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…और उनसे न्याय की उम्मीद?आवरण कथा “न्याय की गुहार” में सुश्री लक्ष्मीकान्ता चावला ने कश्मीर घाटी की मानसिकता को प्रस्तुत किया है। यह वही मानसिकता है, जो चाहती है कि कश्मीर में सिर्फ और सिर्फ मुसलमान रहें। इसी मानसिकता पर जीने वाले लोगों ने हिन्दू युवक रजनीश की हत्या की है। इसी मानसिकता से ग्रसित होने के कारण वहां की सरकार ने इस घटना को लेकर दु:ख तक प्रकट नहीं किया। यही नहीं उन पुलिस वालों के खिलाफ भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिन्होंने रजनीश की हत्या की है।-संजीव कुमार मोहनपुर, देवघर (झारखण्ड)द कश्मीर घाटी से न्याय की उम्मीद करना हथेली पर घास उगाने जैसी बात होगी। यदि घाटी में न्याय करने वाले लोग होते तो वहां न आतंकवाद पनपता और न ही अल्पसंख्यक हिन्दुओं को वहां से भागने के लिए मजबूर किया जाता। मैं कश्मीर घाटी के लोगों से पूछना चाहता हूं कि सिर्फ 5 प्रतिशत हिन्दुओं से उन्हें कौन-सा खतरा था? यदि नहीं, तो फिर उन्हें वहां से भगाया क्यों? इसकी वजह किसी से छिपी नहीं है। इसलिए शेष भारतीयों को उनसे न्याय की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।-प्रमोद कुमार झाकंकड़बाग, पटना (बिहार)पिसते लघु उद्यमीडा. अनिल गुप्ता के लेख “बड़े उद्योगों के विकास से बढ़ रहा है आर्थिक असन्तुलन” से उद्योगों की ताजा स्थिति के बारे में पता चला। आज सरकारी नीतियों के कारण लघु उद्यमी पिस रहे हैं। सुविधा के नाम पर सरकार उद्यमियों को कुछ तो देती नहीं है, उल्टे उन्हें तरह-तरह के कानूनों से बांधे रखती है। आशा है समाचार पत्र उद्यमियों की समस्याओं को उठाएंगे और कुछ सुधार होगा।-अजित जैनयोजना विहार (दिल्ली)पाञ्चजन्य से अपेक्षालगता है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा पर उतना सजग नहीं है, जितना कि हमारे पड़ोसी। विस्तारवादी कम्युनिस्ट चीन हमारे पड़ोसी देशों- पाकिस्तान, बंगलादेश, म्यांमार, नेपाल व श्रीलंका की सहायता से भारत को चारों ओर से घेरने की कोशिश कर रहा है। किन्तु हम अपने में ही मस्त हैं, जबकि जागरूक होने की जरूरत है। राष्ट्र के प्रति हर नागरिक को जागरूक करने की आवश्यकता है। पाञ्चजन्य से अपेक्षा है कि वह भू-राजनीति व रणनीतिक विषयों से संबंधित गंभीर पुस्तकों की अधिक से अधिक जानकारी पाठकों को दे।-ओ.पी.गुप्ताभूतेश्वर मन्दिर मार्ग, सागर (म.प्र.)अध्यात्म पर स्तम्भ प्रारंभ करेंपाञ्चजन्य की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इसके लिए पाञ्चजन्य परिवार को मेरी ओर से बधाई! हर अंक बेमिसाल बन रहा है। सरोकार स्तंभ में श्रीमती मृदुला सिन्हा अच्छी जानकारी देती हैं। “बालमन”, “बिटिया की पाती”, “आंगन की तुलसी” आदि स्तम्भों से बच्चों और महिलाओं को पाञ्चजन्य से जुड़ने का अवसर मिल रहा है। नई-नई प्रतिभाओं को भी आगे बढ़ने दिया जा रहा है। मेरा निवेदन है कि अध्यात्म पर भी एक स्तम्भ शुरू किया जाए।