इंडिया फस्र्ट फाउंडेशन और चैतन्य
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

इंडिया फस्र्ट फाउंडेशन और चैतन्य

by
Feb 4, 2006, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 04 Feb 2006 00:00:00

कश्यप फाउंडेशन की संगोष्ठी

अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से देश पर विभाजन का खतरा

-प्रतिनिधि

अल्पसंख्यकवाद देश और समाज की एकता को सबसे बड़ा खतरा है, यह निष्कर्ष निकला इंडिया फस्र्ट फाउंडेशन और चैतन्य कश्यप फाउंडेशन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिन भर के मंथन का। गत 19 मार्च को दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय सभागार में सम्पन्न इस संगोष्ठी में प्रतिपक्ष के नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री आरिफ मोहम्मद खान सहित देश के ख्यातनाम बुद्धिजीवियों, चिंतकों, वरिष्ठ पत्रकारों, इतिहासकारों और राजनेताओं ने भाग लिया। संगोष्ठी का विषय था “अल्पसंख्यक और अल्पसंख्यक अधिकार-सर्वोच्च न्यायालय व राज्य”। उद्घाटन सत्र से पूर्व इंडिया फस्र्ट फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष श्री दीनानाथ मिश्र ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के जैन समाज को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने सम्बंधी फैसले के बाद वरिष्ठ इतिहासविद् श्री देवेन्द्र स्वरूप ने इस पर एक संगोष्ठी करने का सुझाव दिया था।

चैतन्य कश्यप फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष श्री चैतन्य कश्यप ने इस अवसर पर आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा भेजा विशेष संदेश पढ़ा, जिसमें आचार्यश्री ने कहा कि “अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का विभाग धर्म के आधार पर किया गया है। यह बहुत विवादास्पद है। समाज प्रणाली के आधार पर इस्लाम और ईसाई धर्मों को अल्पसंख्यक और हिन्दू समाज को बहुसंख्यक माना जा सकता है, किन्तु धर्म के आधार पर बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक विभाग नहीं किया जा सकता। इसलिए बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की समस्या पर नए सिरे से चिंतन होना चाहिए।”

उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता थे श्री एस. गुरुमूर्ति। पूज्य शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी की गिरफ्तारी के विरोध में पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित उनके लेखों ने सत्ता की उच्श्रृंखलता को बेनकाब किया था। अपने विस्तृत वक्तव्य में उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक अधिकार और सेकुलरवाद एक ही सिक्के के दो पहलू नहीं हैं, जैसा कि दिखाने की कोशिश की जाती है। सच तो यह है कि सेकुलरिज्म के नाम पर अल्पसंख्यकवाद को जायज ठहराया जाता है। श्री गुरुमूर्ति ने पश्चिम का उदाहरण देते हुए कहा कि ईसाई संस्थान चर्च और राज्य के बीच सेकुलरिज्म एक शांति संधि की तरह था। उन्होंने आगे कहा कि सेमुअल हंटिंग्टन की पुस्तक “हू आर वी” में “आइडेंटिटी” यानी पहचान का प्रश्न उठाया गया है। इस दृष्टि से अमरीका अपनी पहचान “एंग्लो सैक्सन” बताता है। जबकि दुनिया में केवल भारतीय दर्शन ही ऐसा है जो विभिन्न मत-पंथों में भाईचारे की बात करता है। भारत में इतने मत-पंथ हैं, फिर भी आपस में सामंजस्य है जबकि पश्चिम में ईसाइयत अथवा इस्लाम में अपने से दूसरे मत को मानने वाले के प्रति शत्रुता का भाव रहा है। श्री गुरुमूर्ति ने इन्हें “अब्राहिृक फेथ” की संज्ञा दी और कहा, हमारे संविधान को बनाते समय इस “अब्राहिृक फेथ” और भारतीय धर्म में अंतर को ध्यान में नहीं रखा गया।

आज की परिस्थिति का विश्लेषण करते हुए श्री गुरुमूर्ति ने कहा कि आज अल्पसंख्यक अधिकारों को ही सेकुलरवाद का मापदण्ड बना दिया गया है। यह वोट बैंक की मानसिकता भारत के लिए विस्फोटक है। केरल विधानसभा ने कोयम्बतूर बम विस्फोट के षडंत्रकारी अब्दुल नजर मदनी को “पेरोल” पर छोड़ने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया। सेकुलरवाद के नाम पर मदनी जैसे अपराधियों को संरक्षण दिया जा रहा है।

हिन्दुत्व के संदर्भ में एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, “सिद्धान्त रूप में हिन्दुत्व में सभी तरह की मान्यताएं, पूजा पद्धतियां अपनाने की छूट हैं।” एन्साइक्लोपीडिया में ईसाइयत के लिए कहा गया है कि “यह शुरू से ही असहिष्णु पंथ रहा है और यह असहिष्णुता उसकी पांथिक चेतना के मूल में है। जो ईसा को नहीं मानता वह “ईसा के सलीब” का दुश्मन है।” एन्साइक्लोपीडिया में ही एक स्थान पर कोलम्बस के दुनिया की परिक्रमा करते हुए पश्चिम की ओर जाने का कारण इन शब्दों में बताया गया है-“15वीं शती में कोलम्बस ने पश्चिम की ओर रूख इसलिए किया था क्योंकि उसका मानना था कि भारत में शैतान ने पनाह ले रखी थी जो ईसा की शिक्षाओं के प्रसार और ईसा पुनरुज्जीवन में बाधा बना हुआ है।” उसके अनुसार भारत में जितना जल्दी हो सके ईसाई मिशनरियों के जरिए उस शैतान की ताकत को खत्म करना चाहिए।

इस्लाम के संदर्भ में इसमें लिखा है कि इस्लाम ने अन्य समुदायों और पांथिक समूहों के बीच व्यवहार में कठिनाई पैदा की। इस्लाम कहता है- “या तो इस्लाम को मानो या मरने को तैयार रहो।”

एन.सी.ई.आर.टी. के पूर्व निदेशक प्रो.जे.एस. राजपूत ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सी.एम.पी. का अर्थ “कामन माइनारिटी प्रोग्राम” है और यह पाठपुस्तकों के जरिए अल्पसंख्यकवाद को बढ़ावा दे रहा है। प्रो. राजपूत ने कहा कि जब भी उन्होंने पाठपुस्तकों में भारतीय मूल्यों व संस्कृति की शिक्षा की बात की, उन्हें “भाजपा की भाषा बोलने वाला” करार दिया गया। संस्कृत के महत्व का उल्लेख करने पर उन्हें “भाजपा का एजेंडा लागू करने वाला” बताया गया जबकि उन्होंने संस्कृत के महत्व का उदाहरण पं. नेहरू की “डिस्कवरी आफ इंडिया” से दिया था।

सत्र की अध्यक्षता कर रहे सुप्रसिद्ध संविधानविद् एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी ने अपने वक्तव्य में श्री गुरुमूर्ति के सारगर्भित भाषण की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत एक भौगोलिक इकाई नहीं बल्कि व्यापक विविधताओं का मेल है। भारत में पंथनिरपेक्षता का भाव प्राचीन काल से रहा है। भारतीय सभ्यता में धर्म का अर्थ है कर्तव्य, पंथ नहीं। सत्र का संचालन राज्यसभा सदस्य श्री बलबीर पुंज ने किया।

दूसरे सत्र के आरम्भ में हैदराबाद से आए संचार विशेषज्ञ श्री टी. हनुमान चौधरी ने अल्पसंख्यक संस्थानों, विशेषकर आंध्र प्रदेश के मुस्लिम व ईसाई शिक्षण संस्थानों को प्राप्त विशेष अधिकारों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 29 और 30 के आवरण में हिन्दू विरोधी कार्य किए जा रहे हैं। धारा-30 के तहत अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ती जा रही है। इन संस्थानों के जरिए हिन्दू छात्रों से मोटी रकम वसूल कर हिन्दुओं का ही मतान्तरण किया जा रहा है।

आंकड़ों की सहायता से श्री चौधरी ने बताया कि राज्य की 80 प्रतिशत हिन्दू आबादी के लिए कुछ पूजा-स्थलों में केवल 38 प्रतिशत ही मंदिर हैं जबकि 1.44 प्रतिशत ईसाई आबादी के लिए 34 प्रतिशत चर्च हैं। ईसाई बड़े सुनियोजित तरीके से गांव-गांव में चर्च स्थापित करते जा रहे हैं। यह सब माक्र्सवाद और मदरसा की मिलीभगत से किया जा रहा है। माक्र्सवादियों और मुस्लिमों द्वारा दूसरा खिलाफत आंदोलन शुरू कर दिया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री के.एन. भट्ट ने भी संविधान की धारा 29 और 30 में प्रदत्त अधिकारों के दुरुपयोग की चर्चा की। उन्होंने “रिलीजियस एंडोमेंट” कानून का उदाहरण देते हुए कहा कि इस कानून के तहत मंदिरों की निगरानी करने का प्रावधान बना है और मंदिरों की सम्पत्ति पर सरकारी कब्जा कर लिया गया है, परन्तु चर्चों और मस्जिदों पर यह कानून लागू क्यों नहीं किया जाता? सेन्टर फार पालिसी स्टडीज के निदेशक डा. जितेन्द्र बजाज के वक्तव्य में भी यही पीड़ा झलकी। उन्होंने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों को तो अपने मत-पंथ के अनुसार चलने की पूरी छूट दी गई है परन्तु बहुसंख्यकों के मामले में ऐसा नहीं होता। डा. बजाज ने दक्षिण के सुप्रसिद्ध श्री रंगम मंदिर का उल्लेख किया और बताया कि वहां की सारी व्यवस्था एक गैर ब्राह्मण प्रशासनिक अधिकारी देख रहा है और गर्भगृह में भी खाकी वर्दी ही दिखाई देती है। उन्होंने भावुक होकर कहा कि जिस मंदिर की एक विशिष्ट आचार्य परंपरा रही हो वहां ऐसा दृश्य भीतर तक झकझोर जाता है। हिमाचल के चिंतपूरणी मंदिर के गर्भगृह में खाकी वर्दीधारी तैनात है।

सत्र की अध्यक्षता कर रहे लोकसभा के पूर्व महासचिव डा. सुभाष कश्यप ने हिन्दी में अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी से ऐसा आभास हो रहा था मानो इतनी गंभीर परिस्थितियों में हम खुद का निसहाय पाते हैं। हम संविधान में बदलाव की बात करते हैं, पर वास्तव में सत्ता में बैठे लोग कुर्सी की चाह में किसी तरह का बदलाव लाना नहीं चाहते हैं। इस सत्र का संचालन श्री अतुल रावत ने किया।

तीसरे सत्र के आरम्भ में प्रो. मक्खनलाल ने इतिहास के महत्वपूर्ण कालखण्डों का उल्लेख किया और बताया कि किस तरह अंग्रेजों ने भारत में अल्पसंख्यक राजनीति को बढ़ावा दिया था। 1862 में सर सैयद अहमद ने मुस्लिमों के लिए एक विशेष प्रकार के शिक्षण संस्थान की कल्पना की थी, जिसे अंग्रेजों ने पूरा समर्थन दिया।

मुस्लिमों ने पृथक निर्वाचन क्षेत्र की मांग रखी। अलगाव की खाई गहरी होती गई। प्रो. मक्खनलाल ने दंगों और अल्पसंख्यकवाद में आपसी सम्बंध का विषय उठाया। मोपला दंगों में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध मुस्लिमों का रोष हिन्दुओं पर निकला, 8000 से अधिक हिन्दुओं की हत्या की गई। देश में समय-समय पर अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुस्लिमों को राजनीतिक शह प्रदान की गई और उन्हें हावी होने का मौका दिया गया।

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री रामकुमार ओहरी ने मुस्लिमों की सामाजिक स्थिति पर गहन अध्ययन किया है और इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि मुस्लिमों को किसी दृष्टि से “पिछड़ा” नहीं कहा जा सकता। यह तो उन्हें तरह-तरह की सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक “मिथक” जैसा बना दिया गया है। और यह मिथक बनाया है, मीडिया और स्वार्थी राजनीतिज्ञों ने।

वरिष्ठ पत्रकार श्री ए. सूर्यप्रकाश ने उदारवादी मुस्लिमों और कट्टरपंथी मुस्लिमों के बीच अंतर रेखांकित करते हुए उदारवादी मुस्लिमों का आह्वान किया कि वे आगे आएं और इस्लाम के नाम पर जारी उग्रपंथ पर लगाम कसें। श्री सूर्यप्रकाश ने केरल विधानसभा द्वारा कोयम्बतूर बम कांड के आरोपी मदनी को छोड़ने के फैसले को शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि जिस कांड में 59 लोग मारे जाएं उसके आरोपी को छोड़ने की सिफारिश देश में बन रहीं विस्फोटक स्थितियों की ओर इशारा करती है। यहां के राजनीतिज्ञ हमेशा से ही मुस्लिम परस्त राजनीति करते आए हैं। केरल विधानसभा के फैसले ने तो सारी सीमाएं तोड़ दी हैं। कोई इसके खिलाफ बोलता क्यों नहीं? उदारवादी मुस्लिम एकजुट होकर उग्रपंथी मुस्लिमों का विरोध करें।

उन्होंने आगे कहा कि इस देश में समय-समय पर मुस्लिम तुष्टीकरण को हवा दी गई है। भारत के 15 करोड़ मुस्लिमों में उदारवादियों की कमी नहीं है। अगर वे अब नहीं चेते तो कहीं ऐसा न हो कि “शाकाहारी” मुस्लिमों को “मांसाहारी” मुस्लिम निगल जाएं। लोकतंत्र को बचाना है तो हमें हर कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने सत्र की अध्यक्षता कर रहे श्री आरिफ मोहम्मद खान की ओर इशारा करते हुए बताया कि किस प्रकार श्री खान ने शाहबानो मामले पर संसद में बेबाक बयान दिए थे और सरकार के फैसले का विरोध किया था।

दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल श्री विजय कपूर ने कहा कि बहुसंख्यकों पर अल्पसंख्यक राजनीति हावी है। केन्द्र की संप्रग सरकार हर वह कदम उठा रही है जिससे मुस्लिम तुष्टीकरण होता है। श्री कपूर ने इसके उदाहरण दिए-अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा देने की पहल, सेना में मुसलमानों की गिनती के लिए राजेन्द्र सच्चर समिति का गठन और मुस्लिमों के लिए एक अलग मुस्लिम मामलों का मंत्रालय गठित करना आदि ऐसे कार्य हैं जो केवल मुस्लिमों का वोट पाने की गरज से किए जा रहे हैं।

सत्र का मुख्य आकर्षण थे इसके अध्यक्ष पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री मोहम्मद आरिफ खान। श्री खान ने संगोष्ठी में मुस्लिम समाज से सम्बंधित अनेक बिन्दुओं, खासकर उदारवादी मुस्लिमों को आगे आने के आह्वान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को लेकर बातें करने वाले अधिकांश वक्ता दरअसल मुस्लिम समाज के उस स्वरूप से परिचित नहीं हैं जो भारतीय संस्कृति में रचा-पगा है। श्री खान ने श्री सूर्यप्रकाश द्वारा उठाए शाहबानो प्रकरण पर कहा कि उन्होंने उस प्रकरण में तत्कालीन सरकार की नीति का विरोध किया था और इस्तीफा दिया था। हालांकि कई मौलवियों और पर्सनल ला बोर्ड के लोगों ने श्री खान के दृष्टिकोण को निजी तौर पर सही ठहराया था, पर सार्वजनिक तौर पर उसका विरोध किया था। श्री आरिफ खान ने कहा कि कट्टरवादी और सियासी तत्वों ने उन पर जानलेवा हमले किए थे, लेकिन तब न तो मीडिया ने और न ही उदारवादी मुस्लिामों का आह्वान करने वालों ने उनका साथ दिया। जबकि 432 मुस्लिम विद्वानों, 11 आई.ए.एस. और 14 आई.पी.एस. अधिकारियों ने हस्ताक्षर करके राजीव गांधी को ज्ञापन दिया था कि वे पर्सनल ला बोर्ड की बातों में न आएं। उन्होंने कहा कि भारत का आम मुसलमान आज भी भारत की संस्कृति को मानता है। लेकिन उसे कोई देखता नहीं है। केवल “रेडिकल इस्लाम” की बात करने वाले नहीं समझ रहे कि वे अलगाववाद को हवा दे रहे हैं जो आगे एक बड़ा खतरा बन जाएगा। यह सोचना गलत है कि कट्टरपंथी तत्व ही मजहब के कर्ता-धर्ता बने हुए हैं। केरल विधानसभा ने जो फैसला किया, वह निश्चित ही खतरनाक है, पर क्या देश के मुसलमानों ने उसे ऐसा करने को कहा था?

श्री आरिफ मोहम्मद खान ने साफ शब्दों में कहा कि इस्लाम में अलगाववाद का कोई स्थान नहीं है। अल्पसंख्यक व बहुसंख्यक की बात करते समय हमें देखना चाहिए कि हम व्यक्ति की पहचान मजहब से कर रहे हैं अथवा उसके जन्म के स्थान से। उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद का मक्का पर विजय के बाद दिया संदेश उद्धृत किया-“सब एक धरती की संतान है। सब एक हैं।” उन्होंने कहा कि “आरक्षण और असमानता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, मैं आरक्षण का विरोध करता हूं। यही कारण है कि वी.पी. सिंह सरकार के समय अल्पसंख्यक वित्त आयोग के गठन का मैंने विरोध किया था क्योंकि वह अलगाव की बात करता था।”

संगोष्ठी में श्री लालकृष्ण आडवाणी ने भाषण की शुरूआत में एकता यात्रा का उद्देश्य स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार जिस बेशर्मी से अल्पसंख्यकवाद और तुष्टीकरण के कार्यक्रम चला रही है उससे देश को सावधान करने के लिए कई दिन पूर्व इस यात्रा की योजना बनी थी। परंतु वाराणसी बम विस्फोटों के बाद इसकी घोषणा में रत्ती भर देर करना उचित नहीं लगा।

श्री आडवाणी ने कहा कि आजादी के बाद संविधान सभा में हुई चर्चा ध्यान देने योग्य है। संविधान सभा में मुस्लिमों के भविष्य को लेकर चिंता प्रकट की गई और संविधान के पहले प्रारूप में अल्पसंख्यकों के आरक्षण की बात जोड़ी गई। उस समय पं. नेहरू ने कहा था कि अल्पसंख्यकवाद न केवल अल्पसंख्यकों के लिए बल्कि देश के लिए भी हानिकारक होगा। पंथनिरपेक्षता का मुख्य आधार सबको न्याय और बराबरी होता है। इससे बहुसंख्यकों को हानि नहीं होती पर जिस प्रकार से इसका क्रियान्वयन किया जाता है उससे परेशानी जरूर होती है। वोट बैंक की खातिर अल्पसंख्यकवाद को बढ़ावा दिया जाता है।

संप्रग सरकार के 2 साल के शासन में आंध्र प्रदेश में मुस्लिम आरक्षण, अ.मु.वि. में आरक्षण, पोटा निरस्त करना, अवैध घुसपैठ को बढ़ावा देने के लिए असम में विदेशी नागरिक कानून में बदलाव करना, अल्पसंख्यक मंत्रालय बनाना, सच्चर कमेटी, केरल विधानसभा का मदनी को छोड़ने का फैसला आदि ऐसे कार्य हैं जो केवल मुसलमानों का वोट लेने की सरकार की सोच दिखाते हैं।

श्री आडवाणी ने कहा कि पहली बार जब अल्पसंख्यक आयोग बनाया गया था तब उसके अध्यक्ष श्री एम.एच. बेग ने कहा था कि इसका नाम अल्पसंख्यक आयोग की बजाय राष्ट्रीय एकता एवं मानवाधिकार आयोग रखना ठीक होगा। अल्पसंख्यकवाद एक राजनीतिक अपराध है और आज के वैश्विक संदर्भों में इसका परिणाम समझना चाहिए। यह कट्टरवाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने जैसा है।

14

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Kerala BJP

केरल में भाजपा की दो स्तरीय रणनीति

Sawan 2025: भगवान शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं ये 7 चीजें

CM Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश में जबरन कन्वर्जन पर सख्त योगी सरकार, दोषियों पर होगी कठोर कार्यवाही

Dhaka lal chand murder case

Bangladesh: ढाका में हिंदू व्यापारी की बेरहमी से हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

प्रदर्शनकारियों को ले जाती हुई पुलिस

ब्रिटेन में ‘पैलेस्टाइन एक्शन’ के समर्थन में विरोध प्रदर्शन, 42 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

Trump Tariff on EU And maxico

Trump Tariff: ईयू, मैक्सिको पर 30% टैरिफ: व्यापार युद्ध गहराया

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Kerala BJP

केरल में भाजपा की दो स्तरीय रणनीति

Sawan 2025: भगवान शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं ये 7 चीजें

CM Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश में जबरन कन्वर्जन पर सख्त योगी सरकार, दोषियों पर होगी कठोर कार्यवाही

Dhaka lal chand murder case

Bangladesh: ढाका में हिंदू व्यापारी की बेरहमी से हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

प्रदर्शनकारियों को ले जाती हुई पुलिस

ब्रिटेन में ‘पैलेस्टाइन एक्शन’ के समर्थन में विरोध प्रदर्शन, 42 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

Trump Tariff on EU And maxico

Trump Tariff: ईयू, मैक्सिको पर 30% टैरिफ: व्यापार युद्ध गहराया

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

रूसी महिला कर्नाटक की गुफा में कर रही भगवान रुद्र की आराधना, सनातन धर्म से प्रभावित

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies