श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी को समर्पित दो अन्त:क्षेत्र
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श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी को समर्पित दो अन्त:क्षेत्र

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Apr 2, 2007, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Apr 2007 00:00:00

श्रीगुरुजी डाट ओआरजी गोलवलकरगुरुजी डाट ओआरजीश्रीगुरुजी जन्म शताब्दी वर्ष समारोहों का भव्य शुभारम्भ फरवरी, 2006 में हुआ था और उसके बाद से ही देशभर में श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी के अंतर्गत कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। देश के लगभग हर हिस्से में, शहरों और ग्रामों तक विशाल हिन्दू सम्मेलन, प्रबुद्ध गोष्ठियां, परिचर्चाएं तथा अन्य कार्यक्रम हुए। समरसता पर अधिकाधिक आयोजन हुए। इसके साथ श्रीगुरुजी के व्यक्तित्व और कृतित्व, संघ दर्शन, शताब्दी वर्ष समारोहों के विभिन्न आयोजन, संघ साहित्य, छायाचित्रों की अनूठी प्रस्तुति हुई दो विशेष रूप से निर्मित अंत:क्षेत्रों- shriguruji.org और golwalkarguruji.org पर। ये दोनों ही अंत:क्षेत्र जन्मशताब्दी आयोजनों को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने में सफल रहे और इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन सैकड़ों लोगों ने इन अंत:क्षेत्रों को देखा। shriguruji.org पर “हिट्स” की संख्या तो पिछले साल फरवरी से इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 2,75,327 के आंकड़े को छू चुकी थी। इन अंत:क्षेत्रों का विचार कैसे आया और किस प्रकार ये स्वयंसेवकों के साथ ही भिन्न विचार वालों को भी अपनी ओर आकर्षित कर सके, इस पर रा.स्व.संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री राममाधव कहते हैं- “श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी पर विभिन्न आयोजनों और कार्यक्रमों सहित श्रीगुरुजी के जीवन से जुड़े विभिन्न आयामों पर आधारित एक अंत:क्षेत्र तैयार करने का विचार आया। shriguruji.org उसी में से साकार हुआ, इसके बाद golwalkarguruji.org बना। दोनों अंत:क्षेत्रों को लोगों का अच्छा प्रतिसाद मिला है। उदाहरण के लिए, golwalkarguruji.org पर जो “वालपेपर” दिए गए हैं, उन्हें दुनियाभर में बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने डाउनलोड करके अपने कम्प्यूटरों पर सजाया है। जन्मशताब्दी कार्यक्रमों का विवरण लोग उसमें पढ़ते हैं। guruji.org पर नागपुर के जन्म शताब्दी उद्घाटन समारोह का पूरा वीडियो उपलब्ध है। दुनियाभर में उसका “लाइव” प्रसारण हुआ था, जिसे लाखों लोगों ने एक साथ देखा था। इसी तरह फरवरी 2007 को होने वाला समापन समारोह भी अंत:क्षेत्र पर “लाइव” दिखाया जाएगा। golwalkarguruji.org पर श्रीगुरुजी के अनेक संग्रहणीय चित्र हैं, वीडियो चित्र हैं, उनके भाषणों के अंश हैं। गुरुजी की “बंच आफ थाट्स” पुस्तक है, लेख हैं। कितनी ही सामग्री डाउनलोड की जा सकती है। यह अंत:क्षेत्र विशुद्ध रूप से श्रीगुरुजी के जीवन की विभिन्न जानकारियां उपलब्ध कराता है, जबकि shriguruji.org जन्म शताब्दी कार्यक्रमों की जानकारियां देता है।shriguruji.org के संयोजन और संचालन की कमान है संघ के प्रचारक श्री मिलिन्द ओक के हाथ। वे संघ के अखिल भारतीय अभिलेखागार प्रमुख हैं और नई दिल्ली के झण्डेवाला मुख्यालय पर रहकर ही इस अंत:क्षेत्र का सूत्र संभाले हुए हैं। shriguruji.org का शुभारम्भ ठीक गुरुजी जन्मशताब्दी समारोह के उद्घाटन के दिन ही हुआ था। मिलिन्द जी उत्साह से बताते हैं, “देखिए, स्वयंसेवकों में तो ये काफी प्रसिद्ध हुआ है, पर संघ से इतर विचार रखने वाले भी जन्मशताब्दी कार्यक्रमों के बारे में जानने के लिए इस अंत:क्षेत्र को “विजिट” करते हैं। दिनभर में सैकड़ों हिट्स होते हैं। मिलिन्द जी के साथ दो-तीन निपुण कार्यकर्ता दिल्ली से और फिर पुणे, बंगलौर के भी कुछ स्वयंसेवक जुड़े हैं। देशभर में जो कार्यक्रम हुए हैं, उनकी तमाम जानकारियां एकत्र करके अंत:क्षेत्र पर “अपलोड” करना कोई सरल काम नहीं है।