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मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने विकास के नए-नए सोपान तय किए हैं। ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें गुजरात आज देश में पहले स्थान पर है। उदाहरण के लिए, ज्योतिग्राम योजना के अंतर्गत गांवों और शहरों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध हो रही है। नदियों को जोड़ने वाला गुजरात प्रथम राज्य बना है। नर्मदा नदी का जल साबरमती और सरस्वती नदी में बह रहा है। सरकारी कर्मचारियों में निष्ठा, प्रामाणिकता और कर्तव्यपरायणता बढ़े, इस दृष्टि से कर्मयोगी प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन हुआ है। वार्षिक चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री, मंत्री तथा उच्च अधिकारियों का एक साथ प्रशिक्षण होता है। अब इस कड़ी में एक और नई पहल हुई है और वह है सांध्य न्यायालय। गुजरात सांध्य न्यायालय व्यवस्था शुरू करने वाला प्रथम राज्य बना है। अमरीका, इंलैण्ड जैसे देशों में तो सांध्य न्यायालय लंबे समय से मौजूद हैं। गत 14 नवम्बर को अमदाबाद में मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति योगेश कुमार सब्बरवाल की उपस्थिति में सांध्य न्यायालय का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर न्यायमूर्ति सब्बरवाल ने श्री नरेन्द्र मोदी को बधाई देते हुए कहा, आज का दिन मेरे लिए उत्सव जैसा है। यह प्रयोग देशभर में प्रारम्भ होना चाहिए। इससे न्यायतंत्र तो मजबूत होगा ही, साथ-साथ लोकतंत्र के अन्य स्तंभ भी सुदृढ़ होंगे। उन्होंने आगे कहा, “विविध न्यायालयों में आज 26 लाख से ज्यादा मुकदमे लम्बित हैं। इसमें अधिकांश मुकदमे तो 10 वर्ष से अधिक पुराने हैं। अदालत के पास कोई जादुई चिराग नहीं है जिससे इन मामलों का तुरंत हल हो सके। इस स्थिति में “फास्ट ट्रेक कोर्ट”, लोक अदालत और सांध्य अदालत सामान्य व्यक्ति को न्याय दिलाने उपयोगी हो सकते हैं।” गुजरात की यह नई पहल कितनी कारगर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमदाबाद की सांध्य अदालत में पहले ही दिन दो घंटे में 829 मुकदमों का निपटारा हो गया। राजकोट में भी पहले दिन 17 मामलों का निपटारा हुआ। किशोर मकवाणा14
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