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मुख्यमंत्री अच्युतानंदन और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के बीच दरार बढ़ती जा रही है और इसका असर कानून-व्यवस्था पर भी दिख रहा है। पिछले दिनों गृह विभाग ने अपने मुख्यमंत्री के ही आदेश को मानने से मना कर दिया था। मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक के आदेश को पलटते हुए पुलिस महानिरीक्षक ऋषिराज सिंह की जालसाजी विरोधी प्रकोष्ठ के प्रमुख पद पर पुनर्बहाली के आदेश दिये थे। पुलिस महानिरीक्षक ने विवादित पुलिस महानिरीक्षक तोमिन जे. थाचन्कारी की पत्नी के अर्णाकुलम स्थित रियान आडियो स्टूडियो पर छापे के बाद ऋषिराज सिंह को पद से हटाने का आदेश जारी किया था।जब से अच्युतानंदन ने मुख्यमंत्री पद संभाला है तभी से पिनरई विजयन और उनके चहेते मंत्रिमंडल के सदस्यों की यही कोशिश रहती है कि किसी न किसी तरह अच्युतानंदन को नीचा दिखाया जाए। बहरहाल, अच्युतानंदन ने पुलिस महानिदेशक रमन श्रीवास्तव को अपने आवास पर बुलाकर ऋषिराज सिंह को पद से हटाने का आदेश देने पर खूब खरी-खोटी सुनायी थी। मगर मंत्रिमंडलीय सहयोगी कोडियरी बालकृष्णन ने श्रीवास्तव के निर्णय का यह कहते हुए समर्थन किया था कि पुलिस महानिदेशक को अपने विभाग में आंतरिक फेरबदल करने का पूरा अधिकार होता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी पुलिस अधिकारी को हटाने या बहाल करने का अधिकार तो होता है मगर उनके आदेश का पालन कराने का दायित्व केवल पुलिस महानिदेशक के पास है।राज्य माकपा सचिव पिनरई विजयन, जिनपर पुलिस महानिदेशक की इस कार्रवायी में संलिप्त होने का शक है, ने ऋषिराज सिंह को हटाये जाने की मुहिम के पार्टी से किसी भी प्रकार के सरोकार से इनकार किया है।इससे एक संदेश तो साफ जाता है कि माकपा नेताओं के एक गुट के इशारों पर काम कर रहे पुलिस महानिदेशक इस पद के लिए उपयुक्त नहीं हैं। पार्टी में दरारें पुलिस महकमे के उच्च पदों में भी दरारें डाल रही हैं। बहरहाल, इस आरोप-प्रत्यारोपों और बयानबाजियों के बीच पुलिस महानिदेशक रमन श्रीवास्वत को अंतत: ऋषिराज सिंह को उसी पद पर बहाल करना पड़ा।10
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