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मन का हो तो अच्छा, मन का ना हो तो ज्यादा अच्छा”नमस्ते सिनेमा” की 100 कड़ियांजीसिनेमा चैनल पर हर रविवार को प्रसारित होने वाले धारावाहिक “नमस्ते सिनेमा” ने अपनी 100 कड़ियां पूरी की हैं। दर्शकों ने इस धारावाहिक को इतना सराहा है कि इसको प्रस्तुत करने वाली प्रसिद्ध टेलीविजन प्रस्तोता प्रतिभा आडवाणी का उत्साह देखते ही बनता है। 10 जून को इस धारावाहिक की 100वीं कड़ी का उत्सव भी उन्होंने सिनेमा के असाधारण कलाकार अमिताभ बच्चन के 5 कड़ियों के साक्षात्कार की पहली कड़ी प्रसारित करके मनाया। प्रतिभा इस धारावाहिक की कार्यकारी निर्माता और इसका निर्माण करने वाली स्वयम् इंफोटेन्मेंट की प्रबंध निदेशक हैं। अमिताभ बच्चन से उनके जीवन का सबसे लम्बा और अनेक अनछुए पहलुओं को उजागर करने वाला साक्षात्कार लेने के बाद प्रतिभा फिल्म जगत के इस अनूठे व्यक्तित्व के प्रति कृतज्ञ हैं।”नमस्ते सिनेमा” 30 मिनट का एक ऐसा कार्यक्रम है जो हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध निर्देशकों, कलाकारों, संगीतकारों, गीतकारों आदि के साक्षात्कार और उनके द्वारा स्थापित कुछ मील-पत्थरों की झलक दिखाता है। अब तक इसमें जिन निर्माता-निर्देशकों, कलाकारों से उनके चाहने वालों को मिलवाया गया है, इनमें प्रमुख हैं- दिलीप कुमार, देवानंद, मनोज कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, अनुपम खेर, अनिल कपूर, प्रेम चोपड़ा, संजय खान, फिरोज खान, कादिर खान, सुभाष घई, माधुरी दीक्षित, विधु विनोद चोपड़ा, मधुर भण्डारकर, जावेद अख्तर, जे.पी. दत्ता और बी.आर. चोपड़ा। प्रतिभा कहती हैं कि इस कार्यक्रम में उनका उद्देश्य किसी कलाकार के उस व्यक्तित्व को देशवासियों के सामने लाना होता है जो उसकी पर्दे की छवि के पीछे होता है। उसके बचपन, परिवार, शुरुआती संघर्ष, प्रेरणा और जीवन दृष्टि पर ऐसी बेबाक बातचीत होती है कि बस क्या कहने। यही बात लोगों को पसंद आती है और वे हर रविवार बड़ी बेसब्री से इस कार्यक्रम का इंतजार करते हैं। इस कार्यक्रम के बारे में साक्षात्कार देने वाले कुछ फिल्मी निर्देशकों/कलाकारों की टिप्पणियां देखिए-1. महेश भट्ट-“कार्यक्रम बहुत दिलचस्प है और इसके प्रत्येक दृश्य में अथक परिश्रम दिखाई देता है।” इसी तरह की बातें सुभाष घई, सुनीता गोवारिकर (आशुतोष गोवारिकर की पत्नी) और राजू हीरानी ने भी कीं।कार्यक्रम की एक और खास बात यह है कि इसमें समय-समय पर सिनेमा जगत में कुछ विषय विशेष की चर्चा की जाती है। उदाहरण के लिए, स्वतंत्रता दिवस पर हिन्दी फिल्मों में देशभक्ति, दीपावली पर राम और जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण पर विशेष आयोजन होता है। हिन्दी फिल्मों में वन्देमातरम् वाली कड़ी तो बहुत सराही गई थी। “आनंदमठ” से “लगे रहो मुन्नाभाई” तक वंदेमातरम् की झलक को दर्शकों ने बहुत पसंद किया।प्रतिभा इससे पहले दूरदर्शन के लिए “यादें” कार्यक्रम भी बना चुकी हैं जिसकी 86 कड़ियां दिखाई गई थीं। दरअसल हिन्दी सिनेमा से जुड़ा हर विषय प्रतिभा को रोमांचित कर देता है इसलिए उनकी प्रस्तुति में भी वे बहुत मेहनत करती हैं।अमिताभ से प्रतिभा ने जो 100 मिनट का साक्षात्कार लिया है, जो कुल 5 कड़ियों में है, (पहली और दूसरी कड़ी कमश: 10 जून व 17 जून को प्रसारित हो चुकी है) उसमें “बिग बी” ने अपने जीवन के उन अनछुए पहलुओं की यात्रा कराई है जो उनकी निजी जिंदगी से बहुत करीब से जुड़े हैं। मायानगरी में उनका शुरुआती संघर्ष, ऊंचे कद के कारण नृत्य करने में कठिनाई और फिर कैसे उस कठिनाई का रास्ता खोजा आदि कई दिलचस्प बातें इसमें हैं। अमिताभ बताते हैं कि जब भी उनके जीवन में कठिन दौर आता है पिता स्व. हरिवंशराय बच्चन की यह पंक्ति उन्हें रास्ता दिखाती है- “मन का हो तो अच्छा, मन का ना हो तो ज्यादा अच्छा।” वे कहते हैं कि एक कलाकार के नाते उनके जीवन का सबसे दुखद दिन वह होगा जब उन्हें सिनेमा से पूर्ण तृप्ति हो जाएगी और लगेगा कि अब और सीखने को कुछ नहीं बचा है। प्रतिभा इस साक्षात्कार के बारे में कहती हैं कि वे इस बात से बहुत प्रभावित हुई थीं कि 40 साल के फिल्मी जीवन के बाद भी अमिताभ कितने नम्र और कितनी रचनात्मक सोच रखते हैं। 65 की उम्र में भी वे युवाओं को और वृद्धों को एक सरीखा प्रभावित कर पाते हैं। साक्षात्कार का अंत अमिताभ की आवाज में “मधुशाला” की कुछ पंक्तियों के साथ होता है। अमिताभ इस साक्षात्कार से बहुत प्रभावित हुए थे और उन्होंने साक्षात्कार लेने वाली प्रतिभा की प्रतिभा की जमकर तारीफ की थी। प्रतिनिधि12
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