|
राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम ने कहा-
स्वामी विवेकानंद के विचारों को
जन-जन तक पहुंचाएं
विवेकानंद शिला स्मारक में स्वामी विवेकानंद की भव्य प्रतिमा पर पुष्पाञ्जलि अर्पित करते हुए राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम
शिला स्मारक पर राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम का स्वागत करते हुए विवेकानंद केन्द्र के उपाध्यक्ष श्री बालकृष्णन
विवेकानन्द केन्द्र के अध्यक्ष श्री पी.परमेश्वरन्
विवेकानन्द शिला स्मारक से सूर्य का दिनक्रम देखते हुए राष्ट्रपति डा.अब्दुल कलाम। उनके साथ हैं विवेकानंद केन्द्र के उपाध्यक्ष श्री बालकृष्णन
शिला स्मारक का भव्य दृश्य
महालय अमावस्या के पवित्र दिन, 22 सितम्बर को महामहिम राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद शिला स्मारक तथा विवेकानंद केन्द्र आए। इस राष्ट्रीय स्मारक पर उनकी यह पहली भेंट थी।
नौका द्वारा विवेकानंद शिला स्मारक पहुंचने पर राष्ट्रपति डा. कलाम का पारम्परिक पूर्णकुम्भ तथा नाद स्वर की ध्वनियों से स्वागत किया गया। विवेकानंद केन्द्र के उपाध्यक्ष श्री ए. बालकृष्णन तथा महामंत्री डा. भानुदास ने स्मारक पर उनकी आगवानी की। शिला स्मारक के वास्तुविद् सत्पथी ए.के.अचारी ने राष्ट्रपति का शाल ओढ़ाकर सम्मान किया।
राष्ट्रपति डा. कलाम ने शिला स्मारक पर सर्वप्रथम श्रीपद् मण्डपम् में देवी कन्याकुमारी के चरण चिह्नों पर पुष्पाञ्जलि अर्पित की। फिर वे चुस्ती से स्मारक की सीढ़ियां चढ़ते हुए सभा मण्डपम् पहुंचे। वहां उन्होंने स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा मां शारदा के चित्रों पर पुष्पाञ्जलि अर्पित की। फिर स्वामी विवेकानंद की भव्य प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर प्रणाम निवेदित किया। इसके बाद राष्ट्रपति ने स्मारक से सूर्योदय का दिनक्रम देखा और ध्यान मण्डपम् के भीतर अकेले रहकर कुछ क्षण साधना में बिताए।
इसके पश्चात् उन्होंने विवेकानन्द शिला स्मारक के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। श्री बालकृष्णन ने उन्हें शिला स्मारक के इतिहास और इसकी विशिष्टताओं से अवगत कराया। स्मारक में भ्रमण के पश्चात् राष्ट्रपति डा. कलाम ने आगन्तुक पुस्तिका में लिखा- “वस्तुत: विवेकानंद शिला स्मारक में आना एक महान आध्यात्मिक अनुभूति है। स्वामी जी ने कहा था- मेरा नाम महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है मेरे विचारों का प्रसार करना।”
श्री बालकृष्णन ने राष्ट्रपति को केन्द्र द्वारा प्रकाशित पुस्तकें भेंट कीं। इनमें स्वामी विवेकानंद की विस्तृत जीवनी के साथ ही विवेकानंद शिला स्मारक के दृष्टा स्व. एकनाथ रानडे की जीवनी तथा उनके द्वारा वर्णित स्मारक की कथा मुख्य रूप से शामिल थीं। डा. कलाम ने श्री बालकृष्णन से कहा कि लोगों के बीच स्वामी जी के संदेश का प्रचार-प्रसार बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि “मानव सेवा और व्यक्ति निर्माण” के सम्बंध में स्वामी जी के कम से कम 10 बोध वाक्यों को आधुनिक इलेक्ट्रानिक माध्यमों एवं चमकने वाले बोर्ड के द्वारा स्थान-स्थान पर प्रचारित किया जाना चाहिए। और लोगों से एक विशेष आह्वान किया जाना चाहिए कि इनमें से कम से कम एक संदेश का जीवन भर पालन करें। उन्होंने स्मारक में उपस्थित विवेकानंद केन्द्र के कार्यकर्ताओं की दिनचर्या पूछी और उन्हें निरन्तर काम करते रहने की शुभकामना दी।
इसके बाद राष्ट्रपति कन्याकुमारी में विवेकानंद केन्द्र के मुख्यालय विवेकानंदपुरम् की ग्रामोदय वाटिका देखने गए। यहां एकनाथ सभागार में विवेकानंद केन्द्र के अध्यक्ष श्री पी. परमेश्वरन् ने उनका स्वागत किया। केन्द्र के कार्यकर्ताओं द्वारा स्वागत प्रार्थना के पश्चात् उन्होंने वहां उपस्थित कन्याकुमारी के विभिन्न विद्यालयों से आए 500 छात्रों को सम्बोधित किया। उनके प्रश्नों के उत्तर दिए और उन्हें भारत को विकसित देश बनाने का संकल्प दिलाया। अंत में विवेकानंद केन्द्र की आगन्तुक पुस्तिका में राष्ट्रपति ने लिखा-“आनंदपूर्ण यात्रा-विवेकानंद केन्द्र आकर मैं अत्यंत प्रभावित हुआ।” प्रतिनिधि
43
टिप्पणियाँ