-मंगला रस्तौगीसी-9, द्वितीय तल, राजूपार्क, खानपुर(नई दिल्ली)प्रदूषण-मुक्त हों नदियांभारत में नदियों को आदिकाल से ही पवित्र पावनी, मोक्षदायिनी मानकर श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य लाभ अर्जित करने की परम्परा हमारे समाज में सदियों से विद्यमान है। नदियों के किनारे स्थित हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन तथा नासिक में बारह वर्षों के अन्तराल पर विश्व के विशालतम मेलों “कुंभ” का भव्य आयोजन होता है। परन्तु आज भारत की अधिकांश नदियां गन्दे नालों में तब्दील होती जा रही हैं। नदियों में प्रदूषण एक राष्ट्रीय आपदा है इसका समय रहते निराकरण होना चाहिए।-जैनेन्द्र सिंह चौहान525, कैलाशपुरी, बुलन्दशहर (उ.प्र.)ठगा सा खड़ा हिन्दूभारत की समस्त शक्ति हिन्दुत्व में निहित है। जितना भारत में हिन्दुत्व शक्तिशाली होगा, उतना ही शक्तिशाली भारत होगा। इतिहास गवाह है कि भारत में इस्लाम और ईसाइयत की जड़ें जितनी मजबूत हुर्इं उतना ही भारत विघटित और कमजोर हुआ। क्योंकि इन दोनों को न तो भारत की संस्कृति से कोई लगाव है और न ही भारत के पारम्परिक मूल्यों से। इनका स्वार्थ भारत के लचर कानून से अपने लिए अधिक से अधिक लाभ उठाना और भारत के प्राकृतिक संसाधनों का अधिक से अधिक दोहन करना है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण कश्मीर घाटी और नागालैण्ड है। जहां क्रमश: मुसलमान और ईसाई मजबूत स्थिति में हैं। वहां अलगाववादी आन्दोलन तो है ही हिन्दुत्व का वहां नामोनिशान मिटा देना भी एक लक्ष्य है, एक सुनियोजित षड्यंत्र है। इसी कारण हिन्दुत्व और भारत राष्ट्र के पुरोधा स्वामी विवेकानन्द को भी यह कहने के लिए मजबूर होना पड़ा था कि जब कोई हिन्दू अपना मत बदलता है तब केवल एक हिन्दू ही कम नहीं होता, बल्कि भारत का एक शत्रु और बढ़ जाता है। भारत के खुले मतान्तरण के रणक्षेत्र को देखकर ही वेटिकन सिटी के पोप ने 21वीं सदी में ईसाइयत की फसल एशिया से काटने का उद्घोष किया था। यह उद्घोष सुनकर चीन जैसे विशाल और शक्तिशाली देश ने न केवल मतान्तरण पर प्रतिबंध लगा दिया, बल्कि ईसाई मिशनरियों की नाक में नकेल ही डाल दी। अब इन ईसाई मिशनरियों की पूरी शक्ति मतान्तरण के लिए भारत पर केन्द्रित हो गयी। मतान्तरण की इस उर्वरा भूमि पर ईसाइयत का हल बड़ी तेजी से चल रहा है। हर प्रान्त, हर शहर में चल रहा है, तभी तो ईसाई मिशनरियों के हौसले बुलन्द हैं। उन्हें एक हिन्दू संत लक्ष्मणानंद को निशाने पर लेने में कोई दिक्कत नहीं हुई। सेकुलर सरकारों की हिन्दू विरोधी मानसिकता से प्रोत्साहित होकर वे चाहें तो हजारों लक्ष्मणानंदों को मौत की नींद सुला सकते हैं, वे बेलगाम हैं, भयमुक्त हैं। अनपढ़, अशिक्षित, कमजोर, गरीब और वनवासी, वंचित वर्ग इनके प्रमुख निशाने पर हैं। मतान्तरण के लिए डालरों की बरसात हो रही है। “चंगाई चमत्कार” दिखाने वाले विशेषज्ञ यूरोप और अमरीका से भागे चले आ रहे हैं। चर्चों में मतान्तरण के लिए बड़े-बड़े महोत्सव हो रहे हैं और हिन्दू ठगा सा खड़ा बेबस इन महोत्सवों को देख रहा है।-कुमुद कुमारए-5, आदर्श नगर, नजीबाबाद, जनपद-बिजनौर (उ.प्र.)उ.प्र. आवास-विकास परिषद्का सराहनीय निर्णयउत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् ने अपने मुख्यालय में प्रवेश करने वालों व समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों पर पान-गुटखा खाने एवं धूम्रपान करने पर पाबन्दी लगा दी है। इसका उल्लंघन करने पर दो सौ रुपए जुर्माना भरना होगा। यदि परिषद् के कर्मचारी दुबारा पकड़े जाएंगे तो उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उ.