पैगंबर-ए-इस्लाम का जिहाद
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पैगंबर-ए-इस्लाम का जिहाद

by
Jan 2, 2009, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 Jan 2009 00:00:00

29 अगस्त, 570 ई. को पैगंबर ए इस्लाम हजरत मुहम्मद का जन्म हुआ। तब से 40 वर्ष तक अरब सभ्यता का संपूर्ण समाज बर्बर युद्ध और खून-खराबे की आतंकवादी गतिविधियों के सहारे ही अपनी रोटी चला रहा था। इन गतिविधियों को अंजाम देने वाले कबीले समृद्धि के लिए लूट का माल अन्तर-प्रांतीय स्तर पर बेच भी देते थे। कुछ खास कबीले जल्द ही व्यापारिक घरानों में तब्दील हो गए। उन कबीलों में दो प्रमुख कबीले थे “बनी हाशिम” और “बनी उमैइया”। पैगंबर ने 613 ई.में जब अपने ईशदूत होने की सार्वजनिक घोषणा की तो उनका अपना कबीला बनी हाशिम उनके साथ खड़ा था, लेकिन बनी उमैइया का सरदार अबुसुफियान प्रमुख विरोधी बनकर सामने आया। वह बर्बर और धोखेबाज जंगजू था और पैगंबर की हत्या के लिए तत्पर भी। तभी अल्लाह ने “जिहाद-बिस-सैफ (तलवार की कोशिश) का आदेश दिया।जिहाद अरबी के पुÏल्लग शब्द जहद से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है प्रयत्न, कोशिश। जिहाद क्रिया विशेषण है और मुजाहिद विशेषण। इसका पारिभाषिक अर्थ है उद्यम एवं प्रतिस्पर्धा करना।जिहाद के चार चरण- 1-जिहाद-बिन-नफ्स (आत्मा की कोशिश) कामवासना, लोभ बर्बरता, क्रूरता आदि बुराइयों से अपनी रक्षा।2-जिहाद- बिल-माल (धन की कोशिश) धन-त्याग के माध्यम से अल्लाह के गरीब, शोषित, पीड़ित बंदों की रक्षा।3-जिहाद-बिल-इल्म (ज्ञान की कोशिश) ज्ञान के आधार पर तमाम सामाजिक, राजनीतिक और व्यावहारिक बुराइयों से लोक की रक्षा।4-जिहाद-बिस-सैफ (तलवार की कोशिश) आक्रमण करने वाले लोगों से तलवार के आधार पर ईमान वाले मुसलमानों की प्रतिरक्षा।पैगंबर ने अपने जीवन काल में छोटी-बड़ी 27 जंगें लड़ीं। पांच जंगों- बद, उहद, खंदक, खैबर और हुनैन में वह खुद शरीक हुए, उसे गजवा कहा जाता है। शेष 22 लड़ाइयों में उन्होंने सेना की कमान किसी अन्य के हाथ में सौंपी और स्वयं नहीं गए, उसे सरिया कहा जाता है। यह सारी जंगें प्रतिरक्षात्मक थीं। पैगंबर ने युद्ध में पहल की हो, इसका कोई उदाहरण नहीं मिलता। यहां तक कि पैगंबर ने मक्का विजय के अवसर पर आत्मसमर्पण करने वाले बनी उमैइया के सरदार अबुसुफियान को क्षमा किया और अभयदान दिया। क्योंकि इस्लाम व्यक्ति की जीवन रक्षा को प्राथमिकता देता है और मानव मात्र की हत्या को भी पूरी इंसानियत की हत्या मानता है।जीवन जीने के कुरआनी सिद्धांत इस्लाम की न्याय-व्यवस्था मानवाधिकारों के तहत तमाम प्राणियों को जीने के अधिकार की स्वतंत्रता प्रदान करती है।कुरआन की आयतें हैं- “जिसने किसी एक व्यक्ति की हत्या की, बिना इस कारण के कि वह स्वयं हत्या करने का दोषी है या पृथ्वी पर कलह, विग्रह या विध्वंस का अपराधी है, तो उसने मानो संपूर्ण मानव जाति की हत्या कर दी। और जिसने एक व्यक्ति को जीवनदान दिया, उसने मानो संपूर्ण मानव जाति को जीवन दान दिया।” (सूर:माइदा-32)”जीने के अधिकार” की ऐसी स्पष्ट बातें अन्य आयतों में भी हैं। अंत:करण की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए आदेश है-“तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन (आस्था या धर्म) है, मेरे लिए मेरा दीन है।” (सूर: काफिरून-6)धार्मिक और वैचारिक भिन्नता के बावजूद एक-दूसरे के मान की सुरक्षा के प्रति भी कुरआन सजग है-“उनको अपवचन न कहो जिन्हें (अन्य धर्म वाले) लोग अल्लाह के अतिरिक्त अपना आराध्य मानकर पुकारते हैं” (सूर:इनआम-109)अन्तरराष्ट्रीय संबंधों को न्यायपूर्ण आधार प्रदान करते हुए कुरआन मुसलमानों को चेतावनी देता है-“(खबरदार) किसी कौम (जाति, राष्ट्र, समुदाय या संप्रदाय) की शत्रुता तुम्हें इस बात के लिए प्रेरित न करे (अथवा तुम्हारे अंदर यह मनोवृत्ति उत्पन्न न करे) कि तुम उस