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गत 16 अगस्त को चेन्नै में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत के सम्मान में एक भावपूर्ण कार्यक्रम आयोजित हुआ। सेवानिवृत्त न्यायाधीश कुमार राज रत्नम ने श्री भागवत को स्मृति चिन्ह और भगवान नटराज की प्रतिमा भेंटकर उनका सम्मान किया।सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि संघ शुरू से लेकर आज तक हिन्दू समाज को संगठित करने में लगा है। संघ का उद्देश्य भारत को एक सशक्त एवं समृद्धशाली राष्ट्र बनाना है। उन्होंने उपस्थित लोगों का आह्वान किया कि वे रा.स्व.संघ से जुड़ें, उसकी शाखाओं में जाएं और संघ को समझने का प्रयास करें। शाखा में जाए बिना संघ को समझा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा दृष्टिकोण विविधता में एकता का रहा है, यही हिन्दुत्व भी सिखाता है। श्री भागवत ने कहा कि अब समय आ गया है कि हर हिन्दू को जागृत करना होगा, तभी देश आगे बढ़ेगा।श्री भागवत ने कहा कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है। इसे हम जातियों एवं सम्प्रदायों में नहीं बांट सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज संघ के स्वयंसेवक विभिन्न क्षेत्रों में प्रेरक कार्य कर रहे हैं। स्वयंसेवक देश के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम करते हैं। स्वागत भाषण में न्यायाधीश (से.नि.) कुमार राज रत्नम ने कहा कि भारत की एकता में संघ की मुख्य भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि देश में 18-20 वर्ष तक के सभी युवकों के लिए सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दी, अंग्रेजी एवं कम्प्यूटर का ज्ञान भी अनिवार्य हो। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनेक वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित थे। द हरीसिंह हिन्दू40
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