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इन दिनों म.प्र. की सरकार प्रदेश के पर्यटन स्थलों को सजाने-संवारने में लगी है। इस कारण बड़ी संख्या में पर्यटक भी म.प्र. आने लगे हैं। प्रदेश में पर्यटन को किस प्रकार बढ़ावा दिया जा रहा है। इस सम्बंध में मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष ध्रुवनारायण सिंह से की गई बातचीत के प्रमुख अंश यहां प्रस्तुत हैं। सं. थ् मध्य प्रदेश में पर्यटन की संभावनायें क्या हैं?इस राज्य में पर्यटन की अपार संभावनायें हैं। विविधतायें असीम हैं। प्राकृतिक सौंदर्य मनमोहक है। जंगल का विस्तृत क्षेत्र, वन्य जीव, बाघ अभ्यारण्य के अलावा पुरातत्व से संबंधित माण्डू, भीमबैठका, खजुराहो, सांची आदि धार्मिक, सांस्कृतिक केन्द्र का अद्भुत नमूना है जो विश्व विख्यात है। बांधवगढ, पेंच, शिवपुरी, कान्हा में बाघ गर्जना की अनुगूंज को सुनने बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं। धार्मिक पर्यटन क्षेत्र यथा: उज्जैन, ओंकारेश्वर (ज्योतिर्लिंग), दतिया, देवास, मैहर (सिद्धपीठ) के अतिरिक्त, चित्रकूट, ओरछा का विशिष्ट महत्व है। धार्मिक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक दृष्टि से ये केन्द्र अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यहां जनजातियों की विभिन्न जीवन शैलियां, बोलियां, संस्कार रीति-रिवाज काफी रोचक व ज्ञानवद्र्धक हैं। कुदरती सौन्दर्य से अटा-पड़ा पचमढ़ी कई विशेषताओं को समाहित करता है, इसलिए पूरे वर्ष यहां चहल-पहल रहती है। बरगी, तवा, नर्मदा सागर, भोपाल के तालाब चित्ताकर्षक हैं। भोपाल झीलों का शहर है, जिसे “मनोरंजक बर्ड जोन” बनाया गया है। संभावनाओं की लम्बी सूची है, जो असीमित है।पर्यटकों की संख्या में इजाफे का अनुपात क्या है?लगभग 70 फीसदी है। विदेशी-देशी पर्यटकों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। पांच साल पूर्व पर्यटन निगम को बंद करने की बात चल रही थी, किन्तु, 2003 में भाजपा सरकार के आते ही पर्यटन निगम कमाऊ पूत बन गया। निगम की वार्षिक आय 12 करोड़ रुपये है। बेहतर सुविधायें देने के कारण पर्यटक यहां कई दिन रुकते हैं।विभाग की नई योजनायें क्या हैं?विविध क्षेत्रों को पर्यटन के लिहाज से उन्नत कर सुविधा संपन्न बनाना, ताकि पर्यटकों को सभी सुविधायें उपलब्ध हो सकें। बौद्धों का दर्शनीय स्थल सांची, भरोतनगर, जैनियों के बड़े-बड़े मंदिर, मुस्लिमों के इज्तिमा, जैसे बड़े उत्सवों को सर्व सुलभ बनाने का लक्ष्य है।म.प्र. में ऐसा क्या है, जो अन्य प्रदेशों में नहीं है?इस प्रदेश में विविधताओं की लम्बी श्रृंखला है। केरल में सब कुछ एक जैसा है, किन्तु यहां हर जिला विविधताओं से अटा पड़ा है। खान-पान, रहन-सहन, भाषा में व्यापक अंतर होने के कारण पर्यटन की दृष्टि से यह सूबा काफी आकर्षक व आनंददायक है।पर्यटन निगम के राजस्व में हो रही वृद्धि और नई परियोजनाओं के तुरंत लागू होने के क्या कारण हैं?शांत प्रदेश, अरण्य प्रदेश, सुख-सुविधाओं से युक्त प्रदेश-यही विशेषता है। लक्ष्य शीघ्र पूरा करना और संभावनाओं की तलाश में रहने के कारण राजस्व में काफी वृद्धि हो रही है। केन्द्र सरकार को परियोजना शीघ्र सुपुर्द करने पर वहां से धनराशि प्राप्त होने में कठिनाई नहीं होती है।पर्यटन के लिहाज से कौन से क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है?सभी क्षेत्रों में अपनी निगाह है। सभी कोणों से पकड़ने की कोशिश है। लगातार विकास हो रहा है। मेरी पूरी कोशिश है कि एक दशक में पर्यटन के मानचित्र में यह प्रदेश प्रमुख तौर पर अंकित हो जायेगा।पर्यटकों को लुभाने के लिए क्या पैकेज है?काफी रियायती दर पर पर्यटकों को सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही हैं। तीर्थस्थल शिर्डी, सांची के अतिरिक्त खजुराहो व अन्य कई केन्द्रों के लिए पर्यटन बसें संचालित हो रही हैं। बस ड्राइवर को गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। अब क्षेत्रवार पर्यटन केन्द्र बनाने की योजना है। इससे पर्यटक काफी लाभान्वित होंगे।पर्यटकों से संबंधित कैलेण्डर से प्रदेश को कितना लाभ मिलेगा?अधिकाधिक पर्यटक स्थलों के विकसित होने से रोजगार के अवसरों में अप्रत्याशित वृद्धि होगी। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ सामाजिक रिश्ते प्रगाढ़ होंगे। अधिक से अधिक पर्यटकों के आने से टैक्सी, होटल, बाजार की मांग बढ़ेगी जिससे प्रदेश को काफी आय होगी। इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है। दृ प्रस्तुति : अंजनी कुमार झा14
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