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आर्थिक नाकेबंदी के जरिए हो रहा है संस्कृति पर हमला-डा. मुरली मनोहर जोशीपूर्व केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री”आज किसी देश की संस्कृति, कला, खान-पान, वेश-भूषा, भाषा आदि को बदलने के लिए प्रत्यक्ष रूप से उन पर हमला नहीं किया जाता है, बल्कि इसके लिए नए तरीके खोजे गए हैं। ये तरीके हैं आर्थिक नाकेबंदी की धमकी देना, उसे इस तरह से आर्थिक और राजनीतिक दबावों में जकड़ना ताकि वह देश अपनी संस्कृति और भाषा को छोड़ने को बाध्य हो जाए। सांस्कृतिक संक्रमण के साथ-साथ यह उस देश पर परोक्ष आघात करने जैसा होता है।” यह कहना है पूर्व केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डा. मुरली मनोहर जोशी का। वे गत 21 जून को नई दिल्ली में राष्ट्रवादी लेखक एवं पत्रकार श्री शाहिद रहीम की सद्य: प्रकाशित पुस्तक “संस्कृति और संक्रमण” (प्रकाशक-सुरुचि प्रकाशन, पृष्ठ-349, मूल्य-170 रु.) के लोकार्पण के बाद उपस्थितजन को सम्बोधित कर रहे थे। डा. जोशी ने कहा कि भारत में अनेक मत-पंथ के लोग आए और यहीं के होकर रह गए। उन्होंने कहा कि भारत हमारी जन्मभूमि है इसलिए यह हमारे लिए पुण्यभूमि है, किन्तु जिन्होंने इसे केवल भूमि माना उन्होंने इसका बंटवारा करा दिया। पर ध्यान रखें, सिर्फ राज का बंटवारा हो सकता है मातृभूमि का नहीं। इतिहास और भूगोल को बांटा नहीं जा सकता। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि धर्म हमें सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा तो देता ही है, मन और बुद्धि को भी शालीन बनाता है। सबके प्रति सहिष्णुता और सेवा का भाव रखना ही धर्म है।लेखक श्री शाहिद रहीम ने पुस्तक का परिचय देते हुए कहा कि इसमें पिछले 3,500 वर्ष में विश्व भर में उभरी प्रमुख मजहबी सभ्यताओं और उनके टकराव की विस्तृत जानकारी दी गई है।कार्यक्रम में भारत-तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय संयोजक डा. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री, मुस्लिम यूनाइटेड कांफ्रेंस के अध्यक्ष डा. मुजफ्फर हुसैन गजाली एवं इतिहासकार डा. वैद्यनाथ लाभ ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर अनेक गण्यमान्यजन एवं बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रवादी लेखक संघ ने किया था। -प्रतिनिधि39
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