इसी तरह golwalkarguruji.org का निर्माण और संयोजन किया है पुणे के स्वयंसेवक आई.टी. विशेषज्ञ श्री अजित देशपाण्डे ने। अजित जी के साथ स्वयंसेवकों का एक दल जुड़ा है जिसमें प्रमुख हैं हेतल राच और शेखर देशकर। करीब 10-12 लोग हैं पुणे में जो इस अंत:क्षेत्र पर अधुनातन जानकारियां जोड़ते रहते हैं। इस अंत:क्षेत्र पर श्रीगुरुजी से संबंधित तमाम संदर्भ और अन्य आयाम उपलब्ध हैं और यह अंत:क्षेत्र श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोहों की समाप्ति के बाद भी जारी रहने वाला है। पाञ्चजन्य से बातचीत में अजित जी बताते हैं, “अंत:क्षेत्र पर हिन्दुत्वनिष्ठ विचारों की उपस्थिति बढ़े और श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी पर श्रीगुरुजी पर विशेष सामग्री उपलब्ध कराएं, यह विचार आया था। इसके बाद ही हमने यहां अपने अधिकारियों और सरकार्यवाह श्री मोहन भागवत के मार्गदर्शन में इस ओर कदम बढ़ाया। इसका एक कारण यह भी था कि हिन्दुत्वनिष्ठ विचारों के खिलाफ कम्युनिस्टों के अलावा की कई स्वर उठते हैं, उनको सामने लाया जाए। ऐसा हुआ भी। अमरीकी मुस्लिमों ने अपनी वेबसाइट पर इसके बारे में खूब उल्टा-सीधा लिखा।”पुणे के अजित जी और उनके सहयोगी इस प्रयास की सफलता से उत्साहित हैं, क्योंकि अब तक लाखों “हिट्स” हो चुके हैं। अंत:क्षेत्र पर हिन्दी, मराठी और अंग्रेजी, तीनों भाषाओं में आडियो, वीडियो सामग्री उपलब्ध है। “इंटरनेट सर्च इंजन” गूगल पर भी यह अंत:क्षेत्र “सर्च” किया जा सकता है। “इस अंत:क्षेत्र पर “इंटरएक्टिव” सुविधा भी शुरू की गई है। पाठक विभिन्न विषयों पर अपने विचार इसके अंतर्गत भेजते हैं। इसमें सकारात्मक प्रतिक्रियाएं होती हैं तो नकारात्मक भी। श्रीगुरुजी के जीवन पर विभिन्न जानकारियों के इच्छुक व्यक्ति इस अंत:क्षेत्र के माध्यम से संपर्क करते रहते हैं।अजित बताते हैं, “पुणे, अमरावती, नागपुर, बंगलौर आदि के अलावा अमरीका के भी स्वयंसेवक इस अंत:क्षेत्र के संचालन में मदद करते हैं। पुणे में “कोर कोआर्डिनेशन टीम” है। इसमें 10 लोग हैं जिनको प्रांत बौद्धिक प्रमुख श्री दिनेश राव का सहयोग मिलता रहता है। इनके अलावा अ.भा. सह बौद्धिक प्रमुख श्री दत्तात्रेय होसबाले और श्री राम माधव का दिशानिर्देशन मिलता है।” अजित देशपाण्डे पुणे में ही एक साफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत हैं।golwalkarguruji.org पर दो “लिंक” भी हैं जो सीधे-सीधे रा.स्व.संघ और shriguruji.org से आपको जोड़ सकते हैं। तीनों भाषाओं में मिलाकर करीब ढाई से तीन हजार पुस्तक पृष्ठों के बराबर सामग्री इस अंत:क्षेत्र पर आज की तारीख में उपलब्ध है। अजित और उनके सहयोगी छह दिन अपने-अपने दफ्तरों में काम करते हैं पर सातवां दिन इस अंत:क्षेत्र के लिए समर्पित रहता है। योजना यह है कि श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोहों की समाप्ति के बाद भी आने वाले 5 वर्ष तक के लिए यह अंत:क्षेत्र संदर्भ सामग्री हेतु उपलब्ध रहेगा। नई-नई सामग्री उसमें जुड़ती जाएगी। अद्भुत है यह उत्साह और समर्पण। श्री मिलिन्द ओक और श्री अजित देशपाण्डे और उनके सहयोगी बहुत सेवा भाव के साथ एक साधना में रत हैं। इसका प्रतिसाद तो मिलना ही था। सबसे बढ़कर है आत्मिक संतोष, जो आज ये दोनों ही कार्यकर्ता अपने भीतर महसूस कर रहे हैं। प्रतिनिधि30

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