पाठकीय
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पाठकीय

by
Mar 6, 2007, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 06 Mar 2007 00:00:00

माकपा की फासीवादी सोच खतरनाक-प्रदीप कुमारआखिरकार माकपा का फासीवादी चेहरा उजागर हो ही गया। माकपा और उसके नेताओं की फासीवादी सोच ही ऐसी है कि वे किसी आलोचना को बर्दाश्त नहीं कर सकते। जब संदिग्ध स्रोतों से पैसा जोड़ने की पार्टी की चाल को बेनकाब किया गया तो कोई और नहीं खुद पार्टी के राज्य सचिव पिनरई विजयन ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मलयालम दैनिक मातृभूमि के बारे में बोलते हुए अपनी असहिष्णुता जाहिर कर दी। उल्लेखनीय है कि मातृभूमि ने माकपा मुखपत्र देशाभिमानी द्वारा एक फरार लाटरी माफिया सांतियागो मार्टिन से दो करोड़ रुपए लेने का खुलासा किया था। पार्टी में पिनरई के सहयोगी जयराजन ने भी इस मामले में राज्य विधानसभा और उसके बाहर अपनी दुर्भावना व्यक्त की थी। पिनरई गुट के वरिष्ठ नेता जयराजन देशाभिमानी के महाप्रबंधक हैं और राज्यसचिव पिनरई के पक्के अनुयायी हैं। कन्नूर में इन्हीं जयराजन ने अपने भाषण में साफ दर्शाया कि माकपा में फासीवादी रंग-ढंग अब स्थापित हो चुका है। जयराजन ने न्यायमूर्ति सुकुमारन के लिए जमकर अपमानजनक शब्द प्रयोग किए। न्यायमूर्ति सुकुमारन ने पार्टी सचिव पिनरई के संदिग्ध धनस्रोतों और संदिग्ध छवि वाले लोगों से कथित सम्बंधों पर पिनरई की आलोचना की थी। पिनरई विजयन ने कुछ दिन पहले दैनिक मातृभूमि के सम्पादक गोपालकृष्णन के लिए भी तीखे शब्द इस्तेमाल किए थे क्योंकि दैनिक मातृभूमि ने देशाभिमानी के संदिग्ध पैसे के लेन देन की रपट छापी थी, जिससे पार्टी को शर्मसार होना पड़ा था। कन्नूर में जयराजन ने एक कार्यक्रम में इससे भी एक कदम आगे जाते हुए न्यायमूर्ति सुकुमारन के लिए बहुत हल्के शब्द प्रयोग किए।दैनिक मातृभूमि के कालीकट स्थित मुख्यालय में गत 8 जुलाई को सम्पन्न एक सम्मेलन में माकपा नेताओं के इस दुर्भावनापूर्ण फासीवादी व्यवहार के विरुद्ध तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई। सम्मेलन में मौजूद प्रमुख पत्रकारों, शिक्षाविदों, साहित्यकारों, मीडियाकर्मियों और संस्कृतिकर्मियों ने अपने वक्तव्यों में लोगों से ऐसी फासीवादी सोच के प्रति सावधान रहने का आह्वान किया।। । ।माकपापार्टी का कोष 5 हजार करोड़ रुपए!माकपा चाहे सत्ता में हो या न हो, यह सीधे या उल्टे तरीकों से पैसा इकट्ठा करती रहती है। केरल में माकपा ने, कहा जाता है कि, 5 हजार करोड़ रुपए की सम्पदा इकट्ठी कर ली है। माकपा कट्टर साम्प्रदायिक मुस्लिम और ईसाई गुटों से अवसरवादी गठजोड़ करके पैसे की दृष्टि से सबसे अमीर पार्टी बन गई है। आज यह ऐसे कारपोरेट समूह की शक्ल में दिखती है जिसकी न जाने कितनी सम्पत्ति यहां-वहां बिखरी है।कामरेड खुद को भले ही सर्वहारा वर्ग की पार्टी बताते हों मगर पिछले 5 दशकों में पार्टी की केरल इकाई 5 हजार करोड़ रुपए की स्वामी बन गई है।खाड़ी के देशों में केरलवासियों के नौकरी करने के बाद से केरल में जमीन की कीमतें आसमान छूने लगी हैं और माकपा ने इसी मौके का फायदा उठाते हुए बड़ी मात्रा में जमीन, इमारतें तथा अन्य सम्पदा जुटा ली। माकपा और उसके सहयोगी संगठनों, जैसे सीटू, एस.एफ.आई., डी.वाई.एफ.आई., महिला संगठन, सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, कालेज और अन्य व्यावसायिक संस्थान, चाहे किसी ताल्लुक में हों या जिले में, अपने-अपने प्रमुख स्थानों में बने भवनों में काम कर रहे हैं। माकपा मुख्यालय ए.के. गोपालन भवन तो माकपा की अकूत दौलत की एक झलक ही है। 15 सौ सीटों वाला एक एयर कण्डीशन्ड सभागार इसमें है। 60 एकड़ के मैदान में एक बड़ा नगर बसाया गया है जिसे ई.