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सम्पादकीय

by
Nov 2, 2007, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Nov 2007 00:00:00

हिंसा का आघात तपस्या ने कब, कहां सहा है?देवों का दल सदा दानवों से हारता रहा है।-रामधारी सिंह “दिनकर” (कुरुक्षेत्र, तृतीय सर्ग, पृ. 31)रतन “तिरंगा” टाटारतन टाटा ने ब्रिटिश सत्ता का प्रतीक मानी जाने वाली कोरस कंपनी 12.1 अरब डालर मूल्य पर अधिग्रहीत कर दुनिया में तिरंगे को शान से लहराया और जिस देश ने कभी धूर्तता और चालाकी से भारत में यूनियन जैक फहराया था वहां वंदेमातरम् गुंजा दिया। यह अधिग्रहण एक असाधारण और अभूतपूर्व घटना है। रतन टाटा ने एक साक्षात्कार में बताया कि वे पिछले 24 घंटे से पलक भी नहीं झपक सके। लगातार 9 घंटे तक चली नीलामी प्रक्रिया में वे पूरी तरह से शामिल रहे-मुम्बई से, जहां वे अपने विश्व प्रसिद्ध शानदार ताजमहल होटल के विशेष कक्ष से सारी कार्रवाई का संचालन कर रहे थे। कोरस के अधिग्रहण में सबसे बड़ी बाधा ब्राजील की कंपनी सी.एस.एन. की थी। सी.एस.एन. हर हाल में कोरस खरीदना चाहती थी और उसने नीलामी में 603 पेंस प्रति शेयर का प्रस्ताव रखा। रतन टाटा सिर्फ 5 पेंस के अन्तर से जीत गए क्योंकि उन्होंने कोरस के अधिग्रहण हेतु 608 पेंस प्रति शेयर का प्रस्ताव रख दिया था। इस प्रकार दुनिया की सबसे रोमांचक और महत्वपूर्ण अधिग्रहण की कोशिश टाटा ने जीत ली। अब देखिए, इसका क्या गजब का असर हुआ। जमशेदपुर से लेकर कोलकाता और मुम्बई से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों तक में देशभक्ति, राष्ट्रीयता और गौरव की ऐसी लहर फैली जिसका अंदाजा लगाना भी कठिन है। इकानामिक टाइम्स ने अपने पहले पन्ने के शीर्षक में लिखा- 5 पेंस ने भारत को इंग्लैंड का पौंड दे दिया, और खबर की शुरुआत में ही खुशी और गौरव प्रकट करते हुए लिखा कि ब्रिटिश महारानी के साम्राज्य की एक प्रतीक कोरस कंपनी में अब तिरंगा फहरेगा। जाहिर है टाटा ने सारे देश को मोह लिया। एक ऐसे समय में जब चारों ओर देश में राजनीतिक वितंडावाद, आपसी गाली-गलौज और जुगुप्साजनक व्यवहार अखबारों में छाया रहता है, टाटा ने देश को हिम्मत, हौसला तथा भविष्य में आत्मविश्वास दिया-बहुत बहुत धन्यवाद।रतन टाटा ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में बताया कि “जो कुछ भी हुआ उससे हमने इतना रोमांच और राहत महसूस की कि हमारी आवाजें भर्रा गईं और हमने एक-दूसरे को गले लगा लिया। जब उनसे पूछा गया कि वे इस अधिग्रहण के बारे में क्या सोचते हैं तो उनका कहना था कि एक साल पहले कोरस कंपनी ने स्वयं हमसे सम्पर्क किया था और पूछा था कि क्या हम अपने व्यापार को उनके साथ मिला सकते हैं। बस, तब से जो शुरुआत हुई तो यह तय पाया गया कि कोरस को टाटा के परिवार में शामिल करना ही बेहतर है। हालांकि कोरस टाटा स्टील से 6 गुना बड़ी कंपनी है और उसका सालाना उत्पादन एक करोड़ नब्बे लाख टन है, जबकि टाटा का साठ लाख टन है। लेकिन आश्चर्य और आनंद की बात यह है कि उत्पादन में इतना बड़ा अंतर होते हुए भी टाटा का साठ लाख टन उत्पादन पर लाभांश कोरस के बराबर ही है। रतन टाटा ने कहा कि वे यह प्रयास करेंगे कि अपनी व्यवस्थापन नीति द्वारा कोरस के उत्पादन तरीकों में परिवर्तन कर उसके लाभांश को भी बेहतर बनाएं।टाटा ने पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। उनकी इस सफलता पर हार्दिक अभिनंदन। देश इसी प्रकार आशा और विश्वास के नये नये कीर्तिस्तंभ स्थापित होते हुए देखे, यह कामना है।6

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