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सोनिया पार्टी में खलबलीद नागराज रावलगता है कांग्रेस चारों ओर से बुरी तरह घिर चुकी है। बिहार में करारी हार के बाद संसद में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सोनिया पार्टी सांसत में है। उधर आंध्र प्रदेश, जो दक्षिण में कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता था, में पार्टी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के पुत्र जगनमोहन रेड्डी ने पार्टी के खिलाफ बगावत का झंडा उठाकर मौजूदा राज्य सरकार को संकट में डाल दिया है। जगनमोहन व उनकी मां के क्रमश: सांसद व विधायक के रूप में त्यागपत्र के बाद पार्टी में बड़े विभाजन का खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में राज्य में गठित किरण कुमार रेड्डी की सरकार भी कदम-कदम पर मुसीबतों का सामना कर रही है। उसके दो मंत्रियों के इस्तीफे के बाद यह संकट और गहरा गया है। समर्थक जगनमोहन पर लगातार दबाव डाल रहे हैं कि वह नई पार्टी की घोषणा करें। माना जा रहा है कि किसी भी समय जगनमोहन की ओर से यह घोषणा हो सकती है।रोसैया की बलिपूरे घटनाक्रम पर नजर डालें तो, कई महीनों तक आलाकमान के निर्देशों की अवहेलना करने के बाद बगावती तेवरों वाले वाई.एस.जगनमोहन रेड्डी ने पार्टी तथा अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि पार्टी नेतृत्व ने उनके परिवार को अपमानित किया है। उनके इसी रवैए के कारण हालात न संभाल पाने की वजह से पूर्व मुख्यमंत्री रोसैया को भी जाना पड़ा।कडप्पा से सांसद 37 वर्षीय जगन को यह उम्मीद थी कि उनके पिता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस.राजशेखर रेड्डी की 14 महीने पहले हेलीकाप्टर हादसे में मृत्यु होने के बाद वह ही उनके उत्तराधिकारी बनेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, लिहाजा उनके बगावती तेवर तीखे होते गए। संभावना है कि जगन अब नया दल बनाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पांच पन्नों के अपने खुले पत्र में जगन ने अपने इस फैसले की घोषणा की है। इसके अलावा जगन की मां व पुलिवेंदुला से विधायक विजयम्मा भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुकी हैं।विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि जगनमोहन जल्दी ही अपनी नयी पार्टी के गठन की कडप्पा में घोषणा कर सकते हैं। इससे पहले जगन ने अपना एक पंक्ति का इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को फैक्स कर दिया था। जगन ने सोनिया को लिखे अपने पत्र में कांग्रेस नेतृत्व पर आरोप लगाया कि पार्टी ने उनके चाचा वाई.एस.विवेकानंद रेड्डी से आंध्र प्रदेश की किरण कुमार रेड्डी सरकार के मंत्रिमंडल में मंत्री बनने की पेशकश कर परिवार में दरार डालने की कोशिश की है। विवेकानंद रेड्डी राज्य विधान परिषद् के सदस्य हैं। जगनमोहन ने कहा है कि पिछले 14 महीने से उन्हें लगातार अपमान का सामना करना पड़ा है। प्रजा राज्यम् पार्टी के अध्यक्ष चिरंजीवी को एक दिन के भीतर सोनिया गांधी से मुलाकात का समय मिल गया, जबकि उनकी मां को एक महीने तक पार्टी अध्यक्ष से मिलने का वक्त नहीं दिया गया। इस तरह उनके परिवार का अपमान हुआ। जगन ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया है कि वह उनका चरित्र हनन करने के उद्देश्य से उनके खिलाफ विद्वेषपूर्ण अभियान चला रही है और कह रही है कि वह राज्य सरकार को अस्थिर करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। जगनमोहन का मानना है कि उनके पिता स्व.वाई.एस.राजशेखर रेड्डी पर भी कई आरोप लगे थे, लेकिन कांग्रेस पार्टी से उनको कोई संरक्षण नहीं मिला था, जिससे पता चलता है कि कांग्रेस ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया था।जगन की रणनीतिहालांकि एक रणनीति के तहत जगन ने आलाकमान को यह आश्वासन भी देना चाहा कि वह नये मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी की सरकार के समक्ष कोई खतरा पैदा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश के पार्टी विधायकों से अपील की कि वे “उनके लिए” इस्तीफा न दें। जगन ने यह भी कहा कि वह उनके पिता का उत्तराधिकारी चुनने के मुद्दे पर सोनिया गांधी की इच्छा का सम्मान करते हैं, जबकि पिता की मृत्यु के समय 150 विधायक उनकी दावेदारी का समर्थन कर रहे थे। हालांकि राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि वास्तव में जगन ने वाई.एस.आर. के असली उत्तराधिकारी और आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के एकमात्र प्रकाशपुंज के तौर पर खुद को पेश करने के लिए ही पद यात्रा का आयोजन किया था जिससे कांग्रेस आलाकमान नाराज हो गया और राज्य के पार्टी नेता भी आशंकित हो उठे थे। जगन ने कहा, “मैं यह पत्र भारी मन और व्यथा के साथ लिख रहा हूं। मैं कई बार अपमानित हुआ हूं। मेरे तथा मेरे परिवार के खिलाफ अजीब तरह का और दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार चलाया जा रहा है।” जगन ने कहा कि उन्होंने ही वाई.