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लम्बे समय से बीमार चल रहे देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह का गत 27 नवम्बर को निधन हो गया। वे 77 वर्ष के थे। सन् 1991 से ही रक्त कैंसर एवं गुर्दा रोग से पीड़ित श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली। यहां वे पिछले 6 माह से भर्ती थे। इससे पूर्व अमरीका में मायो क्लीनिक तथा मुम्बई के अस्पतालों में भी उनकी चिकित्सा हुई थी, पर अंतत: उन्हें बचाया नहीं जा सका।उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 25 जून, 1931 को जन्मे श्री सिंह को देशवासी दो कारणों से हमेशा याद रखेंगे, पहला, बोफर्स तोप घोटाले में राजीव गांधी सरकार का विरोध और फिर उसी आधार पर प्रधानमंत्री बनना, और दूसरा, मंडल कमीशन की रपट लागू करना। कभी “मांडा के राजा” तो कभी “गरीबों के मसीहा” के नाम से चर्चित रहे श्री सिंह के कार्यकाल के दौरान आरक्षण की जो नई उठापटक शुरू हुई उसने भारतीय राजनीति का परिदृश्य बदल दिया। पाञ्चजन्य परिवार की ओर से दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित है। प्रतिनिधि19
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