एम.एस. अकादमी कहते हैं और यहां माकपा कार्यकर्ताओं को “प्रशिक्षण” दिया जाता है। केरल में ऐसे कापरेटिव बैंकों और अस्पतालों की कमी नहीं है जो माकपा के निर्देश में चलते हैं। ईसाई मिशनरियों की तरह माकपा इन रास्तों से भी पैसा कमा रही है।श्रद्धाञ्जलि- विश्वनाथ जी धर्म-योद्धा का महाप्रयाण दृढ़ इच्छाशक्ति के पर्यायसमर्पण का आदर्श थे विश्वनाथ जी – कुप्.सी. सुदर्शन, सरसंघचालक, रा.स्व.संघस्वयंसेवकों ने दी भावभीनी विदाईवे पुरानी-नई पीढ़ी के बीच प्रभावी कड़ी थे – मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघउन्होंने सभी को ध्येयवादी बनाया, व्यक्तिवादी नहीं -सुरेश सोनी, सह सरकार्यवाह, .स्व.संघसंगठन-शिल्पी थे -डा. कृष्ण कुमार बवेजा, सह प्रान्त प्रचारक, दिल्ली प्रान्तसदा संघ कार्य में लीन – सोहन सिंह, वरिष्ठ प्रचारकजो ठान लिया, सो कर दिया -बृजभूषण सिंह बेदी, संघचालक, रा.स्व.संघ, पंजाब प्रान्तबहुत कुछ सीखा, बहुत कुछ जाना -दिनेश चंद्र, उत्तर क्षेत्र प्रचारक, रा.स्व.संघगोरखपुर के सूत्र कहां? -गोरखपुर से पवन कुमार अरविन्दगोरखपुर के सांसद एवं गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ ने मांग की- आतंकवाद को सख्ती से कुचले सरकारविश्व हिन्दू परिषद् केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक संतों का आह्वान- रामसेतु पर समझौता नहीं – प्रतिनिधिविश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल द्वारा पारित प्रस्तावों के मुख्य अंश- प्रस्ताव क्रमांक-1हम उनकी मंशा पूरी न होने देंगे -अशोक सिंहल, अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद् – (जितेन्द्र तिवारी से बातचीत पर आधारित)आस्था केन्द्रों से छेड़छाड़ होगी तो क्षोभ उत्पन्न होगा ही – आचार्य सुधांशुजी महाराज, प्रख्यात कथावाचकदेहरादून रामसेतु रक्षण गोष्ठी – सुभाष जोशीकोलकाता रामसेतु रक्षार्थ प्रदर्शन – प्रतिनिधिइन्दौर राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन – दीपक नाईकगुरूवायूर श्रीकृष्ण-10इस सप्ताह आपका भविष्यऐसी भाषा-कैसी भाषा पुस्तक समीक्षा आज और कल रूट डायवर्जन कब समझेंगे हम सावरकर को?- नरेश शांडिल्यचर्चा-सत्र संतों के सेवाकार्य भी तो दिखाए मीडिया- साध्वी ऋतम्भरा, संस्थापक, वात्सल्य ग्राम (वृंदावन)सरोकार पशु-हाट बंद हों -मेनका गांधी, सांसद, लोकसभासंस्कृति-सत्य भगवती चरण वोहरा जिनके लिए देश पहले, परिवार बाद में थासाध्वी ऋतम्भरा, संस्थापक, वात्सल्य ग्राम (वृंदावन)मंथन 2007 के द्वारे 1857 की दस्तक-5 मौ. अहमदुल्लाह-सन्त या जिहादी?-देवेन्द्र स्वरूपचीनस्य बुद्ध:, बुद्धस्य भारतम्-11 रेशम मार्ग में अलगाव की आंच -तरुण विजयउत्तराखंड भाजपा कार्यसमिति की बैठक जनता की कसौटी पर खरा उतरने का संकल्प -हरिद्वार से राकेश गिरीराष्ट्रपति चुनाव-2007 संप्रग के रूखे रवैए के बाद आम राय बनेगी क्या? – विनीता गुप्ताकेरल अभाविप की राष्ट्रीय संगोष्ठी में अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों पर लगाम की मांग -प्रदीप कुमारवि.सं.के.,कोलकाता की सीडी से उजागर हुआ नन्दीग्राम का सच! – आलोक गोस्वामीशिवाजी का शौर्य युवाओं को सदैव प्रेरणा देता रहेगा – मदनदास, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघडा. निशंक का कहानी संग्रह “खड़े हुए प्रश्न” लोकार्पित हम आश्वासन ही न दें, समाधान भी खोजें -अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्रीहिन्दी कम्प्यूटर और वर्ण कैसी हो कम्प्यूटर की हिन्दी भाषा – नरेश शांडिल्यसुन लो बच्चो… जंगल में अखबार छपेगा – समीक्षकगुरदासपुर एवं मालदा में 242 लोगों की घरवापसी -अमृतसर से राजीव कुमार और कोलकाता से बासुदेब पालहरिद्वार में कुष्ठ सेवार्थ समिधा चिकित्सालय का