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अंक-सन्दर्भ ? 11 जून, 2006
पञ्चांग
संवत् 2063 वि. वार ई. सन् 2006
आषाढ़ शुक्ल 13 रवि 9 जुलाइ
,, ,, 14 सोम 10 ,,
,, पूर्णिमा मंगल 11 ,,
(गुरु पूर्णिमा, श्री व्यास पूजा)
श्रावण कृष्ण 1 बुध 12 ,,
,, ,, 3 गुरु 13 ,,
,, ,, 4 शुक्र 14 ,,
(श्री गणेश चतुर्थी व्रत)
,, ,, 5 शनि 15 ,,
फलों का राजा आम
जिधर नजर डालो उधर, फैले हैं बस आमखा लो कुछ दिन पेटभर, और करो आराम।
और करो आराम, फलों का है वह राजाइसीलिए बज रहा सब तरफ उसका बाजा।
कह “प्रशांत” फजली हापुस चौसा या लंगड़ासब पर हावी ठेठ दसहरी-छोड़ो झगड़ा।।
-प्रशांत
शक्ति का आवाहन हो
आवरण कथा के अन्तर्गत छपे दोनों समाचारों “डोडा-एक महीने बाद” और “महाल पर हमला” से हर राष्ट्रभक्त में आक्रोश पैदा होना स्वाभाविक था। स्वामी विवेकानन्द ने एक बार कहा था कि वेदान्त मस्तिष्क के साथ-साथ भारत को इस्लाम शरीर धारण करना होगा। उनका संकेत इसी ओर था कि आतंकवाद का मुकाबला शक्ति के स्तर से हो सकता है। हम वर्ष में दो बार शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा की पूजा करते हैं। लगता है हमें यह पूजा अनवरत करनी पड़ेगी, ताकि सामूहिक दैवी शक्ति का जागरण हो सके। जिसकी कोई मदद नहीं करता उसकी मदद भगवान करता है। इस विश्वास तथा आत्मा की अमरता की सनातन विचारधारा के आधार पर हम सभी को आतंकवाद का मुकाबला करना होगा। सरकार क्या करेगी, इसकी चिन्ता छोड़कर हमें क्या करना है, यह निश्चय करने का समय आ गया है।
-डा. नारायण भास्कर
50, अरुणा नगर, एटा (उ.प्र.)
अन्तहीन नरसंहार?
श्री तरुण विजय ने अपनी रपट “डोडा के हिन्दू हिम्मत से लड़ना चाहते हैं पर कोई सहारा देने को तैयार नहीं” में कश्मीर में हिन्दुओं के उत्पीड़न, नरसंहार और वहां की सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये को उजागर किया है। उन्होंने बिल्कुल सही लिखा है कि गांव के हिन्दू सिर्फ भगवान भरोसे रो-रोकर दिन काट रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस पर उनका भरोसा नहीं। आखिर कब तक कश्मीरी हिन्दू मारे जाते रहेंगे? हिन्दुओं के नरसंहार पर बड़े-बड़े स्वनामधन्य सेकुलर पत्रकार एवं स्तम्भकार भी चुप्पी साध लेते हैं। अगर हिन्दू अब भी “भोला” बन कर बैठा रहेगा तो उसे उसका फल भोगना ही पड़ेगा। हिन्दुओं को खतरा जिहादियों से कम, बल्कि उन लोगों एवं तथाकथित चिन्तकों से अधिक है, जो कट्टरपंथी तत्वों के खतरनाक मंसूबों पर बोलने को बताने से हिचकते हैं।
-क्षत्रिय देवलाल
उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया, कोडरमा (झारखण्ड)
मनोबल तोड़ने का प्रयास
श्री देवेन्द्र स्वरूप का आलेख “महाल पर हमला” पढ़ा। यह जिहादी हमला निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि जिहादी अपने मंसूबों में सफल हो जाते तो निश्चित रूप से एक पवित्र स्थान अपवित्र होता। पूरी दुनिया को हरे रंग में रंगने की खुली घोषणा करने वाले इस्लामी जिहादियों के निशाने पर भारत सबसे ऊपर है। जिहादी यह अच्छी तरह जानते हैं कि भारत के इस्लामीकरण के मार्ग में संघ एवं उसके आनुषांगिक संगठन सबसे बड़ी बाधा हैं। इसलिए करोड़ों हिन्दुओं के श्रद्धा केन्द्र संघ मुख्यालय पर जिहादियों द्वारा हमला किया गया ताकि हिन्दुओं का मनोबल टूटे।
-मोहित कुमार मंगलम्
ग्रा.-कुशी, पो-कांटी, मुजफ्फरपुर (बिहार)
नागपुर स्थित हेडगेवार भवन राष्ट्रभक्ति की पावन स्थली है। यह नवयुवकों में राष्ट्रवाद का संचार करती है। जिहादियों द्वारा यहां किया गया हमला हिन्दुओं की अस्मिता पर किए जाने वाले हमलों की ही कड़ी है। इन हमलों के पीछे का उद्देश्य है संघ विचार परिवार की अटूट राष्ट्रभक्ति रूपी कठोर चट्टान को खंडित करना। आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक और बंगाल से गुजरात तक कोई भी भू-भाग सुरक्षित नहीं है। आवश्यकता है प्रत्येक हिन्दू को सजग रहने की।
-दिलीप शर्मा
114/2205, एम.एच.वी. कालोनी, समता नगर, कांदीवली (पूर्व),
मुम्बई (महाराष्ट्र)
वर्तमान संप्रग सरकार केवल अपने वोट बैंक को मजबूत करने में लगी है। आते ही इस सरकार ने पोटा कानून को खत्म किया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में ढुलमुल नीति का परिचय दिया, तो दूसरी ओर अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों को रिझाने के लिए नित्य नई-नई घोषणाएं की जा रही हैं।
आतंकवादियों के विरुद्ध दृढ़ इच्छा-शक्ति नहीं दिखती। इसलिए ये आतंकवादी संसद से लेकर संघ मुख्यालय तक पर हमला करने का दुस्साहस कर पा रहे हैं। सरकार को कायरता त्यागकर वीरता का वरण करना चाहिए।
-विधूड़ी यू.एस. आजाद
191, कर्मयोगी कुटीर, तेखण्ड (नई दिल्ली)
महाल
मधु रस देशप्रेम का
मिलता जहां।
होते देशद्रोही
विफल वहां ।।
-बृजमोहन जुयाल
हरबर्टपुर, देहरादून (उत्तराञ्चल)
कबीरदास की जयन्ती पर कुछ नहीं
पाञ्चजन्य की सामग्री देखकर ऐसा महसूस होता है कि आप केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े महापुरुषों के बारे में ही छापते हैं। यदि ऐसा नहीं है तो इस अंक में संत कबीरदास से सम्बंधित कुछ प्रसंग अवश्य छापने चाहिए थे, क्योंकि 11 जून को उनकी जयन्ती थी।
-खुशाल सिंह माहौर
फतेहपुर सीकरी, आगरा (उ.प्र.)
श्रीगुरुजी की भविष्यवाणी
विचार-गंगा स्तम्भ में श्रीगुरुजी का विचार “पहले कश्मीर फिर असम की बारी” पढ़ा। सच में श्रीगुरुजी एक अवतारी पुरुष थे। परिस्थितियों को देखकर उन्होंने कई वर्ष पहले यह भविष्यवाणी की थी कि कश्मीर के बाद असम की ओर पाकिस्तानी पिट्ठू रुख करेंगे। अब वही हो रहा है। असम में भी आए दिन बम-विस्फोट हो रहे हैं, बंगलादेशी घुसपैठियों को एक साजिश के तहत बसाया जा रहा है।
-अभिजीत प्रिंस
स्नातक तृतीय वर्ष
लंगट सिंह महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर (बिहार)
अंक-सन्दर्भ ? 4 जून, 2006
असली चेहरा
“नेपाल में हिन्दू राष्ट्र के समर्थन में जगह-जगह प्रदर्शन” रपट पढ़ी। इसमें लिखा गया है, “माओवादियों एवं सरकार ने दबाव बनाकर “हिन्दू राष्ट्र” की पुनर्बहाली के लिए सुलग रहे जनाक्रोश के समाचारों को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अनेक हिन्दू नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया है।” यह है सेकुलर नेपाल का असली चेहरा। इधर भारत में सेकुलरवाद के नाम पर न जाने कितने अन्याय हो रहे हैं। नेपाल के सेकुलर राष्ट्र घोषित होते ही भारतीय सेकुलर कितने खुश हुए थे, यह कोई छिपी हुई बात नहीं है। उस घोषणा के पीछे भारतीय सेकुलर तालिबानों का भी हाथ हो सकता है।
-विनोद कुमार गुप्ता
पार्क रोड, लखनऊ (उ.प्र.)
विश्व का एकमात्र घोषित हिन्दू राष्ट्र नेपाल भी सेकुलर हो गया। हिन्दुत्व विरोधी एक हिन्दू राष्ट्र को नहीं पचा पाए, जबकि दुनिया में अनेक मुस्लिम एवं ईसाई राष्ट्र हैं। वे लोग अपने-अपने मत-पंथ का प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं। इनमें अनेक देश ऐसे भी हैं, जहां दूसरे मत वालों को किसी तरह के अधिकार भी नहीं दिए गए हैं।
-लखनलाल गुप्ता
ओम निवास, नेताजी सुभाष रोड, आसनसोल (प. बंगाल)
दे दो उनको हथियार
आतंकी भस्मासुर के आगे सरकारें लाचार।
खुद की रक्षा करने को, दे दो उनको हथियार।
खेतों में जाकर लाज बचातीं, माताएं कश्मीर में।
बचपन मांग रहा जीवन, आतंक भरे कश्मीर में।
सरकारें हैं एक दिखावा, आतंकी शासन कश्मीर में।
डोडा लाल हुआ शोणित से, बम फूट रहे कश्मीर में।
याद रखो “ठेकेदारों” तुमको, खुदा न कभी माफ करेगा।
आतंकवादी भस्मासुर का, वो ही पत्ता साफ करेगा।
वोट के सौदागर नेताओं से, दुनिया भी शर्मसार।
खुद की रक्षा करने को, दे दो उनको हथियार।
-जयनारायण राठौर
जावर, जि. सीहोर (म.प्र.)
पुरस्कृत पत्र
क्या हम लाशें ही गिनते रहेंगे?
इन दिनों प्रतिदिन हजारों हिन्दू श्रद्धालु बाबा अमरनाथ के दर्शन कर अपना जीवन सफल मान रहे हैं। किन्तु आतंकवादी कश्मीर घाटी में इतनी बड़ी संख्या में हिन्दुओं के आगमन को पचा नहीं पा रहे हैं। इसलिए वे अमरनाथ यात्रियों पर हमले कर रहे हैं। पर हिन्दू समाज में ऐसा भाव है मानो कुछ हुआ ही नहीं। न कोई तीखी प्रतिक्रिया और न कोई प्रचण्ड-प्रदर्शन। यही कारण है कि आतंकवादी कश्मीर घाटी से निकलकर जम्मू, गांधीनगर, दिल्ली, अयोध्या, बनारस के बाद नागपुर तक पहुंचने में सफल रहे हैं। एक ओर हिन्दू समाज है, जो अपने क्षेत्र, व्यवसाय से ऊपर उठकर अपने हित -अहित के बारे में सोच नहीं रहा है, तो दूसरी ओर संप्रग सरकार है, जो आरक्षण के नाम पर हिन्दू समाज को बांट रही है, अपनी नीतियों से अल्पसंख्यकवाद एवं आतंकवादियों को बढ़ावा दे रही है। यह हिन्दू समाज का अपमान नहीं तो क्या है? जम्मू-कश्मीर 1948 से नासूर बना हुआ है। पिछले 25 वर्षों में आतंकवाद एवं अलगाववाद ने वहां न जाने कितने हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया है। 1 मई, 2006 को डोडा में 35 हिन्दू बच्चों, स्त्रियों एवं पुरुषों को गोलियों से भून दिया गया। इस नरसंहार का विरोध करने वाले हिन्दुओं पर भी हमले हुए। हिंगलाज माता के दर्शनार्थ पाकिस्तान गए भारतीय धर्माचार्यों पर भी 27 मई को सिंध प्रांत में हमले किए गए। अफगानिस्तान में गत दो मास में दो भारतीय अभियंताओं की निर्मम हत्या कर तालिबानी आतंकवादियों ने हिन्दू समाज को अपमानित किया है। उधर ईसाइयों के सर्वोच्च नेता पोप ने भारत की पंथनिरपेक्षता पर सन्देह व्यक्त करते हुए मतान्तरण कानून का विरोध किया है। कुल मिलाकर चारों ओर से हिन्दुओं को अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है, उनका नरसंहार हो रहा है। आखिर हम कब तक यह अपमान सहते रहेंगे? आतंकवादियों के हाथों मारे गए अपने बच्चों, भाई-बन्धुओं एवं माता-बहनों की लाशें कब तक गिनते रहेंगे? अब समय आ गया है एकजुट होने तथा पलटवार करने का।
-भूषण लाल पाराशर
महामंत्री , सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा (दिल्ली)
सी4एच/39, जनकपुरी (नई दिल्ली)
हर सप्ताह एक चुटीले, ह्मदयग्राही पत्र पर 100 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।-सं.
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