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मणिपुर

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Nov 3, 2007, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 03 Nov 2007 00:00:00

इबोबी को फिर मिली कमानमणिपुरचुनाव परिणाम-2007कुल स्थान — 60कांग्रेस — 30मणिपुर पीपुल्स पार्टी — 5एन.सी.पी. — 5राजद — 3भाकपा — 4निर्दलीय — 13मणिपुर में चुनावों से ठीक पहले अपने विधानसभा क्षेत्र में वोट के लिए नोट बांटने वाले इबोबी सिंह (देखें, पांचजन्य 18 फरवरी, 2007) एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे। विधानसभा चुनाव परिणामों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो उभरी पर 60 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत से एक कदम दूर ही रूक गई। 27 फरवरी को हुई मतगणना में कांग्रेस के कई दिग्गजों सहित मणिपुर पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार किसी दौर में बहुत पीछे रहे तो अंतिम चक्र की गिनती में आगे निकल गए। इबोबी सिंह अपने परम्परागत विधानसभा क्षेत्र थोबाल से ही चुनाव जीते।60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 30 सीटें मिलीं तो मणिपुर पीपुल्स पार्टी को 5 सीटों पर संतोष करना पड़ा। भाकपा को 4 सीटें प्राप्त हुर्इं। कुछ प्रमुख क्षेत्रों से विजयी रहने वाले उम्मीदवार हैं- खुराई से डा. एन. बिजोय सिंह, थोंग्जू से कांग्रेस के बिजोय कोइजाम, कीराओ से कांग्रेस के मोहम्मद अलाउद्दीन खान, लामलाई से भाकपा के फीरोइजाम पारिजात, उरिपोक से कांग्रेस के.एल.नंदकुमार सिंह, सगोलबंद से कांग्रेस के डा. के लोकेन सिंह, सेकमाई से भाकपा के डा. एच. बोराजाओ, लांग्थाबाल से एम.पी.पी. के ओकराम जोय सिंह, ओइनाम से एम.पी.पी. के आई. इबोहालबी, बिशनपुर से कांग्रेस के के. गोविंददास, मोइरांग से कांग्रेस के एस. मनिन्द्रा, चंदेल से राजद के टी.होकिप, उखरूल से निर्दलीय डी. शैजा, तामेंगलोंग से निर्दलीय के. पानमेई, चूड़ाचांदपुर से कांग्रेस के पी. तोनसिंह। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक हालांकि इबोबी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ली है परन्तु अन्य दलों के समर्थन से राज्यपाल को वे 37 विधायकों के समर्थन प्राप्ति का पत्र सौंप चुके हैं। इबोबी के नाम का प्रस्ताव नूंग्बा क्षेत्र से विजयी रहे कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गाइखांगम ने किया था। उधर भाकपा ने भी कांग्रेस को समर्थन दिया है। उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को भी भाकपा का समर्थन प्राप्त था। आतंकवादी गुटों के हिंसक हमलों से त्रस्त मणिपुर में राजनीतिक नेतृत्व प्रमुखत: कांग्रेस का रहा है, परन्तु कांग्रेस ने विद्राही गुटों के विरुद्ध कभी भी सख्ती की झलक नहीं दिखाई है। भाषा को लेकर चले आंदोलन में भी मणिपुर सरकार का रूख अस्पष्ट रहा था। मणिपुर के लोग अब भी शांति की सुबह देखने को आतुर हैं, पर इबोबी की सरकार इस ओर कितना प्रयास करेगी, यह तो समय ही बताएगा। -प्रतिनिधिपंजाब23 में से 19भाजपा ने किया कमालअकाली-भाजपा गठबंधन में भाजपा के हिस्से में सिर्फ 23 सीटें आई थीं। किन्तु भाजपा ने 23 में से 19 सीटों पर अपना परचम लहरा कर उन लोगों को चौंका दिया है जो भाजपा को “सिमटती हुई पार्टी” प्रचारित करते आ रहे थे। भाजपा पर आरोप लगा था कि वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में इसी की वजह से अकाली दल (बादल) को सत्ता से वंचित होना पड़ा था, परन्तु आज वही भाजपा प्रकाश सिंह बादल और सत्ता के बीच मजबूत सेतु के रूप में दिखी है। 1997 के विधानसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी 2002 के चुनाव में मात्र 3 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी। यहां तक कि इन चुनावों में पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए थे। इस बीच लोकसभा चुनाव आए। भाजपा ने पंजाब में अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया, परन्तु राष्ट्रीय स्तर पर वाजपेयी सरकार की विदाई होने व बाद में कथित आंतरिक कलह के कारण ऐसा माना जाने लगा था कि पार्टी राजनीतिक हाशिए की ओर अग्रसर है। यह बात केवल कांग्रेस या अन्य विरोधी दल ही नहीं, राजनीतिक पंडित भी दबी जुबान में कहते थे। यह भी कहा जाता था कि पंजाब में भाजपा बिखर चुकी है और अपना जनाधार खो चुकी है। इसलिए अकाली दल को अपने इस सहोयगी को अधिक सीटें नहीं देनी चाहिए। कुछ लोगों को यह कहते पाया गया कि अकाली दल (बादल) जितनी सीटें भाजपा को देगा उतना ही उसे नुकसान होने वाला है। परन्तु पार्टी ने अपने आलोचकों के मुंह पर ताले लगा दिए।राष्ट्रीय परिदृश्य में भी देखा जाए तो भाजपा उभार पर नजर आ रही है। उत्तराखण्ड में भी पार्टी ने कांग्रेस से सत्ता छीनी है। इससे पहले भाजपा ने बिहार में जनता दल (यू) के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनता दल को करारी मात दी थी। अभी हाल ही में संपन्न हुए महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा ने आश्चर्यजनक प्रदर्शन कर विरोधियों के होश उड़ा दिए हैं। भाजपा के उभार के साथ ऐसा समझा जाने लगा है कि देश की जनता ने एक बार फिर इस दल में अपना विश्वास जताना शुरु कर दिया है।तलपटकमाल के हैं मुकेश यादव के मुक्केछत्तीसगढ़ में धमतरी जिले के निवासी मुकेश यादव की खासियत यह है कि वे कुछ मिनटों में पचास से ज्यादा नारियल फोड़ सकते हैं। अपनी इसी कला का प्रदर्शन उन्होंने गत दिनों राजिम कुंभ मेले में किया। श्री यादव ने प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, राजिम के विधायक श्री चंदूलाल साहू, बिलासपुर के सांसद श्री पुन्नुलाल मोहले सहित हजारों लोगों की उपस्थिति में 65 नारियलों को मुक्के से एक-एक करके 65 सेकेण्ड में ही तोड़ डाला। वे अपनी इस कला का प्रदर्शन “शबाश इंडिया” नामक टी.वी. कार्यक्रम में भी कर चुके हैं। वि.सं.के., रायपुर6

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