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बड़ी मेहनत से डांग में चर्च का मतान्तरण जाल बिछाया था लेकिन अब तो जनजातीय लोग घर वापस” लौट रहे हैं। क्या होगा मुक्ति के सन्देश का? नहीं, कदापि नहीं… शबरी कुंभ नहीं होने देंगे, किसी कीमत पर नहीं होने देंगे।” जब से डांग में शबरी कुंभ की तैयारियां प्रारंभ हुई हैं, मिशनरियों की नींद उड़ गई है। अच्छी-भली शांति थी, चारों ओर मनोरम दृश्य था, लोग सहजता से “ईसा की शरण” में आते जा रहे थे। पिछले 20 वर्षों में ही डांग की एक तिहाई जनसंख्या की “खड़ी फसल” काटकर हमने ईसा को अर्पित कर दी। अब ये भगवाधारी, राम नाम- शिव नाम का लबादा ओढ़े लोग क्यों आ रहे हैं, कहां से आ रहे हैं?” यही सवाल है, जो बौखलाए मिशनरियों के मन में रह-रह कर उपज रहे हैं। विरोध, और वह भी इतने घटिया स्तर पर कि मिशनरियों के आश्रित कुछ नेताओं और पादरियों का एक प्रतिनिधिमंडल शबरी कुंभ को रोकने के लिए गुहार लगाने दिल्ली तक पहुंच गया। क्या-क्या नहीं किया इन मिशनरियों ने? केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में शिकायत भेजी गई कि शबरी कुंभ के नाम पर हजारों पेड़ काट डाले गए हैं, कृत्रिम सरोवर बनाया जा रहा है। पर्यावरण को इससे भारी खतरा खड़ा हो जाएगा। शिकायत पहुंचने भर की देरी थी, दिल्ली ने एक जांच समिति बनाकर डांग रवाना कर दी। जांच समिति के सदस्य डांग पहुंचे तो साथ में पादरी भी पहुंच गए। शबरी कुंभ आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री कैलाश शर्मा के अनुसार, “जांच समिति के सदस्यों ने आयोजन स्थल का दौरा किया। उन्हें कहीं कोई कटा पेड़ नहीं मिला। जांच समिति के सदस्यों ने साथ में गए पादरियों से पूछा, “कहां काटे गए हैं पेड़?” उत्तर मिला, “वे तो पिछले वर्ष ही काट दिए गए थे”। “ठीक है, हमें वे स्थान ही दिखा दीजिए, जांच दल के एक सदस्य ने जब यह कहा तो पादरी की आंखें अनन्त की ओर ताकने लगीं।” दूसरी तरफ जांच समिति को यह देखकर प्रसन्नता हुई कि आयोजन स्थल पर दस हजार से अधिक विविध प्रजातियों के पौधों का रोपण किया गया है। जांच समिति को यह देखकर भी हैरानी हुई कि आयोजन समिति द्वारा पूर्णा नदी पर 24 “चेक डेम” का निर्माण किया गया है। पंपा सरोवर के आस-पास के सभी ग्रामों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। पंपा सरोवर पर लगभग 2.5 कि.मी. पक्के घाटों का निर्माण किया गया है। “चेक डेम” बनने से जहां सम्पूर्ण आयोजन स्थल प्रवासी पक्षियों के कलरव से गूंज उठा है वहीं जनजातीय किसान जहां पानी की कमी से वर्ष में एक फसल ले पाते थे, अब वे प्रति वर्ष दो फसलें उगा सकेंगे।लेकिन इन सबसे मिशनरियों को क्या लेना-देना। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में मुंह की खाई तो पहुंच गए गृह मंत्रालय। गत 18 जनवरी को आल इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल के प्रतिनिधि मण्डल ने गृहमंत्री श्री शिवराज पाटिल से भेंट कर कहा कि डांग के लाखों “आदिवासियों” एवं ईसाइयों की जिन्दगी खतरे में है। प्रतिनिधिमंडल ने पूरे मामले का राजनीतिकरण करने की कोशिश भी की। गृहमंत्री को बताया गया कि शबरी कुंभ यदि सफल हुआ तो राज्य में कांग्रेस कमजोर हो जाएगी। इस प्रतिनिधिमण्डल ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन सिंह से मुलाकात कर यह आयोजन रोकने की मांग की। आरोप में यह भी कहा गया है कि एक नए “गोधरा” की तैयारी हो रही है।45
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