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पंजाब में रिलायंस कम्पनी की योजनाओं परकांग्रेसी नेताओं में घमासान-राकेश सैनपंजाब के राजनीतिक गलियारों में आजकल यह प्रश्न चर्चा का विषय बना हुआ है कि विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में यदि कांग्रेस सरकार सत्ता में नहीं आई तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह क्या करेंगे? हालांकि राजनीतिक लोग इस सम्बंध में मजाकिया लहजे में कहते हैं कि रिलायंस कम्पनी में उनकी जनसम्पर्क अधिकारी की नौकरी निश्चित है, क्योंकि वे मुख्यमंत्री होते हुए राज्य के प्रतिनिधि कम और इस कम्पनी के जनसम्पर्क अधिकारी की जिम्मेदारी ज्यादा निभा रहे हैं। देश के प्रमुख औद्योगिक घराने रिलायंस ने राज्य में कई इकाइयां लगाने हेतु समझौते किए हैं। इन समझौतों पर विपक्ष के अतिरिक्त कांग्रेसी नेताओं ने भी जो आपत्तियां उठाई हैं, मुख्यमंत्री उनका निवारण करने के बजाए “मैं न मानूं” की जिद्द पर अड़े हैं। चुनाव निकट आने पर पार्टी की तार -तार होती तथाकथित ईमानदार छवि और आंतरिक अंतर्विरोध ने कांग्रेसियों को बेहद निराश कर दिया है।पंजाब सरकार द्वारा समझौतों को आधार बनाकर दावा किया जा रहा है कि रिलायंस राज्य में कई बड़ी इकाइयां लगाने जा रही है। इस पर किसी को भी आपत्ति नहीं हो सकती, लेकिन जनता को परेशानी उस वक्त हुई जब मोहाली स्थित 20 एकड़ जमीन को मात्र 1.99 करोड़ में रिलायंस को बेच दिया गया। बताया जाता है कि व्यावसायिक दृष्टि से इस जमीन की कीमत 1000 करोड़ रुपए के आस-पास है। यही नहीं, राज्य सरकार गांवों की पंचायती जमीन को भी कौड़ियों के भाव उक्त कम्पनी को सौंपने जा रही है। पंचायती जमीन का मूल्य निर्धारित करने के लिए 1955 के राजस्व रिकार्ड को आधार बनाया गया है जिसके चलते समझौतों पर प्रत्येक नागरिक सरकार को शक की दृष्टि से देख रहा है। कांग्रेसी नेता भी वित्तमंत्री सुरिन्द्र सिंगला पर उद्योगपतियों के इशारों पर काम करने का आरोप लगा रहे हैं। सिंगला स्वीकार भी करते हैं कि वे 20 सालों से उक्त औद्योगिक घराने के करीबी रहे हैं। विपक्ष के नेता व शिरोमणि अकाली दल बादल के अध्यक्ष प्रकाश सिंह बादल ने कहा है कि यदि आगामी चुनाव में अकाली दल-भाजपा गठजोड़ सरकार सत्ता में आता है तो वह इस समझौते की पुनर्समीक्षा कराएंगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अविनाश राय खन्ना ने कहा कि वह राज्य में औद्योगिकीकरण, पूंजीनिवेश और किसी औद्योगिक घराने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसके लिए नियमों की अनदेखी नहीं की जा सकती। इस मुद्दे पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के विशेष निमंत्रित सदस्य एवं पूर्व सांसद जगमीत बराड़ ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा है कि राज्य को दोनों हाथों से लूटा जा रहा है। उन्होंने इस समझौते में मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री पर रिश्वत लेने के आरोप भी लगाए हैं। आरोपों के बाद कांग्रेस पार्टी में घमासान मचा हुआ है। मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद बराड़ समर्थक तीन कांग्रेसियों को पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है और अनुशासन भंग करने के आरोप में तीन मंत्रियों- प्रताप सिंह बाजवा, राणा सोढ़ी तथा सुरिन्द्र सिंगला को “कारण बताओ नोटिस” जारी किया गया है।कटासराज का जीर्णोद्धार14 महीने बाद भी नहीं मिली राशिमुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा पाकिस्तान स्थित हिन्दू तीर्थ स्थल कटासराज के लिए 11 लाख रुपए की राशि दान करने की घोषणा की गई थी, लेकिन अब 14 महीने बाद भी पैसा नहीं भेजा गया है। बताया जाता है कि इसमें केन्द्र सरकार रुकावटें डाल रही है। गत 16 मार्च को अपने पाकिस्तान दौरे में मुख्यमंत्री ने वहां चकवाल क्षेत्र में स्थित इस तीर्थ स्थल में माथा टेक चांदी का छत्र चढ़ाते हुए जीर्णोद्धार के लिए 11 लाख रुपए देने की घोषणा की थी। उल्लेखनीय कि कोई भी भारत का राज्य सीधे अन्य किसी देश को राशि नहीं भेज सकता, इसके लिए केन्द्र से अनुमति लेनी पड़ती है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से इस सम्बंध में कई बार प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय को पत्र लिखे जा चुके हैं लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है। सवाल है कि जब एक ओर जब भारत-पाकिस्तान के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बंध स्थापित करने के लिए मुक्त व्यापार के नाम पर करोड़ों रुपए का आदान-प्रदान हो रहा है तो दूसरी ओर इस राशि को केन्द्र क्यों रोके हुए है?14
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