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-हिमांशु द्विवेदीसम्पादक, दैनिक हरिभूमि (रायपुर)यह अवसर शोक का नहीं होश में रहने और जोश में जीने का है। भविष्य को निखारने की खातिर वर्तमान को जलना व तपना होता है। भावी पीढ़ियां समृद्ध हों, सुरक्षित हों, संरक्षित हों, इसके लिए मौजूदा पीढ़ी द्वारा संघर्ष करने
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