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हिन्दुओं पर निशाना!हैदराबाद के कोटी इलाके में 30 वर्ष पुरानी दुकान गोकुल चाट पर ज्यादातर वहां के राजस्थानी और गुजराती मूल के निवासी आते थे। कोटी इलाका हिन्दू-बहुल है। गोकुल चाट से कुछ ही फर्लांग दूर है विश्व हिन्दू परिषद् का कार्यालय। आतंकवादियों ने यहां बम विस्फोट करके स्वाभाविक ही इस इलाके के हिन्दुओं पर निशाना साधा था। वे जानते थे कि गोकुल चाट पर विस्फोट में बड़ी संख्या में हिन्दू ही मारे जाएंगे। इस दुकान के बगल में ही अपने भाइयों- विजय और नागराज- के लिए राखी खरीदने गईं तीन बहनें लक्ष्मी, अनुराधा और मीना इस विस्फोट में बुरी तरह घायल हुई हैं। लक्ष्मी की हालत नाजुक बनी हुई है। गोकुल चाट पर हुए विस्फोट में 32 लोगों की जानें गईं।अभाविप ने कहा- यह राष्ट्र विरोधी कृत्यअखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय महामंत्री श्री सुरेश भट्ट ने हैदराबाद बम विस्फोटों की तीव्र भत्र्सना की है। एक विज्ञप्ति जारी कर उन्होंने मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि और घायलों एवं अन्य पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि यह स्पष्ट रूप से कायरतापूर्ण, नृशंस एवं राष्ट्र विरोधी आतंकवादी कृत्य है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एवं अलगाववाद के प्रति केन्द्र सरकार एवं आन्ध्र प्रदेश सरकार की ढुलमुल एवं नरम नीतियों के कारण ही हैदराबाद सहित देश के विभिन्न भागों में ऐसी घटनाएं घट रही हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए अब तक दोषी ठहराए गए आतंकवादियों को सजा दी जाए एवं अफजल गुरु को शीघ्र फांसी पर लटकाया जाए। साथ ही आतंकवादियों को संरक्षण देने वालों के विरुद्ध भी कठोर दण्डात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।एक बार फिर देश श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों से दहल उठा। दिल्ली में लगातार तीन बम विस्फोट, वाराणसी में दो बम विस्फोट, मुम्बई की लोकल ट्रेनों में लगातार सात विस्फोट के बाद हैदराबाद में पुन: दो बम धमाकों ने यह जता दिया कि आतंकवादी ऐसे स्थानों पर विस्फोट कर रहे हैं जिससे अधिक से अधिक जन हानि हो और लोगों में भय का माहौल बने। वे देश की मजबूत होती आर्थिक स्थिति को भी कमजोर करना चाहते हैं। इसी कारण मुम्बई, दिल्ली, बंगलौर, हैदराबाद और कोलकाता आदि को निशाना बनाया जा रहा है। ये सभी विस्फोट भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में किये जा रहे हैं। गत 25 अगस्त को हैदराबाद में हुए दो विस्फोट इसका प्रमाण हैं।25 अगस्त को शाम 7.37 मिनट पर हैदराबाद के भीड़भाड़ वाले लुम्बिनी पार्क में पहला विस्फोट हुआ। यह भारत का सबसे बड़ा लेजर शो (ध्वनि एवं दृश्य) पार्क है, जो हैदराबाद सचिवालय के निकट है। इसके कुछ ही देर बाद 7.45 मिनट पर कोटी में गोकुल चाट की दुकान पर दूसरा बम विस्फोट हुआ। इन दोनों धमाकों में 42 निर्दोष लोगों की जानें गयीं और 70 से अधिक घायल हो गये। लुम्बिनी पार्क में बम विस्फोट इतना भीषण था कि मृतकों के क्षत-विक्षत शव चारों तरफ बिखर गये। लेजर शो के लिए विख्यात लुम्बिनी पार्क में 1800 लोगों के बैठने की क्षमता है। समान्यत: शनिवार व रविवार की सायंकाल होने वाले दो प्रदर्शनों में यह खचाखच भरा रहता है। इसीलिए आतंकवादियों ने शनिवार (25 अगस्त) की सायंकाल का समय चुना। पर उस दिन भारी वर्षा होने के कारण मात्र 600 लोग ही वहां थे। प्रदर्शन शुरू होने के 10 मिनट बाद ही यह विस्फोट हुआ।कोटी के गोकुल चाट पर हुए बम विस्फोट में अधिक जनहानि हुई। सप्ताहांत का सायंकाल होने के कारण इस क्षेत्र में बहुत भीड़ थी। वहां विस्फोट के बाद का दृश्य दहला देने वाला था। चारों तरफ रक्त और शव। चीख-पुकार और घायल पड़े लोगों की कराहें।