प्र. आवास एवं विकास परिषद् के आयुक्त दीपक कुमार के इस निर्णय की जितनी भी प्रशंसा की जाय, कम है।लोग कहीं भी थूकने से परहेज नहीं करते। साफ-सुथरी सड़कों, दीवारों पर तो लोग ऐसे थूकते हैं, मानो उन्हें साफ-सफाई से कोई मतलब ही नहीं है। थूकने की यह क्रिया ऐसी है जो यत्र-तत्र-सर्वत्र कहीं भी देखी जा सकती है। जैसे जीवन के लिए सांस लेना आवश्यक है, वैसे ही कहीं भी थूक देना हमारे यहां आम प्रवृत्ति में शुमार हो गया है। पैदल चलने वाले तो सड़क पर इच्छानुसार कहीं भी थूकते हुए चलते ही हैं, दुपहिया या चारपहिया वाहनों पर चल रहे लोग भी आराम से थूकते हुए चलते हैं। पान या गुटखा खाने वालों का थूकने का तांडव हर जगह देखा जा सकता है। उन्हें इसकी चिन्ता नहीं होती कि उनकी पीक की पिचकारी पीछे आ रहे किसी व्यक्ति को रंग सकती है। लेकिन थूकने पर झगड़ा बहुत कम होता है, क्योंकि जिसके ऊपर पीक पड़ती है, वह भी अपने पीछे आ रहे लोगों को अपनी पिचकारी से रंगता हुआ आ रहा होता है। लोग यदि पैदल या वाहन पर सड़क के किनारे से जाते रहते हैं तो अपने बांर्इं ओर मौजूद नाली में नहीं थूकते, बल्कि दाहिनी ओर सड़क के बीच में पिचकारी छोड़ते हैं। पान और गुटखे का ताण्डव सड़कों पर ही नहीं, किसी भी भवन या कार्यालय में हर तरफ देखा जा सकता है। आयुक्त दीपक कुमार ने उ.प्र. आवास एवं विकास परिषद् के कमरों में जब अचानक निरीक्षण किया तो देखकर हैरान रह गए कि लोगों ने न केवल बरामदों में, बल्कि सीढ़ियों पर, कमरों के फर्श पर, यहां तक कि कमरों में रखी अलमारियों के पीछे भी जमकर थूक-क्रिया कर रखी थी। पीक की रंगीनी चारों ओर व्याप्त थी। यह व्यापक रंगीनी किसी भी कार्यालय में देखी जा सकती है। लोग सीढ़ियों पर चढ़ते-उतरते, गलियारों में चलते-चलते अथवा कमरों में कुर्सियों पर बैठे-बैठे निसंकोच भाव से इधर-उधर पीक मारा करते हैं।कुछ समय पूर्व उ.प्र. शासन ने यह आदेश जारी किया था कि सचिवालय परिसर, समस्त सरकारी कार्यालयों एवं सार्वजनिक स्थलों में धूम्रपान करना दण्डनीय अपराध होगा। सरकार बस आदेश जारी करके अपने कर्तव्य की समाप्ति मान लिया करती है। उसे इस बात की चिन्ता नहीं होती कि उसके आदेशों का पालन हो रहा है या नहीं। सरकार के इस ढुलमुल रवैये के कारण ही हमारे यहां दण्ड का कोई भय नहीं रह गया है, जिसके परिणामस्वरूप अनुशासनहीनता निरन्तर तीव्र गति से बढ़ती जा रही है। आशा की जानी चाहिए उपर्युक्त कदम से सार्वजनिक स्थल, भवन आदि पान की रंगीनी से बचेंगे और लोग ध्रूमपान भी नहीं करेंगे।-श्याम कुमारईडी-33, डायमन्डडेरी कालोनी, उदयगंज, लखनऊ (उ.प्र.)जाल बिछायालिब्राहन आयोग की, रपट की गयी लीक इसके पीछे क्या छिपा, समझ आ गया ठीक। समझ आ गया ठीक, चुनावी समर चला है झारखंड में पंजा नीचे दबा हुआ है। कह “प्रशांत” इसलिए नया यह दांव लगाया मुसलमान वोटों की खातिर जाल बिछाया।।-प्रशांतपञ्चांगवि.सं.2066 – तिथि – वार – ई. सन् 2009 पौष कृष्ण 5 रवि 6 दिसम्बर, 09 ” 6 सोम 7 ” ” 7 मंगल 8 ” ” 8 बुध 9 ” ” 9 गुरु 10 ” ” 10 शुक्र 11 ” ” 11 शनि 12 ” 21
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