उद्घाटन सेवा से बढ़ती है व्यक्ति की क्षमता, -विजय कौशल जी महाराज, सुप्रसिद्ध रामायण कथाकार – राकेश गिरीनई दिल्ली में श्रीराम की पग-धूलि से पावन हुए स्थलों की चित्र प्रदर्शनी जहं-जहं राम चरण चलि जाहिं…. – प्रतिनिधिस्वयंसेवक के हत्यारों को उम्रकैद – प्रतिनिधिधर्म प्रसार से जुड़े कार्यकर्ताओं का सम्मेलन पिछड़ों को साथ लेकर बढ़ें, -मोहन जोशी, केन्द्रीय मंत्री, विश्व हिन्दू परिषद् – प्रतिनिधिनागपुर में तरुण संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण प्रारंभ सहसरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने किया उद्घाटन और कहा- अविरत चलती रहे साधना – वि.सं.के. नागपुरजम्मू-कश्मीर कठुआ में सरकारी जमीन पर जबरन मुसलमानों को बसाने की कोशिश एक और षडंत्र? – जम्मू से खजुरिया एस. कान्तहिन्दू शरणार्थियों को नागरिकता का सवाल हिन्दू हैं इसलिए सुनवाई नहीं?त्रिपुरा में यूं समाप्त हुई थी नरबलि परम्परा – विपिन बिहारी पाराशर2अंक-सन्दर्भ,22 अप्रैल, 2007पञ्चांग संवत् 2064 वि.तिथि – वार ई. सन् 2007अधिक ज्येष्ठ कृष्ण 2 रवि 3 जून, 07″” 3 सोम 4 “””” 4 मंगल 5 “””” 5 बुध 6 “””” 7 गुरु 7 “”(षष्ठी तिथि का क्षय)”” 8 शुक्र 8 “””” 9 शनि 9 “”माया राजजय चुनाव आयोग की, आया माया राजपुन: मुलायम सिंह के, सिर से उतारा ताज।सिर से उतरा ताज, कमल की पांखें टूटींजो आशाएं लगी हुई थीं, वे सब छूटीं।कह “प्रशांत” हम दुख मानें या खुशी मनाएंनिकल कुएं से चलो आज खाई में जाएं।।-प्रशांतविनय न मानत जलधि जड़…रामसेतु प्रकरण में यह तो समझ आता है कि माक्र्स या माओ के अनुयायी सेकुलर इससे भारतीयता की पुष्टि होती देख इसका विरोध करें। यह उनका स्वाभाविक कर्म भी है। पर “रघुपतिराघव राजाराम” का अहर्निश जाप करने वाले महात्मा गांधी से बिना वजह अपना सम्बन्ध जोड़ने वाले/वाली नेता का दल भी इसका विरोधी है- यह जानकर आश्चर्य होता है। मत मानिए कि यह रामसेतु है, मत मानिए कि यह मानवनिर्मित है, मत मानिए कि इसके नष्ट होने से देश सुनामी के संकटों से घिर जाएगा। पर कम से कम यह तो मानिए कि यह इस देश के बहुसंख्यक वर्ग की आस्था का केन्द्र है। यह तो मानिए कि यह तमिलनाडु की आय का एक बड़ा संसाधन है। इस कारण यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।-कृष्ण प्रभाकर उपाध्याय50, अरुणानगर, एटा (उ.प्र.)जिस देश के गांव-गांव में भगवान श्रीराम की पूजा होती हो, जिस देश के लोग अन्तिम सांस तक श्रीराम का नाम जपते हों, उसी देश में श्रीराम द्वारा निर्मित रामसेतु को तोड़ने का प्रयास हो रहा है। विडम्बना तो यह है कि यह प्रयास हिन्दुओं द्वारा ही किया जा रहा है। रामसेतु तोड़ने वालों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि इसके गंभीर परिणाम होंगे। वे ऐसी परिस्थिति भी न बनाएं जहां हर रावण का अन्त होता है और सन्त और आस्था के प्रतीक व गौरव की जीत होती है।-इन्द्र किशोर मिश्र68, नया बाजार, खड़गपुर (प.बंगाल)रामसेतु तोड़ने की योजना विचलित करने वाली है। आश्चर्य है कि इस सम्बन्ध में कोई समाचार किसी अन्य पत्र या समाचार चैनल में पढ़ने-देखने को नहीं मिला। पाञ्चजन्य यदि न पढ़ते तो शायद हम इस सच्चाई को जानते भी नहीं। रामसेतु निश्चय ही हिन्दुओं की आस्था, गौरव एवं श्रद्धा का प्रतीक है। आज हिन्दुओं के प्रतीक चिन्हों पर जिस प्रकार हमले हो रहे हैं, हिन्दू भावनाओं को आहत किया जा रहा है, उसके पीछे हिन्दुओं की प्रसुप्ति भी बहुत बड़ा कारण है। रामसेतु नि:संदेह हिन्दू मानस का “पारस” है, लेकिन यदि हम कुछ क्षणों के लिए इसे हिन्दू धर्म से न बांधें तो अच्छा रहेगा। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ें। रामसेतु के बारे में श्री कुप्.