हैदराबाद में बम विस्फोटों की यह घटना और भी भयानक हो सकती थी यदि समय रहते दो और बमों को निष्क्रिय न कर दिया गया होता। इनमें से एक बम एक सिनेमा हाल में लगाया गया था और दूसरा एक पैदल पार पथ के पास। इन घटनाओं के बाद हैदराबाद में चारों तरफ अफवाहों और भय का वातावरण बना रहा। शिक्षा और आर्थिक दृष्टि से संभ्रांत कहे जाने वाले इस शहर के लोगों ने पूरी रात जगे रहकर काटी। हर पल यह खटका लगा रहता था कि कहीं से कोई और अनहोनी की खबर न आ जाए।प्रारंभिक सूत्रों के अनुसार इन बम विस्फोटों के पीछे बंगलादेश का आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जिहाद इस्लामी (हूजी) है। यही वह संगठन है जिसने 18 मई को हैदराबाद की ही मक्का मस्जिद में बम विस्फोट किया था, जिसमें 14 लोग मारे गये थे। इस बार ये बम विस्फोट उसी तकनीकी के आधार पर किये गये हैं, जिसके कारण शक की सुई हूजी की ओर घूम रही है। उसके मात्र तीन महीने बाद हैदराबाद में ही हुए इन बम विस्फोटों के बाद लगता है कि राज्य सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा है। इस घटना के अगले दिन राज्य के मुख्यमंत्री श्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी ने मात्र यह कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी तंत्र का एक हिस्सा है और इस बारे में हमारे खुफिया तंत्र ने पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी थी। इतना ही नहीं, उन्होंने दो बमों को विस्फोट से पूर्व ही निष्क्रिय कर देने के लिए राज्य पुलिस की सराहना भी की। प्रश्न है कि राज्य और केन्द्र का खुफिया तंत्र क्या करता रहा? आखिर मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट की जांच कहां तक पहुंची? क्या उस जांच के दौरान राज्य पुलिस यह पता नहीं कर पायी कि हूजी और भी बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी में है? सब तरह की सावधानियों के बावजूद कई बार आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे जाते हैं। पर प्रश्न यह है कि राज्य सत्ता आतंकवाद से लड़ने के प्रति कितनी गंभीर है? जिस तरह की नीतियां और कार्यक्रम सरकार सामने ला रही है वह आतंकवादियों और उनको प्रश्रय देने वाले का हांैसला ही बढ़ाते हैं। हाल ही में राज्य के एक मंत्री और एक राजनीतिक दल के दबाव में जिस प्रकार से पुलिस आयुक्त का स्थानांतरण किया गया वह यह दर्शाता है कि सरकार कहीं न कहीं, किसी न किसी कारण से कट्टरपंथियों के प्रति नरम रवैया अपना रही है। जिन पुलिस आयुक्त को हटाया गया उनके बारे में यह माना जाता था कि वे और उनके नेतृत्व में एक पुलिस दल असामाजिक तत्वों के विरुद्ध बहुत कठोर है, खासकर उनके खिलाफ जिनके संबंध आतंकवादी गुटों से थे। राज्य में निगरानी रखने वाली पुलिस तथा अचानक निरीक्षण की प्रक्रिया लगभग ठप्प सी दिखायी देती है, जो पहले पुलिस का एक हिस्सा थी। पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप अब एक सामान्य बात हो गयी है। इसके साथ ही सर्वोच्च पदों पर बैठे पुलिस अधिकारियों के बीच तालमेल न होना भी बढ़ती आतंकवादी घटनाओं का एक कारण माना जा रहा है।दुर्भाग्य यह है कि राज्य सरकार किसी भी घटना से सबक सीखने के बजाय उसपर लीपा-पोती कर अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है। मक्का मस्जिद में हो रही जांच का कोई परिणाम न आता देख यह मामला केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के हवाले कर दिया गया। घटना के अगले दिन जब टेलीविजन पर लोगों के शव और उनके परिजनों का विलाप दिखाया जा रहा था तब भी राज्य के मुख्यमंत्री अपनी पुलिस की सराहना कर रहे थे। ऐसे में अत्याधुनिक कहे जाने वाले राज्य की राजधानी का प्रत्येक नागरिक यह सोचने को विवश है कि आखिर उसकी रक्षा कौन करेगा? कौन है जो उसके टूटते हौंसले को सहारा देगा? कौन है जो आतंकवाद की वास्तविक जड़ पर प्रहार कर उसे उखाड़ फेंकेगा? कौन है जो उसको इतनी सुरक्षा देगा कि वह देश के विकास में अपना योगदान शांतिपूर्वक दे सके? वि.सं.के., हैदराबाद15
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