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शक्ति की उपासना

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Oct 15, 2011, 12:00 am IST
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विविध

दिंनाक: 15 Oct 2011 16:16:21

रा.स्व.संघ के स्थापना दिवस पर देशभर में शस्त्र पूजन एवं पथ संचलन

देश की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा पर संकट

           -हस्तीमल, अ.भा. संपर्क प्रमुख, रा.स्व.संघ

शक्तिशाली होने में ही है शक्ति पूजन की सार्थकता

                   -सीताराम केदिलाय, अ.भा.सेवा प्रमुख, रा.स्व.संघ

गत 6 अक्तूबर को रा.स्व.संघ के स्थापना दिवस के अवसर पर देशभर में कार्यक्रम सम्पन्न हुए। कार्यक्रमों में भाग लेने वाले स्वयंसेवकों ने शस्त्र पूजन करने के साथ-साथ पूर्ण गणवेश में पथ संचलन में भी हिस्सा लिया। 

पंजाब के जालंधर में 900 स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में पथ संचलन में भाग लिया। संचलन के पश्चात स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के अ.भा. सेवा प्रमुख श्री सीताराम केदिलाय ने कहा कि हिन्दू समाज शक्ति का पुजारी रहा है और शक्ति के पूजन का अर्थ है अपने आपको व समाज को शक्तिशाली बनाना। हमारा समाज शक्ति के केवल आवरण की पूजा करता रहा, तभी तो हमने इतिहास में कई जगह नुकसान झेले। उन्होंने कहा कि अगर हम वास्तविक रूप में शक्ति की पूजा करते तो हम पर इतने विदेशी आक्रमण नहीं होते। भगवान राम के जन्मस्थल अयोध्या, काशी विश्वनाथ और भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर विदेशी हमलावरों के अहंकारमयी भवन न खड़े होते और न ही भारत खण्ड-खण्ड होकर कई देशों में विभक्त होता।

रा.स्व.संघ के बारे में बोलते हुए श्री केदिलाय ने कहा कि शक्ति के उपासक संघ को जन्म से लेकर आज तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा और संघ हर परिस्थिति में विजयी होकर निकला है। इसको मिटाने का दुस्वप्न देखने वाली शक्तियां व सरकारें खुद समाप्त हो गईं, परंतु संघ का विजयी अभियान अनवरत जारी है और जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि शक्तियां दो प्रकार की होती हैं- सात्विक और आसुरी। सात्विक शक्तियों का काम समाज को जोड़ना है और तामसी शक्तियां समाज में विखंडन पैदा करती हैं। अगर असुरी शक्तियों को पराजित करना है तो सात्विक शक्तियों को अतिसक्रिय होना होगा।

वहीं फरीदाबाद (हरियाणा) में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के अ.भा. संपर्क प्रमुख श्री हस्तीमल ने कहा कि पाकिस्तान हमारे देश में आतंकवादी भेजकर देश की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने की लगातार कोशिश कर रहा है। साथ ही चीन हमारी सीमाओं में घुसपैठ और अतिक्रमण करने की कोशिश कर रहा है। संकट के इस दौर में हमें बहुत अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य है व्यक्ति निर्माण। अर्थात देशभक्ति के भाव से ओत-प्रोत व संस्कारयुक्त नागरिक तैयार करना और अपने इस महान हिन्दू राष्ट्र को प्रगति के उच्चतम शिखर पर पहुंचाना। भ्रष्टाचार से निपटने कि लिए उन्होंने कहा कि आज देश की व्यवस्था में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की आवश्यकता है और इस परिवर्तन के लिए हमें स्वयं ही पहल करनी होगी।

* फरीदाबाद से राजेन्द्र गोयल तथा जालंधर से  प्रतिनिधि

पाठ्यक्रम से हटा विवादित निबंध

दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक (विशेष) इतिहास द्वितीय वर्ष के छात्रों को अब प्रो. ए.के. रामानुजम का वह विवादित निबंध “तीन सौ रामयण” नहीं पढ़ना पड़ेगा, जिसमें हिन्दुओं के मानबिन्दुओं को अत्यंत अपमानजनक ढंग से प्रस्तुत किया गया था।

विवादित निबंध को छात्रों को न पढ़ाए जाने को लेकर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के अध्यक्ष श्री दीनानाथ बत्रा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दिल्ली विश्वविद्यालय के विरुद्ध एक मुकादमा दाखिल किया था। मुकदमे का निर्णय श्री बत्रा के पक्ष में देने के बाद न्यायालय ने इस विवाद को समाप्त कर दिया।

विगत दो साल से श्री  बत्रा तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के मध्य स्नातक (विशेष) इतिहास के द्वितीय वर्ष में निर्धारित एक निबन्ध को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में एक विवाद चल रहा था। प्रो. ए.के. रामानुजम द्वारा लिखित इस निबन्ध में अत्यन्त अपमानजनक तथ्य दिए गए थे। इस संबंध में श्री बत्रा का कहना था कि निबंध में हिन्दू देवी-देवताओं के विषय में  अपमानजनक तथा आपत्तिजनक विवरण दिया गया है, जो तथ्यों के विरुद्ध है। इसलिए इस निबन्ध को पाठ्यक्रम से हटाया जाए। द प्रतिनिधि

संस्कार भारती के “बाल कला संगम” की तैयारियां शुरू

हजारों बाल कलाकर ले रहे हैं हिस्सा

संस्कार भारती, पूर्वोत्तर द्वारा पूर्वोत्तर के दुर्गम वनवासी क्षेत्रों में प्रतिभा संधान तथा कला कार्यशाला (प्रशिक्षण) का कार्यक्रम चल रहा है। आठ से पन्द्रह वर्ष तक के बच्चों को कार्यशाला या प्रतिभा संधान द्वारा 29-31 दिसम्बर, 2011 को गुवाहाटी में होने वाले तीन दिवसीय “बाल कला संगम” हेतु चयनित किया जा रहा है। चयनित बाल कलाकार ही “बाल कला संगम” में प्रतिभागी हो सकेंगे।

प्राथमिक स्तर पर किसी भी चयन प्रक्रिया में भाग लेने वाले बाल कलाकारों को प्रसिद्ध अभिनेता श्री मुकेश खन्ना द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। नृत्य, संगीत और नाटक के साथ-साथ सिर्फ चित्रकला विधा के प्रतिभा संधान में ही अब तक 35 हजार बाल कलाकार भाग ले चुके हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। इन कलाकारों में से चयनित 1100 कलाकार 31 दिसम्बर को 1100 मीटर लंबी कलाकृति बनाएंगे। कलाकृति का विषय है “हमारी संस्कृति: हमारी पहचान”। बाल कला संगम के तीन दिन पारम्परिक खेल-कूद, देश के वरिष्ठ कलाकारों के साथ बच्चों का आतंरिक संवाद तथा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन होगा। मणिपुर तथा मिजोरम के पारम्परिक नृत्य, संगम के आकर्षण का केंद्र रहेंगे। इसके साथ-साथ सिक्किम के जनजातीय नृत्य तथा असम के ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले बाल कलाकार लोकगीत, लोकनृत्य तथा लोकनाट्य की अनुपम प्रस्तुति करेंगे। कार्यक्रम का समापन हजारों बच्चों द्वारा सम्पूर्ण वंदेमातरम् के गान से होगा। मेघालय के खासी, जयंतिया तथा गारो पर्वत के सैकड़ों प्रतिभावान बच्चे भी इस बाल कला संगम में सहभागी होंगे।

प्रतिभा संधान तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम द्वारा अरुणाचल प्रदेश के सुदूर जिलों के बच्चों की प्रतिभा को ढूंढने का काम किया गया है। नागालैंड के दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचकर नवोदित प्रतिभा को देश-दुनिया के सामने लाने का प्रयास जारी है। * प्रतिनिधि

घोष दल ने देखी मेवाड़ नगरी

गत दिनों रा.स्व.संघ, दिल्ली के शारीरिक एवं घोष के 96 स्वयंसेवकों का एक दल मेवाड़ दर्शन के लिए रवाना हुआ। उदयपुर पहुंचकर स्वयंसेवकों को संघ के अ.भा. सह-शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्री जगदीश का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस अवसर पर उपस्थित प्रताप गौरव स्मारक के संरक्षक श्री ओमप्रकाश ने उदयपुर में प्रस्तावित मेवाड़ गौरव स्मारक का बहुत ही मार्मिक व प्रेरणादायी वर्णन किया। इसके पश्चात स्वयंसेवक उदयपुर भ्रमण के लिए निकले। मोती मगरी में महाराणा प्रताप की मूर्ति व संग्रहालय का दर्शन किया। यहां घोष के स्वयंसेवकों ने चेतक व मेवाड़ रचना का वादन भी किया। इसके बाद स्वयंसेवक हल्दीघाटी तथा रक्त तलैया देखने गए। हल्दीघाटी में स्वयंसेवकों ने वह स्थान देखा जहां महाराणा प्रताप और मुगल सेना के युद्ध से रक्त का तालाब बन गया था। यहां से स्वयंसेवक श्रीकृष्ण की नगरी नाथद्वारा पहुंचे, यहां स्वयंसेवकों ने गणवेश में घोष वादन के साथ पथ-संचलन भी किया। पथ-संचलन में 8 वर्ष के  शिशु स्वयंसेवक विष्णु  ने भी घोष वादन किया। यहां से स्वयंसेवक चित्तौड़गढ़ पहुंचे। स्वयंसेवकों ने चित्तौड़गढ़ का किला देखा व उससे जुड़ी स्मृतियों का वर्णन सुना। * प्रतिनिधि

