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जन-जागरण का शंखनादद सुभाष चंद्र कौशिकश्रीराम जन्मभूमि के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद मंदिर निर्माण को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए विश्व हिन्दू परिषद् ने संतों के नेतृत्व में अयोध्या (उ.प्र.) से जन-जागरण अभियान की शुरुआत कर दी है। परिषद् ने संकल्प लिया है कि मंदिर निर्माण होने तक उसके पांव न रुकेंगे, न थकेंगे और न ही विराम लेंगे।अयोध्या स्थित कारसेवकपुरम् में गत 19 नवम्बर को संपन्न हुई धर्मसभा में सभी प्रमुख संतों ने उत्साह के साथ भाग लिया। धर्मसभा में संतों ने एक स्वर में कहा कि अयोध्या की शास्त्रीय और सांस्कृतिक सीमा के भीतर किसी तरह की नई मस्जिद के निर्माण का सवाल ही पैदा नहीं होता। वहीं विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के मुकदमे का फैसला रामलला के पक्ष में हुआ है, इसलिए वहां श्रीराम जन्मभूमि न्यास के माध्यम से ही श्रीराम मंदिर बनेगा। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि वह अधिग्रहीत 67 एकड़ भूमि न्यास को दे दे। 6 दिसम्बर, 1992 को गिराए गए ढांचे को मस्जिद कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि उस ढांचे को मस्जिद कहना तो न्यायालय का अपमान है। वह तो बाबर का विजय स्मारक था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा श्रीराम को कल्पनिक बताना हिन्दुत्व का अपमान है। श्री सिंहल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भगिनी निवेदिता भी विदेश से आई थीं, लेकिन उन्होंने भारत और यहां की संस्कृति को समझकर देश की सेवा की। इसलिए उन्हें आदर के साथ याद किया जाता है। सोनिया गांधी भी विदेश से आई हैं, परन्तु वह तो किसी विशेष उद्देश्य से यहां आई हैं। उनके खिलाफ ऐसा जनदबाव बनेगा कि उन्हें देश छोड़कर वापस इटली जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि एक बार इंदिरा गांधी ने भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन ऐसा आंदोलन हुआ कि उन्हें प्रतिबंध हटाना पड़ा। श्री सिंहल ने कहा कि कांग्रेस और सोनिया गांधी को लग रहा है कि राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के रास्ते में संघ और संत सबसे बड़ी बाधा हैं, इसलिए इन दोनों को परेशान किया जा रहा है। संघ कार्यकर्ताओं और संतों पर झूठे मुकदमे दायर किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य को जेल में डालना हिन्दुत्व का अपमान है।धर्मसभा में राज्य के गोण्डा, बलरामपुर, बहराइच, फैजाबाद, सीतापुर, बाराबंकी सहित आस-पास के जिलों के हजारों रामभक्तों ने हिस्सा लिया। यहां भक्तों द्वारा लगाए जा रहे श्रीराम के जयकारों से पूरा कारसेवकपुरम् गुंजायमान हो उठा। इस अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डा. राम विलास दास वेदांती ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि श्रीराम जन्मभूमि किसी अखाड़े की नहीं है, वह रामलला की है। मंदिर श्रीराम जन्मभूमि न्यास ही बनवाएगा। विश्व हिन्दू परिषद् के महामंत्री डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि कुछ लोगों को भगवा वस्त्र व झंडे में आतंकवाद दिखाई दे रहा है, लगता है ऐसा कहने वाले देश के गृहमंत्री का चश्मा पाकिस्तान से आयातित है। उन्होंने कहा कि अयोध्या की शास्त्रीय व सांस्कृतिक सीमा के भीतर हम कोई भी मस्जिद नहीं बनने देंगे, चाहे इसके लिए हमें कोई बलिदान ही क्यों न देना पड़े। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि संपूर्ण अयोध्या भगवान श्रीराम की क्रीड़ास्थली है, मंदिर भी उन्हीं की कृपा से बनेगा। उन्होंने कहा कि आगामी रामनवमी से पहले श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू होने की संभावना है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास ने कहा कि मंदिर के आसपास किसी नई मस्जिद का निर्माण बिल्कुल उचित नहीं है।धर्मसभा में अशर्फी भवन के पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधराचार्य, अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास, दिगम्बर अखाड़े के महंत सुरेश दास, महंत रामजी दास, सियाराम किला के महंत प्रभजनानंद शरण, सदगुरु सदन के महंत सियाकिशोरी शरण, महंत राम शंकरदास रामायणी, महंत राममिलन दास रामायणी, हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास, महंत राघवेन्द्र दास वेदांती, महंत राममंगल दास, महंत रामगोविंद दास, महंत ब्राजमोहन दास और गुरुद्वारा ब्राहृकुंड के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत सिंह आदि मुख्य रूप से सम्मिलित हुए।द40
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