कौम के साथ न्याय न करो। न्याय करो कि यही खुदा के समक्ष सुपात्रता का आधार है।” (सूर:माइदा-8)धार्मिक सहिष्णुता के प्रति भी कुरआन सजग है। यहूदियों और ईसाइयों के प्रति मित्रवत व्यवहार के लिए प्रतिबद्ध करते हुए कुरआन ने कहा है-“और “अहले किताब” से बहस व विवाद न करो, मगर ऐसे तरीके से जो सर्वोत्तम हो, सिवाय उन लोगों के जो उनमें जालिम व कुकर्मी हैं।” (सूर:अनकबूत-46)इस्लामी शासन प्रणाली में परिवर्तन632 ई. में पैगंबर के निधन के बाद कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक-ठाक चला। उनके बाद पहले खलीफा (प्रशासक) हजरत अबु बकर (शासनकाल 632-34), दूसरे खलीफा ह.उमर बिन खत्ताब (शासनकाल 634-44) तीसरे खलीफा ह.उसमान गनी (शासनकाल 644-56) तक सामाजिक, राजनीतिक स्थितियां सामान्यतया शांत रहीं। 656 ई. में ह.उसमान गनी की हत्या हुई, फिर 661 ई. में चौथे खलीफा ह.अली की मस्जिद में हत्या हुई। इसी वर्ष बनी उमैइया के सरदार और पैगंबर से अभयदान प्राप्त अबुसुफियान के पुत्र ह.मुआविया ने सीरिया (शाम) के गवर्नर की हैसियत से सत्ता संभाली और हजरत अली के बड़े बेटे इमाम हसन की हत्या के बाद स्वयं को इस्लाम का पहला सम्राट घोषित कर दिया। मानव जाति (बशरियत) की रक्षा के लिए जितने भी सही इस्लामी कानून थे, हजरत मुआविया ने बदल दिए। विश्व प्रसिद्ध मौलाना अबुल आला मौदूदी ने इस संदर्भ में लिखा है-“खिलाफत की शासन प्रणाली में जो तब्दीलियां हुर्इं, उनमें खुदा के हुक्म से मुकम्मल अलगाव हो गया। खलीफा की आवाम द्वारा नियुक्ति का स्थगन, खलीफा की जीवन शैली में परिवर्तन, कोषागार के स्वरूप में परिवर्तन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन और उसकी समाप्ति, न्यायालय की स्वतंत्रता की समाप्ति, शूरवी हुकूमत (मश्विरों से चलने वाली शासन प्रणाली) की समाप्ति, थ्नस्लवादी पूर्वग्रहों का पुनरुत्थान थ्कानून (कुरआन व सुन्नत) के प्रभुत्व की समाप्ति। कुल आठ सरोकार समाप्त कर दिये गए, जो पैगंबर ने स्थापित किए थे। अब तक उमैइया राजवंश की स्थापना हो चुकी थी।इस्लामी आतंकवाद की स्थापनाउमैइया राजवंश का प्रथम युवराज यजीद बिन मुआविया 680 ई.में गद्दी पर बैठा। वह कर्म, वचन, धारणा-किसी भी आधार पर मुसलमान नहीं था। सत्ता उसे अपने पिता मुआविया की वसीयत के आधार पर विरासत में मिली। पैगंबर के नवासे इमाम हुसैन ने उसका समर्थन करने से इनकार किया, तो उन्हें उनके परिवार सहित कर्बला के मैदान में तीन दिनों तक भूखा प्यासा रखा और अंतत: सभी की हत्या कर दी। कर्बला में बनी हाशिम कबीले के 18 लोग मारे गए। यहां तक कि यजीद ने अपने दरबार में ह.मुहम्मद को पैगंबर मानने से भी इनकार कर दिया। मदीना और मक्का में काबे पर हमला किया। 13 हजार 700 मुसलमानों और इस्लाम के वास्तविक विद्वानों को मौत के घाट उतारा। मदीना शहर को सेना के हवाले कर दिया। सेना ने तीन दिनों तक लूटमार और बलात्कार किया, जिससे 1000 औरतें गर्भवती हुर्इं। नबी की मस्जिद में घोड़े और ऊंटों का अस्तबल बनाया गया। 661 ई. से 750 ई.तक उमैइया राजवंश के 14 शासकों ने सीरिया और स्पेन तक अपना साम्राज्य कायम कर लिया। लाखों ईसाई मारे गए। इस 90 वर्ष की अवधि में और भी आतंकवादी पैदा हुए, जिन्होंने इस्लाम के नाम पर भौगोलिक विस्तार का अपना कार्यक्रम जारी रखा। उन आतंकियों को हम अब्बासी राजवंश, फातिमी खिलाफत और उसमानी तुर्क के नाम से जानते हैं, जिन्होंने बगदाद, काहिरा, उत्तर अफ्रीका, मिस्र और कुस्तुनतुनिया पर शासन किया। वैसे ही शासकों में सईद वंश, खिलजी वंश और मुगल वंश के रूप में भी लोग सामने आए, जिन्होंने सैकड़ों वर्षों तक भारत पर शासन किया और 1947 ई. में भारत का बंटवारा करने के बाद पाकिस्तान नामक इस्लामी देश बनाया। आज ये संयुक्त राष्ट्र के मुकाबले में खिलाफा के नाम से एक वैश्विक इस्लामी सत्ता स्थापित करना चाहते हैं और सभी सुन्नी जमात से जुड़े हैं।14