भूकंप से क्षतिग्रस्त हुए विद्यालयों की मरम्मत हेतु

विद्या भारती की सहयोग की अपील

विगत दिनों सिक्किम में आए विनाशकारी भूकंप ने यहां के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। इससे कुछ भी अछूता नहीं रहा, शिक्षण संस्थान भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। अ.भा. शिक्षण संस्थान विद्या भारती के सिक्किम में 42 विद्यालय सरस्वती विद्या निकेतन नाम से संचालित होते हैं। इन विद्यालयों के भवन भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं, इनमें बच्चों को शिक्षा देना खतरे से खाली नहीं है। संस्थान देशवासियों से अपील करता है कि इन विद्यालयों की मरम्मत हेतु सहयोग प्रदान करें। सहयोग राशि- तदोंग के सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के खाता संख्या 2185195345 में चिल्ड्रन एजूकेशन ट्रस्ट, सिक्किम तथा तदोंग के ही भारतीय स्टेट बैंक खाता संख्या 10738826241 और सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया खाता संख्या 1236075674 में विद्या भारतीय, सिक्किम के नाम जमा कराएं। *प्रतिनिधि

रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गोरखपुर में कहा-

हिन्दुत्व का विचार किसी का विरोधी नहीं

“हिन्दुत्व के आधार पर अपने जीवन की पुनर्रचना किये बिना, न हमें सुख-शान्ति मिल सकती है और न ही दुनिया को। दुनिया को सुख-शान्ति के लिए भारतीय संस्कृति के आधार पर खड़ा होना पड़ेगा।” उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत 9 अक्तूबर को गोरखपुर में रा.स्व.संघ द्वारा विजयादशमी के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

श्री भागवत ने आगे कहा कि दुनिया में हिन्दुत्व को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है, यह ठीक नहीं है। हमने धर्म को किसी पूजा-पद्धति व उपासना से नहीं जोड़ा। हिन्दुत्व का विचार किसी का विरोधी विचार नहीं है। जिस विचार या धर्म से सृष्टि, मनुष्य व समूह का हित हो, वही हिन्दुत्व है। उन्होंने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम एकता हिन्दुत्व के तरीके से ही संभव है। ऐसा संघ नहीं, बल्कि रवीन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था, जिसे संघ भी मानता है।

सरसंघचालक ने वर्तमान शिक्षा पद्धति पर बोलते हुए कहा कि आज शिक्षा केवल करियर बनाने तक ही सिमट कर रह गयी है। हर विद्यार्थी की यह मानसिकता बन गई है कि हम ऐसी शिक्षा ग्रहण करें, जिससे अधिक से अधिक धन कमाएं। ऐसी मानसिकता देश के लिए अत्यंत ही घातक है। प्रबल देशभक्ति को जन-जन के भीतर उजागर करने के लिए संघ की शाखाएं 86 वर्षों से देशभर में चल रही हैं। उन्होंने कहा कि संघ का मानना है कि देश का भला सत्ता परिवर्तन से ही नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन से होगा और समाज परिवर्तन के लिए व्यक्ति परिवर्तन करने का काम संघ, शाखा के माध्यम से कर रहा है। उन्होंने कहा कि समाज बदलने के लिए नायक की आवश्यकता पड़ती है और वही नायक की भूमिका संघ निभा रहा है।

अमरीका व चीन के संबंध में बोलते हुए श्री भागवत ने कहा कि ऐसे देश दुनिया को अपने प्रभुत्व में बांधना चाहते हैं। एक की उन्नति दूसरे को दबाकर होगी, वे ऐसा मानते हैं, जबकि हम पूरे विश्व को एक कुटुम्ब मानते हैं। हमारे यहां कहा गया है कि जो सबल होगा वह दूसरे को खिलाएगा, जबकि ऐसी संस्कृति दुनिया में और कहीं नहीं मिलेगी। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि दुर्भाग्य है कि आज हम दुनिया की नकल करने में लगे हुए हैं। ऐसे मानसिकता न तो स्वयं के हित में है और न ही देश के हित में। हमें अपनी बुद्धि की गुलामी को छोड़ना होगा। उन्होंने केन्द्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमारे अर्थशास्त्री दुनिया की नकल के आधार पर देश की अर्थनीति तय कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि जो दिनभर में 32 रुपए कमा रहा है, वह गरीब नहीं है। इस प्रकार की विचित्र बातों की देन सिर्फ नकल की नीति है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सिरमौर बनने के लिए हमको अपनी बुद्धि के बल पर खड़ा होना पड़ेगा।

श्री भागवत ने “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” के संबंध में बोलते हुए कहा कि यह विधेयक देश को तोड़ने वाला है और यह आपसी सद्भवना को बिगाड़ेगा। इससे एक-दूसरे के प्रति मन में दुर्भावना पैदा होगी। ऐसे विधेयक को देश का जनमानस स्वीकार नहीं करेगा। भ्रष्टाचार पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि देशहित में जो भी आन्दोलन होगा, उसमें संघ के स्वयंसेवक हमेशा सहभागिता निभाएंगे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. सभाजीत मिश्र ने की। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के अ.भा.कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री मधुभाई कुलकर्णी, क्षेत्र प्रचारक श्री शिवनारायण, प्रान्त संघचालक प्रो. उदय प्रताप सिंह, प्रान्त प्रचारक श्री अनिल आदि भी विशेष रूप से उपस्थित थे। यहां सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने सभी स्वयंसेवकों की ओर से शस्त्र पूजन किया तथा स्वयंसेवकों ने विभिन्न प्रकार के शरीरिक कार्यक्रम  प्रस्तुत किए। राजेश त्रिपाठु

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