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श्रीराम सेतु बचाएं, परियोजना मार्ग बदलेंगत 22 मार्च को वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी ने सेतुसमुद्रम परियोजना की पुनर्समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा। पत्र में डा. जोशी ने लिखा है- “19-22 मार्च के दौरान हमारी तथ्यान्वेषण समिति ने चेन्नै और रामेश्वरम क्षेत्र का दौरा किया था। मैं यहां उस समिति के अन्वेषण की रपट से आपको परिचित कराना चाहता हूं। भारत के लोग श्रीराम सेतु, उसे श्रद्धापूर्वक सेतु मंदिर भी कहा जाता है, पर उमड़ रहे खतरे को लेकर चिंतित हैं। सरकारी अंत:क्षेत्र के अनुसार पाक बे में 81.84 प्रतिशत खनन कार्य पुरा हो चुका है और श्रीराम सेतु पर 1.42 प्रतिशत खनन किया जा चुका है। 1747, 1788 और 1804 के नक्शों तथा नासा के उपग्रह चित्रों से इस सेतु की पुष्टि होती है।” उन्होंने श्रीराम सेतु पर कार्य तुरंत रोक देने की अपील की और वैज्ञानिक, तकनीकी और रणनीतिक पुनर्समीक्षा किये जाने की मांग की। भविष्य में सुनामी से रक्षा, पर्यावरणीय और सुरक्षा पहलुओं का आकलन और विशेषज्ञों से सलाह करने के अलावा डा. जोशी ने तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय के सवालों के जवाब देने में गैर जिम्मेदाराना व्यवहार का उल्लेख किया है। पत्र में कहा गया है- “वास्तव में संचालन समिति द्वारा सुझाया गया मार्ग, जिसे 1998 में “नेरी” ने थोड़ा सुधार करके प्रस्तुत किया था, ही सेतु समुद्रम परियोजना का आधार होना चाहिए था। इस प्रस्तावित मार्ग को बदलने के पीछे कोई कारण नहीं बताया गया है और अंंतरराष्ट्रीय जल सीमा के निकट एक रेखा बिना विचार किए खींच दी गयी है। कनाडा के सुप्रसिद्ध सुनामी विशेषज्ञ प्रो0 मूर्त्ति ने इस प्रस्तावित जलमार्ग के जरिए केरल में विध्वंस पर गंभीर चिंता जताई है और कहा है कि अगर वर्तमान स्वरुप ही बनाए रखा गया तो भविष्य में आने वाली सुनामी लहरें उसे तबाह कर देंगी। दुर्भाग्य से तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष ने प्रो0 मूर्त्ति की इन चेतावनियों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है।”तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष के खिलाफ जांच होडा. जोशी ने तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार की जांच की मांग की है। अध्यक्ष ने पर्यावरणीय प्रभाव तथा अन्य विश्लेषणों के संबंध में नागपुर की “नेरी” और चेन्नै की एन.आई.ओ.टी. एजेंसियों से सलाह किये बिना ही प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा व्यक्त संशयों का जवाब दे दिया था। इस जवाब के दो ही दिन बाद इस परियोजना का प्रधानमंत्री और श्रीमती सोनिया गांधी ने उद्घाटन कर दिया। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की इस परियोजना को तैयार करने में दिखायी गयी लापरवाही और केरल के विध्वंस संबंधी गंभीर चिंताओं की नितांत अनदेखी की गयी। प्रधानमंत्री कार्यालय में भी इस परियोजना का आकलन करने में सूझ-बूझ से काम नहीं लियाचूंकि यह परियोजना महासागर के भीतर से मार्ग बनाने की योजना है इसलिए अत्यधिक सावधानी जरूरी है। इस परियोजना का मार्ग गहरे सागर में है जहां तेज बहाव, बार-बार चक्रवात और अब सुनामी का खतरा बना रहता है। इस संबंध में कोई पुनर्समीक्षा नहीं की गयी और इस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।केरल तट को विध्वंस से बचाने के लिए मार्ग का पुनर्निर्धारण होमार्ग के उत्तर पश्चिम की ओर पुनर्निर्धारण के बाद निश्चित रूप से आने वाली सुनामी से बचा जा सकता है। श्रीराम सेतु को बचाते हुए मार्ग निर्धारित करने से यह सेतु भविष्य में भी सुनामियों के सामने एक दीवार की तरह काम करेगा। पिछली सुनामी में इस सेतु ने दक्षिणी तटों पर सुनामी का प्रकोप काफी हद तक कम कर दिया था।डा. जोशी ने श्रीराम सेतु को प्राचीन पवित्र स्मारक बताते हुए उसकी सुरक्षा की मांग की है। पत्र के अंत में वे इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से चर्चा करने के इच्छुक हैं और यदि आवश्यकता हुई तो इसे संसद में भी उठाया जायेगा तथा संसदीय जांच समिति गठित करने की मांग की जायेगी। प्रतिनिधि17
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