सी. सुदर्शन एवं श्री कल्याणरमन के विचारों पर सरकार को अवश्य ध्यान देना चाहिए। इस सेतु के टूटने से समुद्री तूफानों का खतरा, भारत के प्राकृतिक संसाधनों पर विदेशी कब्जा एवं राष्ट्रीय असुरक्षा जैसी कई महत्वपूर्ण समस्याएं सामने आ सकती हैं।-सावित्री देवीमानव सेवा संघ (दिल्ली)लंका पर प्रभु राम के आक्रमण के पूर्व भारत के प्रथम “सिविल इंजीनियर” नल-नील, सुग्रीव तथा हनुमान की वानर सेना के सहयोग से बना रामसेतु मात्र शास्त्रों का विषय नहीं, भारतीयों की धार्मिक आस्था से जुड़ा है। सेतु समुद्रम परियोजना से बेशक मालवाहक जहाजों का परिवहन व्यय कम होगा और 16 घंटे समय की बचत होगी, पर भारतीयों की भावनाओं को अपरिमित ठेस पहुंचेगी, यह बात सरकार क्यों नहीं समझती?-इन्दिरा किसलयबल्लालेश्वर, रेणुका विहार, नागपुर (महाराष्ट्र)रामसेतु को तोड़ने पर उतारू संप्रग सरकार तालिबान से भी अधिक खतरनाक है। इस सरकार ने 17 लाख वर्ष पुराने रामसेतु को तोड़ने का निर्णय अमरीकी दबाव में लिया है। इससे बड़ा अधार्मिक एवं तालिबानी कार्य और क्या हो सकता है? यदि सरकार ने अपना यह फैसला नहीं बदला तो लोग उसे सबक अवश्य सिखाएंगे।-भारती दासतेतेलिया, गुवाहाटी (असम)बांटो और राज करो की नीति आज भी जारी है। रामसेतु तोड़ा जा रहा है, हिन्दुओं की आस्था पर चोट की जा रही है। लगता है यह सब इसलिए हो रहा है ताकि देशी-विदेशी कट्टरपंथी ताकतें खुश हों। कहीं यह समाचार भी सुना है कि राम मन्दिर न बने इसके लिए विदेशों से धन तथा राजनीतिक समर्थन भारत के सेकुलरों को मिल रहा है।-सुहासिनी प्रमोद वालसांगकरदिलसुखनगर, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश)सरकार रामसेतु को तोड़ने के निर्णय पर पुनर्विचार करे। रामसेतु के सन्दर्भ में तथ्यों की अनदेखी की गई है। निर्णय से पूर्व नेरी और नियोट जैसी पर्यावरण से सम्बंधित संस्थाओं से सलाह नहीं ली गई। यह भी पता चला है कि सुनामी के समय इस सेतु ने तमिलनाडु और केरल के तटों की सुरक्षा की थी। इनके अलावा रामसेतु हिन्दू जनभावना से जुड़ा है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से बना यह सेतु हमारी राष्ट्रीय धरोहर के रूप में सुरक्षित रहना चाहिए।-मीनाक्षी कौशल123, रूड़की रोड, मेरठ छावनी (उ.प्र.)हिन्दूबहुल देश होते हुए भी भारत में हिन्दुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता है। पहले श्रीराम जन्मभूमि को लेकर और अब रामसेतु को लेकर हिन्दुओं की भावनाओं को कुचला जा रहा है। कहा जा रहा है कि रामसेतु है ही नहीं, जबकि इस सम्बंध में अनेक अकाट तथ्य उपलब्ध हैं। नासा ने भी इसकी पुष्टि की है।-वीरेन्द्र सिंह जरयाल28ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्णा नगर (दिल्ली)राजनीति विकृति है जो तोड़ती है। संस्कृति-सु-कृति है जो जोड़ती है। भगवान राम का सेतु संस्कृति का प्रतीक है। यह प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर ही नहीं, श्रीराम द्वारा उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का आदर्श प्रेमसेतु है, आस्था और विश्वास का संस्कृति-स्तम्भ है। इसकी हर तरह से रक्षा की जानी चाहिए।-प्रमोद कुमार साहूकालभैरव चौक, सिहोरा रोड, जिला-जबलपुर (म.प्र.)रोचक एवं ज्ञानप्रदश्री तरुण विजय की लेखमाला “चीनस्य बुद्ध:, बुद्धस्य भारतम्” बहुत ही रोचक जानकारियों से भरपूर एवं ज्ञानप्रद है। चीन में गहरे पैठे कम्युनिज्म एवं अजीबोगरीब राजनीतिक तंत्र- जहां पूंजीवाद और साम्यवाद में अजब मेल है- के बावजूद भारत और भारतीयों के लिए चीन से सीखने को बहुत कुछ है।