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शिव ओम अम्बरवेस्टइण्डीज में खेले गए प्रथम क्रिकेट टेस्ट मैच में ब्रायन लारा और राहुल द्रविड़ का व्यवहार दो देशों के जातीय चरित्र का प्रतिनिधित्व करने वाला रहा-संसार भर के करोड़ों दर्शकों ने इस बात को महसूस किया। भारतीय पारी में जब धोनी ने अपनी रौ में आते हुए तीन गेंदों पर तीन छक्के जड़ दिये तब प्रतिस्पद्र्धी टीम के कप्तान की हैसियत से ब्रायन लारा की झुंझलाहट तो समझ में आई किन्तु जब अगली ही गेंद पर धोनी द्वारा पुन: लगाये गये छक्के को सीमारेखा पर कैच कर लिया गया और कैच लेने वाले खिलाड़ी का पांव सीमारेखा की रस्सी पर होने की संभावना पर सन्देह का लाभ अम्पायर के द्वारा धोनी को दिए जाने पर लारा ने भद्रता के पर्याय कहे जाने वाले इस खेल में अभद्रता और अशालीनता का प्रदर्शन करते हुए गेंद अम्पायर के हाथ से छीन ली, तब हर दर्शक को आघात-सा लगा। किन्तु उसी क्षण राहुल द्रविड़ ने पारी समाप्ति की घोषणा करके एक निकटस्थ संघर्ष को टाल दिया और इस मैच को बदनाम होने से बचा लिया। ब्रायन लारा की बदतमीजी और राहुल द्रविड़ की शालीनता का यह दृश्य टी.वी. पर देखते समय मुझे अंसार कम्बरी की इन पंक्तियों की व्याख्या-सी प्राप्त हुई-हमेशा देखा गया है महान् झुकता है,जमीन झुकती नहीं आसमान झुकता है।विनम्रता का गलत अर्थ मत लगा लेनाये न समझना कि हिन्दोस्तान झुकता है।32
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