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लिखे जा रहे शोध पत्र पर विमर्शगत 24 सितम्बर को भारत नीति प्रतिष्ठान ने श्रीलंकाई तमिलों पर लिखे जा रहे एक शोध पत्र (मोनोग्राफ) पर प्रकाशन पूर्व विमर्श आयोजित किया। संस्थान के अतिथि शोधार्थी, प्रियदर्शी दत्ता द्वारा लिखे जा रहे मोनोग्राफ स्पीरीच्यूली इंडियंस : तमिल्स ऑफ श्रीलंका (तत्सम् भारतीय: श्रीलंका के तमिल) पर विद्वानों और विचारकों के सुझाव प्राप्त करने के लिए इस विमर्श का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संस्था के मानद निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि हम सब श्रीलंका में तमिल समस्या का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं, जिससे श्रीलंका की संप्रभुता भी अक्षुण्ण रहे और तमिलों को एक सम्मानजनक स्थान प्राप्त हो। लेखक प्रियदर्शी दत्ता ने कहा कि श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे को केवल तमिलनाडु की राजनीति के चश्मे से देखना गलत होगा। यह मुद्दा पूरे भारत से जुड़ा है, क्योंकि श्रीलंकाई तमिलों ने सांस्कृतिक रूप से अपने आपको केवल तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि पूरे भारत से जोड़कर देखा है। कार्यक्रम के अध्यक्ष और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ श्री राजीव नयन ने कहा कि सिंहलियों के पूर्वज भी भारतीय थे और उनमें भी भारतीय संस्कृति जागृत होनी चाहिए ताकि तमिल और सिंहली शांतिपूर्ण तरीके से रह सकें। इस मौके पर विश्व हिंदू परिषद् के स्वामी विज्ञानानंद ने भी अपने श्रीलंका के अनुभवों का उल्लेख करते हुए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। द प्रतिनिधि35
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