दंश झेल रही है और समूचा विपक्ष बिखरा नजर आ रहा है वहीं सत्तापक्ष शिरोमणि अकाली दल (बादल) और भारतीय जनता पार्टी का गठजोड़ विकास और स्वच्छ प्रशासन के मुद्दे लेकर जनता के बीच उतरा है।

अभी विधानसभा की 117 सीटों में से शिरोमणि अकाली दल (बादल) के 50, कांग्रेस के 43 और भारतीय जनता पार्टी के 19 विधायक हैं। विगत चुनाव में 5 विधायकों ने निर्दलीय के रूप में चुनाव जीता था। वर्तमान सरकार की मुख्य उपलब्धियों में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को 20 रुपए किलो दाल, 4 रुपए किलो आटा देने की योजना, राज्य की जनता को सेवा का अधिकार उपलब्ध करवाना, आधारभूत ढांचे का विकास, विद्युत उत्पादन में वृद्धि, फसलों की उचित सरकारी खरीद, सिंचाई क्षेत्र में सुधार, ग्रामीण क्षेत्रों में छात्राओं को साईकिल उपलब्ध करवाना, सवा लाख सरकारी नौकरियों में पारदर्शी भर्ती, किसानों को फसलों का समय-समय पर बोनस देना, बठिंडा में गुरु गोबिंद सिंह तेलशोधक कारखाने में उत्पादन शुरू करवाना, चुंगी माफी इत्यादि कई अन्य योजनाएं गिनवाई जा सकती हैं। इन योजनाओं से राज्य में जहां समृद्धि आई है वहीं जनता ने राहत की सांस भी ली है।

उधर कांग्रेस केन्द्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े महाघोटालों में घिरी नजर आ रही है। अपनी पंजाब यात्रा के दौरान अमरिंदर सिंह ने पुरानी चाल को दोहराने की कोशिश तो की, परंतु लोगों ने उनके बेबुनियाद आरोपों को गंभीरता से नहीं लिया। विपक्ष के पास सरकार के खिलाफ प्रभावशाली मुद्दों का अभाव नजर आ रहा है।

एक तरफ जहां विपक्ष मुद्दे तलाश रहा है वहीं वह बिखरा हुआ भी है। बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन की संभावनाओं को नकारते हुए अभी तक 90 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अवतार सिंह करीमपुरी के अनुसार बाकी उम्मीदवार भी जल्द घोषित कर दिए जाएंगे। इसके उम्मीदवार जितने भी मत हासिल करते हैं वे कांग्रेस के कोटे के ही होंगे।

कांग्रेस को अकाली दल (बादल) से अलग होकर पंजाब पीपुल्स पार्टी गठित कर चुके पूर्व वित्तमंत्री व मुख्यमंत्री के भतीजे मनप्रीत बादल से बहुत आशाएं थीं। पार्टी का अनुमान था कि अकाली वोट में सेंध लगाने में वे सफल होंगे परंतु देखने में उलटा ही आ रहा है। मनप्रीत बादल की पार्टी सत्ताविरोधी मतों में ही सेंध मारती नजर आ रही है। उल्लेखनीय है कि मनप्रीत बादल के बहुत से वरिष्ठ साथी उन्हें छोड़ कर कांग्रेस में जा चुके हैं जो सत्तापक्ष से नाराज होकर उनके साथ जुड़े थे। कांग्रेस के मुक्तसर व फरीदकोट जिले में इन अकाली पृष्ठभूमि वाले नेताओं के आने से खुद कांग्रेस गृहक्लेश का शिकार हो चुकी है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मनप्रीत बादल कांग्रेस के लिए भस्मासुर साबित हो सकते हैं।

वामपंथी दलों व अकाली दल (लोंगोवाल) के साथ चुनावी गठजोड़ करके मनप्रीत बादल चाहे खुश हो लें, परंतु विगत सभी चुनावों के परिणाम देखें तो पता चलता है कि राज्य में वामपंथी दलों का जनाधार नाममात्र रह गया है। अकाली दल लोंगोवाल उन दलों में है जिनके नेता केवल समाचारपत्रों में ही दिखाई देते हैं। आज चाहे कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पार्टी चुनाव लड़ती दिख रही है, परंतु पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राजिंद्र कौर भट्ठल व श्री जगमीत बराड़ की प्रतिद्वंद्विता किसी से छिपी नहीं है। ये नेता भी अपने आप को मुख्यमंत्री पद का दावेदार समझते हैं।

विगत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पंजाब के मालवा क्षेत्र से बढ़त हासिल हुई थी। इसका कारण था कि सिरसा (डेरा सच्चा सौदा) ने खुलकर कांग्रेस पार्टी समर्थन किया। कांग्रेस ने भी डेरा संचालक संत गुरमीत राम रहीम के समधी श्री हरमिंदर जस्सी को बठिंडा विधानसभा क्षेत्र से चुनावी टिकट देकर उपकृत किया था। इन पांच वर्षों के दौरान कई कारणों के चलते डेरा श्रद्धालुओं व कांग्रेस के बीच रिश्ते बने नहीं रह पाए। जहां विगत विधानसभा के दौरान डेरे के श्रद्धालु कांग्रेसी उम्मीदवारों के पक्ष में तीन-चार महीने पहले ही लामबंद हो गए थे, वे वर्तमान में चुनाव में एक महीना रहने के बावजूद निष्क्रिय बैठे हैं। आज परिस्थितियां कुछ बदली-बदली सी लग रही हैं क्योंकि इन पांच सालों में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उप-मुख्यमंत्री श्री सुखबीर बादल, भाजपा नेता श्री अरुण जेटली सहित अनेक लोग सार्वजनिक रूप से डेरा संचालक से भेंट करते रहे हैं।

इसके विपरीत अकाली दल-भाजपा गठजोड़ को उस समय और बल मिला जब पूर्व केन्द्रीय मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया की लोकभलाई पार्टी का अकाली दल में विलय हो गया। पंजाब के परिवहन संचालकों की आवाज उठाने, अनिवासी भारतीयों की समस्याएं सुलझाने को लेकर लोकभलाई पार्टी ने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। इसी मजबूती का परिणाम है कि मोगा में हुई चुनावी रैली में अकाली दल (बादल) ने 10 लाख लोगों को इकट्ठा किया और भारतीय जनता पार्टी ने जालंधर में विशाल रैली कर अपनी लोकप्रियता का प्रमाण दिया।द

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies