|
देश के सबसे बड़े स्त्री संगठन में सहज आत्मीयता से हुआ दायित्व परिवर्तनराष्ट्र सेविका समिति ने प्रस्ताव पारित कर मांग की-? तिरुपति-तिरुमला में बन्द हों हिन्दुत्व विरोधी कार्य? आतंकवाद से निपटने के लिए बने प्रभावी कार्य योजनाराष्ट्र सेविका समिति की अ.भा. कार्यकारिणी एवं प्रतिनिधि सभा ने प्रस्ताव पारित कर आन्ध्र प्रदेश में रेड्डी सरकार की शह पर बढ़ते ईसाई मतान्तरण, तिरुपति एवं तिरुमला क्षेत्र के सरकारी अधिग्रहण एवं वहां पर बढ़ती ईसाई गतिविधियों पर गहरी चिंता जताई है। नागपुर बैठक में समिति ने एक अन्य प्रस्ताव में केन्द्र सरकार को देश में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों पर चेतावन्बाी देते हुए कहा है कि वह अपनी दुर्बल-कमजोर नीति पर अब पुनर्विचार करे।अनेक आंखें सजल हो उठीं जब श्रीमती उषा ताई चाटी ने राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका का कार्यभार श्रीमती प्रमिला ताई मेढ़े को सौंपा। नागपुर में समिति के मुख्यालय देवी अहिल्याबाई मन्दिर में गत 22 जुलाई को अ.भा. प्रतिनिधि सभा के समक्ष यह दायित्व परिवर्तन हुआ। इस अवसर पर अपने संक्षिप्त उद्बोधन में श्रीमती उषा ताई चाटी ने कहा, “अनेक वर्षों तक प्रमुख संचालिका का गुरुतर दायित्व मैंने संभाला। स्वास्थ्य और आयु को ध्यान में रखते हुए यह दायित्व अब किसी जिम्मेदार एवं संगठन कुशल व्यक्ति के हाथों में जाना आवश्यक था और इस दृष्टि से मुझे विश्वास है कि प्रमिला ताई पूरी जिम्मेदारी से इस दायित्व का निर्वहन करेंगी। मैं अब कार्य के सभी सूत्र उन्हें सौंप रही हूं।”श्रीमती उषा ताई ने कहा कि जब-जब कार्य करते समय मुझे कोई कठिनाई अनुभव में आती थी, तब प्रमिला ताई के सहयोग से कुछ न कुछ मार्ग निकल आता था। अनेक वर्षों तक उन्होंने वंदनीया मौसी जी के साथ काम किया है, उनके साथ प्रवास किया है। इसके अतिरिक्त देश-विदेश के प्रवास एवं कार्यकर्ताओं के साथ आत्मीय व्यवहार के अनुभव की बहुमूल्य पूंजी भी उनके पास है। उद्बोधन के पश्चात् उन्होंने समिति की बहनों द्वारा किए गए मंत्रोच्चारण के बीच श्रीमती प्रमिला ताई को शाल एवं श्रीफल भेंट किया।इस अवसर पर समिति की नूतन प्रमुख संचालिका के रूप में अपने पहले वक्तव्य में श्रीमती प्रमिला ताई ने कहा, “वंदनीया उषा ताई और मेरे बीच का सम्बन्ध हमेशा सगी बहनों सा रहा है। हम दोनों ने समिति का तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण एक साथ पूरा किया है। यद्यपि वे हमारीअधिकारी थीं किन्तु उनका व्यवहार मेरे साथ कभी भी अधिकारी के रूप में नहीं रहा, यह उनका बड़प्पन ही है। वंदनीया उषा ताई ने मुझे बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है, किन्तु संगठन कभी एक व्यक्ति से नहीं चलता। हम सबको परस्पर संगठित स्वरूप में ही काम करना है। परस्पर विचार-विनिमय और सहयोग से ही संगठन में सुदृढ़ता आती है। आज परिस्थिति हमारे अनुकूल है, हमें समिति का कार्य संपूर्ण विश्व में पहुंचाना है। यदि हम संपूर्ण शक्ति से उठ खड़े हुए तो हमें लक्ष्य प्राप्त करने से कोई रोक नहीं सकता।” प्रतिनिधि38
टिप्पणियाँ