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

भारत की सख्त चेतावनी, संघर्ष विराम तोड़ा तो देंगे कड़ा जवाब, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 3 एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त

Operation sindoor

थल सेनाध्यक्ष ने शीर्ष सैन्य कमांडरों के साथ पश्चिमी सीमाओं की मौजूदा सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

राष्ट्र हित में प्रसारित हो संवाद : मुकुल कानितकर

Jammu kashmir terrorist attack

जम्मू-कश्मीर में 20 से अधिक स्थानों पर छापा, स्लीपर सेल का भंडाफोड़

उत्तराखंड : सीमा पर पहुंचे सीएम धामी, कहा- हमारी सीमाएं अभेद हैं, दुश्मन को करारा जवाब मिला

Operation sindoor

अविचल संकल्प, निर्णायक प्रतिकार : भारतीय सेना ने जारी किया Video, डीजीएमओ बैठक से पहले बड़ा संदेश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

भारत की सख्त चेतावनी, संघर्ष विराम तोड़ा तो देंगे कड़ा जवाब, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 3 एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त

Operation sindoor

थल सेनाध्यक्ष ने शीर्ष सैन्य कमांडरों के साथ पश्चिमी सीमाओं की मौजूदा सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

राष्ट्र हित में प्रसारित हो संवाद : मुकुल कानितकर

Jammu kashmir terrorist attack

जम्मू-कश्मीर में 20 से अधिक स्थानों पर छापा, स्लीपर सेल का भंडाफोड़

उत्तराखंड : सीमा पर पहुंचे सीएम धामी, कहा- हमारी सीमाएं अभेद हैं, दुश्मन को करारा जवाब मिला

Operation sindoor

अविचल संकल्प, निर्णायक प्रतिकार : भारतीय सेना ने जारी किया Video, डीजीएमओ बैठक से पहले बड़ा संदेश

पद्मश्री वैज्ञानिक अय्यप्पन का कावेरी नदी में तैरता मिला शव, 7 मई से थे लापता

प्रतीकात्मक तस्वीर

घर वापसी: इस्लाम त्यागकर अपनाया सनातन धर्म, घर वापसी कर नाम रखा “सिंदूर”

पाकिस्तानी हमले में मलबा बनी इमारत

‘आपरेशन सिंदूर’: दुस्साहस को किया चित

पंजाब में पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस : गजाला और यमीन मोहम्मद ने दुश्मनों को दी सेना की खुफिया जानकारी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies