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रेल मंत्री लालू प्रसाद ने भी संप्रग सरकार का अंतिम रेल बजट आम चुनावों को देखते हुए बनाया, इससे कोई इनकार नहीं करता। तमाम “लुभावनी” घोषणाओं के अलावा मुस्लिम वोटों पर नजर रखते हुए रेल विभाग का सांप्रदायीकरण करने की तैयारी भी रेलमंत्री ने की है। सेकुलर सरकार के सेकुलर रेलमंत्री द्वारा इस बजट पर अनेक विशेषज्ञों ने आपत्तियां दर्ज की हैं। लोग अचंभित हैं कि लगातार पांचवें वर्ष भी यात्री किराए में कोई बढ़ोत्तरी नहीं, और तो और, शयनयान श्रेणी छोड़कर शेष सभी श्रेणियों के किराए में 2 से 7 प्रतिशत तक कमी कर दी गई! माल भाड़े की दरों में भी कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गयी। वरिष्ठ महिला नागरिकों को रियायती टिकट मूल्य 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया और कमजोर वर्ग की छात्राएं स्नातक स्तर तक अपने कालेज आने के लिए मुफ्त रेल पास ले सकेंगी तो 12 वीं तक के छात्र भी मुफ्त यात्रा कर सकेंगे। इन सब सुविधाओं और छूट के बावजूद रेल विभाग को 2008-09 में 25,000 करोड़ का मुनाफा होने की बात कही गई है।लोकलुभावन बजट की असलियत यह भी है कि एक ओर यात्रियों को टिकट मूल्य पर छूट दी गई है तो दूसरी ओर उसका पचास गुना वसूलने की भी व्यवस्था पक्की कर दी है। इस सबके अलावा जो संप्रग की रीति-नीति के अनुसार लालू यादव ने बजट में कर दिखाया है, वह है रेल विभाग के “सांप्रदायीकरण” की तैयारी। रेलवे बोर्ड में अब अल्पसंख्यक कल्याण सेल गठित होगा। इसी प्रकार सभी क्षेत्रीय रेलवे कार्यालयों पर भी ये अल्पसंख्यक सेल अपनी पूरी दखल रखेंगे। और तो और, जिन राज्यों में उर्दू दूसरी सरकारी भाषा है वहां ग्रुप “डी” परीक्षाएं उर्दू भाषा में भी आयोजित होंगी।7
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