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सीमा क्षेत्रे

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Nov 2, 2007, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Nov 2007 00:00:00

भारत-नेपाल सीमा पर प्रस्तावितमेची पुल के खतरेमिर्जा दिलशाद बेग की हत्या के पश्चात समय की गम्भीरता को भांपकर षडंत्र के रणनीतिकारों ने अररिया बैठक कर मेची पुल निर्माण हेतु रणनीति बदली। मुस्लिम नेताओं द्वारा मेची पुल की मांग को दिखावे के तौर पर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। और इस कार्य के लिए एक समय किशनगंज से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले ताराचन्द धानुका, भद्रपुर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश सरावगी, नेपाली पत्रकार चिन्तामणि दहल एवं नेपाली सांसद पुष्पराज पोखरेल को तैयार किया गया। क्षेत्र में यह चर्चा का विषय है कि इस कार्य के लिए ताराचन्द धानुका के संगठन “सुरजापुरी विकास परिषद्” को विदेशी ताकतों द्वारा गुप्त रूप से आर्थिक सहयोग दिया गया। वैसे भी श्री धानुका इससे पूर्व न्यू जलपाईगुड़ी जिले में के.एल.ओ के द्वारा एक माकपा कार्यकर्ता की हत्या के अभियोग में चर्चित रहे हैं, जिसकी नामजद प्राथमिकी थाने में दर्ज करायी गयी थी। वहीं इस विषय पर ओम प्रकाश सरावगी ने अपने नगर पालिका अध्यक्ष के कार्यकाल में तत्कालीन नेपाल नरेश श्री 5 बीरेन्द्र वीर विक्रम शाह से भेंटकर नेपाल में बंगलादेशी घुसपैठ को लेकर एक स्मरण पत्र सौंपते हुए गम्भीर चिन्ता प्रकट की थी। बंगलादेशी घुसपैठ के इस विरोध को समाप्त करने के लिए ही सरावगी पर श्री धानुक के माध्यम से विदेशी ताकतों द्वारा जाल फेंका गया और एक सुनियोजित चाल के तहत इस मुहिम में उन्हें शामिल किया गया।16 दिसम्बर, 2003 को काठमाण्डू स्थित तत्कालीन भारतीय राजदूत श्री श्याम शरण के भद्रपुर आगमन पर ताराचन्द धानुका के नेतृत्व में भारत-नेपाल मैत्री संघ का एक शिष्टमंडल उनसे मिला और मेची पुल के निर्माण की मांग का एक स्मरण पत्र में सौंपा। 3 नवम्बर, 2004 को किशनगंज के सांसद तस्लीमुद्दीन के साथ ताराचन्द धानुका, ओम प्रकाश सरावगी एवं चिन्तामणि दहल दिल्ली जाकर रेल मंत्री श्री लालू प्रसाद यादव से मिले। रेल मंत्री से यह मांग की गई कि भद्रपुर-गलगलिया के बीच मेची नदी पर पुल का निर्माण शीघ्र कराया जाए। भारत के योजना आयोग के परामर्शी श्री चन्द्रपाल के नेतृत्व में आयोग के एक दल के किशनगंज आगमन पर 30 जुलाई, 2005 को इस आशय का एक मांग पत्र धानुक के नेतृत्व में भेंट किया गया। दल ने सर्वेक्षण के पश्चात प्रस्तावित पुल निर्माण में लगभग 722 करोड़ लागत का प्रस्ताव भारत सरकार से किया।विदेशी ताकतों के षडंत्र को समझ नहीं सकने के कारण काठमाण्डू स्थित भारतीय राजदूत श्री मुखर्जी के सहयोग एवं कोशिशों से योजना आयोग ने मेची पुल के निर्माण की स्वीकृति दे दी। 1 मार्च, 2006 को काठमाण्डू स्थित भारतीय राजदूत श्री मुखर्जी ने भद्रपुर आकर पुल निर्माण के लिए योजना आयोग की स्वीकृति की जानकारी स्वयं पत्रकारों को दी और प्रस्तावित पुल का स्थान निश्चित करने मेची तट पर गये। वहां उन्होंने घोषणा की कि इसी वित्तीय वर्ष में प्रस्तावित पुल का प्रारूप भारत सरकार को दे दिया जाएगा। इस प्रकार विदेशी ताकतों की साजिश का शिकार बन चुके काठमाण्डू का भारतीय दूतावास भी भारतीय राष्ट्रीय एवं आन्तरिक सुरक्षा पर एक घातक प्रहार करने का माध्यम बना है। वर्तमान केन्द्र सरकार एवं बिहार की राज्य सरकार भी इससे नासमझ बन चुप बैठी है। परिणाम, अब बंगलादेशी घुसपैठ कष्टकारक एवं जटिल प्रक्रिया की अपेक्षा अति सहज एवं सरल हो जाएगी। और इसमें प्रस्तावित मेची पुल निर्णायक भूमिका निभायेगा। गोलोक बिहारी राय23

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