-गोपाल कुलकर्णी282, डा. मुखर्जी नगर (दिल्ली)समाज-तोड़क नीतिदिशादर्शन (8 अप्रैल, 2007) में श्री तरुण विजय के लेख “आक्रोश अभी कुछ बाकी है” से संकेत मिलता है कि संप्रग सरकार ब्रिटिश हुकूमत की तर्ज पर चल रही है। स्वतंत्रता से पूर्व अंग्रेज सरकार समाज में वैमनस्य पैदा करती थी और आज संप्रग सरकार सच्चर समिति, बनर्जी समिति आदि के माध्यम से समाज को बांट रही है। प्रत्येक देश की सरकार अपने सांस्कृतिक मूल्यों एवं सभ्यता के मापदण्डों का सम्मान करती है। किन्तु भारत की सरकारें अपने सांस्कृतिक मूल्यों की उपेक्षा और अपमान करती रही हैं। कहने को तो भारत हिन्दुबहुल देश है, पर यहां सबसे अधिक हिन्दू मान-बिन्दुओं का ही अपमान होता है।-दिलीप शर्मा114/2205, एम.एच.वी. कालोनी, समता नगर, कांदीवली पूर्व, मुम्बई (महाराष्ट्र)एक पाती प्रधानमंत्री के नामहमारे प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह चुनावी सभाओं को छोड़कर और कहीं भी बोलते हैं तो अंग्रेजी में। जबकि अंग्रेजी भाषा देश के 2 प्रतिशत लोग ही समझते हैं। यह कैसी विडम्बना है कि जिस देश के 98 प्रतिशत लोग जिस भाषा को नहीं समझते उस देश का प्रधानमंत्री उसी भाषा में बोलता है। प्रधानमंत्री दिल्ली में उन ग्रामीणों को, जिन्हें अच्छी तरह हिन्दी भी नहीं आती है, अंग्रेजी में सम्बोधित करते हैं। अत: प्रधानमंत्री से मेरा निवेदन है कि वे जब तक इस पद पर हैं हिन्दी में बोलें। हो सके तो विदेशों में भी हिन्दी का प्रयोग करें। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस परम्परा की शुरुआत की थी।-रूप सिंहमहरौली, ललितपुर (उ.प्र.)पुरस्कृत पत्र18 सांसद, 54 विधायक, फिर भी अल्पसंख्यक!इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 4 अप्रैल, 2007 को उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों की अल्पसंख्यक मान्यता समाप्त करने संबंधी 89 पृष्ठ का विस्तृत फैसला सुनाया। यह फैसला न्यायालय की एकलपीठ के न्यायमूर्ति एस.एन. श्रीवास्तव ने सुनाया। उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कहा, “1947 में देश विभाजन के समय जो राष्ट्रवादी मुसलमान भारत में रह गये थे उन्हें संरक्षण मिलना चाहिए। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय तथा संविधान सभा की इच्छानुसार मजहबी अल्पसंख्यकों की आबादी कुल आबादी से पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। जबकि उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी कुल आबादी की लगभग एक चौथाई है। इतनी अधिक आबादी होने के बावजूद मुसलमान अल्पसंख्यकों को मिलने वाली सभी सुविधाओं का पूरा लाभ उठा रहे हैं, साथ ही अपनी आबादी को तेजी से बढ़ा रहे हैं। इसी न्यायालय के अनुसार 1951 की जनगणना व 2001 की जनगणना का तुलनात्मक अध्ययन करने पर पता चलता है कि एक ओर जहां मुस्लिम आबादी में तीन प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी, वहीं हिन्दू आबादी में नौ प्रतिशत की कमी हुई। यही नहीं उत्तर प्रदेश में मुसलमान राजनीतिक रूप से कितने ताकतवर हैं यह इसी बात से पता चलता है कि राज्य से 18 मुस्लिम सांसद लोकसभा में हैं। विधान परिषद् में 9 मुस्लिम सदस्य हैं और पिछली विधानसभा में 45 मुस्लिम विधायक थे। इन सबके अतिरिक्त अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर जो लाभ उन्हें दिये जाते हैं वे अलग हैं।” हालांकि उ.प्र. सरकार की पहल पर इस निर्णय पर अभी रोक लगी हुई है।इतनी साफ तस्वीर होने के बावजूद भी यदि मुसलमानों का अल्पसंख्यक दर्जा समाप्त नहीं किया जाता है तो इसका सीधा-सीधा अर्थ यही है कि उन्हें देश की मुख्य धारा में शामिल होने से रोकने, समान नागरिक संहिता का उल्लंघन करने और भेदभाव की नीति को बढ़ावा देने का कार्य सेकुलरवादी कर रहे हैं।-कुमुद कुमारए-5, आदर्श नगर, नजीबाबाद, बिजनौर (उ.प्र.)हर सप्ताह एक चुटीले, ह्मदयग्राही पत्र पर 100 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। -सं.3