एस.आर. की मृत्यु के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए रोसैया के नाम का प्रस्ताव रखा था और ऐसा उन्होंने उच्च मूल्य बनाए रखने के लिए किया था। उन्होंने कहा कि गत दिनों उन्होंने कांग्रेस विधायक दल को रोसैया के उत्तराधिकारी के रूप में किरण कुमार रेड्डी का चयन निर्बाध तरीके से करने दिया। जगन ने कहा, “लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस ने मेरा चरित्र हनन करने के मकसद से मेरे खिलाफ विद्वेषपूर्ण अभियान चलाया और कहा कि मैं राज्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रहा हूं। मैं इतने ओछे चरित्र का नहीं हूं।” जगन के अनुसार, उन्हें और उनके समर्थकों को पार्टी में अलग-थलग और अपमानित किया गया है। जगन ने लिखा, “मुझे अलग-थलग करने और पार्टी से दूर करने की कोशिश की गई, लेकिन अब मैं पार्टी छोड़ रहा हूं।”जगन ने यह भी दावा किया कि उन्हें राजनीतिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कहा, “मुझे यह बात समझ में नहीं आ रही है कि क्यों मुझे इस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। क्या ओदार्पु यात्रा पर जाना गुनाह है?” उल्लेखनीय है कि हेलीकाप्टर दुर्घटना में जब वाईएस राजशेखर रेड्डी की मृत्यु हुई थी तब 140 से अधिक विधायकों ने जगन को मुख्यमंत्री बनाने का समर्थन किया था। लेकिन अब सिर्फ 20 से 25 विधायक ही उनके साथ बताए जाते हैं। पर्यवेक्षकों का मानना है कि इतनी संख्या भी कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के लिए पर्याप्त है।इस संकट से बचने के लिए कांग्रेस अभिनेता चिरंजीवी के नेतृत्व वाली प्रजा राज्यम् पार्टी से पहले ही समर्थन मांग चुकी है। प्रजा राज्यम् के विधानसभा में 18 विधायक हैं। लोकसभा से जगन के इस्तीफे के बाद जगन के समर्थक हैदराबाद में बंजारा हिल्स स्थित उनके आवास पर इकट्ठे हुए और उनके फैसले का स्वागत करते हुए आतिशबाजी की। उनके नेतृत्व की सराहना करते हुए उनमें से कुछ ने कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी भी की।पी.आर.पी. सरकार में नहीं होगी शामिलउधर प्रजा राज्यम् पार्टी (पी.आर.पी.) ने पिछले कुछ दिनों से लगाई जा रही अटकलों पर विराम लगाते हुए निर्णय लिया है कि वह प्रदेश की कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं होगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता बी. वेदव्यास और के. कन्नाबाबू ने बताया कि पीआरपी एक रचनात्मक विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाना जारी रखेगी, लेकिन यह सुनिश्चित करेगी कि सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में घटे घटनाक्रमों के मद्देनजर राज्य को मध्यावधि चुनाव का सामना न करना पड़े। वेदव्यास और कन्नाबाबू ने पीआरपी की राजनीतिक मामलों की समिति की एक लंबी बैठक की समाप्ति के बाद संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस सरकार में शामिल होने की कभी इच्छुक नहीं रही है। इस बैठक की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष चिरंजीवी ने की थी।36 विधायकों के समर्थन का दावावर्तमान में राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 156 विधायक हैं, अगर जगन का दावा सच है तो उनके इशारे पर सरकार अल्पमत में आ सकती है, यह सोचकर कांग्रेस ने चिरंजीवी की प्रजा राज्यम् पार्टी के 18 विधायकों का समर्थन लेने का मन बनाया था। इस संदर्भ में प्रजा राज्यम् पार्टी के विधायकों की बैठक में यह फैसला किया गया कि समय आने पर ही वे समर्थन देंगे और इस समय सरकार में शामिल नहीं होंगे।कांग्रेस नेता किरण कुमार रेड्डी को मुख्यमंत्री का पद संभाले अभी महज कुछ ही दिन हुए हैं, लेकिन उनकी सरकार पर खतरे के बादल मंडराने शुरू हो गए हैं। कम से कम 28 विधायकों ने कडप्पा से कांग्रेस के बागी सांसद जगनमोहन रेड्डी को अपना समर्थन देने का इरादा जाहिर करते हुए इस्तीफे का प्रस्ताव भी दिया है जबकि इनके अलावा कुछ अन्य सांसद भी जगन को अपना समर्थन दे सकते हैं। जगन के खेमे का दावा है कि उसके पास लोकसभा के कम से कम चार सांसद और 36 विधायकों का समर्थन है, साथ ही, जगन के सहयोगियों ने दावा किया कि प्रजा राज्यम् पार्टी के कम से कम 4-5 विधायक भी जल्द ही उनके साथ होंगे। यदि यह दावा सही है तो निश्चित तौर पर यह सरकार के लिए परेशानी की बात होगी। एक पूर्व मंत्री ने कहा कि यदि प्रजा राज्यम् पार्टी के 18 विधायक और मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन के सात विधायक सरकार को समर्थन देते हैं तो भी जरूरी आंकड़ा नहीं जुटेगा। कुल मिलाकर दक्षिण का यह कांग्रेसी गढ़ अब ढहने के कगार पर दिखता है।द6
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