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समाज के दर्द को अपना दर्द समझें”देश से बेकारी, गरीबी तभी दूर हो सकती है जब लोगों में अपनेपन का भाव जगेगा, सम्पन्न लोग गरीबों के दु:ख दर्द को अपना दर्द समझकर उनकी मदद करेंगे। वास्तव में यह अपनेपन का भाव ही हमें सच्ची सेवा करना सिखाता है।” ये विचार हैं विख्यात जैन सन्त आचार्यश्री महाप्रज्ञ के। आचार्यश्री गत दिनों राजस्थान के भुवाणा स्थित चातुर्मास प्रवास स्थल पर सेवा भारती, उदयपुर के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित कर रहे थे। आचार्य श्री महाप्रज्ञ ने कहा कि यह सारी भारत माता हमारी है, हम इसके पुत्र हैं, इस प्रकार का भाव हम सब मिलकर पैदा करें। आचार्यश्री ने सेवा भारती द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्यों की भूरि-भूरि सराहना भी की।सेवा भारती चित्तौड़ प्रान्त के मंत्री श्री यशवन्त पालीवाल ने बताया कि आचार्यश्री ने आगामी अक्तूबर माह में उदयपुर शहर की समस्त सेवा बस्तियों के बन्धुओं का एक विराट समरसता सम्मेलन प्रवास स्थल पर करने की स्वीकृति प्रदान की है, जिसमें स्वयं आचार्यश्री का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। आचार्यश्री से भेंट करने वालों में सेवा भारती के अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ता थे- श्री राजकुमार फतावत, डा. एल.एन. श्रीमाली, श्री शिवनारायण नायक, श्री सत्यप्रकाश सक्सेना, श्री रघुनाथदत्त माथुर, श्रीमती लता नायक एवं श्री फतहलाल पारीक। प्रतिनिधि37
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