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

देखिये VIDEO: धराशायी हुआ वामपंथ का झूठ, ASI ने खोजी सरस्वती नदी; मिली 4500 साल पुरानी सभ्यता

VIDEO: कांग्रेस के निशाने पर क्यों हैं दूरदर्शन के ये 2 पत्रकार, उनसे ही सुनिये सच

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

देखिये VIDEO: धराशायी हुआ वामपंथ का झूठ, ASI ने खोजी सरस्वती नदी; मिली 4500 साल पुरानी सभ्यता

VIDEO: कांग्रेस के निशाने पर क्यों हैं दूरदर्शन के ये 2 पत्रकार, उनसे ही सुनिये सच

Voter ID Card: जानें घर बैठे ऑनलाइन वोटर आईडी कार्ड बनवाने का प्रोसेस

प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और जनरल असीम मुनीर: पाकिस्तान एक बार फिर सत्ता संघर्ष के उस मोड़ पर खड़ा है, जहां लोकतंत्र और सैन्य तानाशाही के बीच संघर्ष निर्णायक हो सकता है

जिन्ना के देश में तेज हुई कुर्सी की मारामारी, क्या जनरल Munir शाहबाज सरकार का तख्तापलट करने वाले हैं!

सावन के महीने में भूलकर भी नहीं खाना चाहिए ये फूड्स

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ विश्व हिंदू परिषद का प्रतिनिधिमंडल

विश्व हिंदू परिषद ने कहा— कन्वर्जन के विरुद्ध बने कठोर कानून

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies