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पं. नेहरू का जन्मदिन यूं मनाया कांग्रेस नेबाल दिवस या “बाल-उत्पीड़न दिवस”?-गोपाल सच्चरकांग्रेस के नेताओं के व्यक्तिगत प्रचार के लिए सरकारी तंत्र का बड़े स्तर पर दुरुपयोग यद्यपि एक कांग्रेसी परम्परा सी बन चुकी है, किन्तु 14 नवम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन मनाने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में काम कर रही जम्मू-कश्मीर की गठबंधन सरकार ने पुराने सभी चापलूसी के मापदण्डों को पीछे छोड़ दिया। इसका निशाना बने हजारों स्कूली बच्चे, जिन्हें न केवल भेड़-बकरियों की भांति बसों में भरकर लाया गया, अपितु सारा दिन उन्हें धूप में भूखा-प्यासा रखा गया। भूखे-प्यासे बच्चों से तपती धूप में पं. नेहरू की याद में नारे लगवाए गए।पं. जवाहरलाल नेहरू की जयंती धूमधाम से मनाने के लिए कई दिन पूर्व सत्ताधारी नेताओं तथा अन्य अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई और जम्मू संभाग के सभी सरकारी तथा गैर-सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों और अधिकारियों को मुख्य शिक्षा अधिकारी की ओर से एक आदेश भेजा गया। इसमें कहा गया कि वे अपने खर्चे पर सभी बच्चों तथा अध्यापकों को जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम लाएं। आदेश में यह भी कहा गया कि इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। इस आदेश के पश्चात् सभी सरकारी अधिकारियों के अतिरिक्त कांग्रेसी नेताओं ने भी सम्बंधित अधिकारियों के साथ मिलकर विद्यार्थियों को जम्मू लाने के लिए पूरा जोर लगा दिया।14 नवम्बर को विद्यार्थियों को एक बजे तक जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में पहुंचने के आदेश थे, किन्तु कई स्कूलों के बच्चे वहां प्रात: 9 बजे ही ले जाकर बिठा दिए गए। दूर-दूर के स्कूलों से विद्यार्थी बसों में भरकर 2 से 2.30 बजे तक लाए जाते रहे जबकि स्टेडियम के सभी प्रवेश द्वार जुटाई गई भारी भीड़ के कारण 1 बजे ही बंद कर दिए गए थे। इस कारण चारों ओर सड़कों पर भारी अफरा-तफरी मची। कितने ही मासूम छात्र-छात्राएं बदहवास से अपने साथियों की खोज में भटकते रहे। कई तो बुरी तरह रोते देखे गए। यातायात भी अस्त-व्यस्त रहा।इस समारोह को मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथा शिक्षा मंत्री पीरजादा मोहम्मद सईद ने सम्बोधित किया, जिसमें जमकर नेहरू तथा उनके परिवार का गुणगान किया गया। स्कूली बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक दिनभर दु:खी रहे, क्योंकि उन्हें सुबह ही बसों में भरकर जम्मू लाया गया था। दूर-दूर से आए ये बच्चे भूखे-प्यासे रात को देर से घर पहुंचे। इतना ही नहीं, मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों की कारों की काफिले बगल के ही फुटबाल स्टेडियम में खड़े किए गए थे। इसके कारण वह पूरा मैदान खराब हो गया। 25 नवम्बर से वहां एक राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल प्रतियोगिता होनी है। मगर मैदान के खराब हो जाने के बाद प्रतियोगिता के आयोजक बदहवास दिखाई दे रहे हैं कि आखिर खेल हो पाएगा या रद्द करना पड़ेगा। कई स्थानीय पत्रों ने सरकार तथा कांग्रेसी नेताओं के इस “तमाशे” की कड़ी आलोचना की और कहा कि ऐसा तो तानाशाहों के युग में भी नहीं होता था।हवाना में जनरल मुशर्रफ और प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के संयुक्त वक्तव्य पर वाजपेयी ने कहा- यह भारत के खिलाफ साजिश हवाना में पर्दे के पीछे क्या हुआ?भारत-पाकिस्तान संयुक्त वक्तव्यसाझा बयान में जरूरत से ज्यादा झुके प्रधानमंत्री जो पाया था, गंवा दिया -यशवन्त सिन्हा, पूर्व विदेशमंत्रीमनमोहन मुशर्रफ की ठगी का शिकार -अश्विनी मिन्ना, सम्पादक, पंजाब केसरीनीतियों में बदलाव का खामियाजा भुगतेगा भारत -जी. पार्थसारथी, पाकिस्तान में भारत पूर्व उच्चायुक्तडा. सुब्राह्मण्यम स्वामी की पुस्तक “हिन्दूज अंडर सीज-द वे आउट” का पूज्य सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन द्वारा लोकार्पण प्रहारों से घिरे हिन्दू – प्रतिनिधिगुजरात का धर्म स्वातंत्र्य विधेयक नरेन्द्र मोदी ने कहा- विधेयक छल-कपट के खिलाफ, संविधान के अनुरूप हैअमरीका में हिन्दुत्व-चेतना का विस्तार – प्रतिनिधिबिहार की कनबतियाविचार-गंगाऐसी भाषा-कैसी भाषा ग्रेटर नोएडा में होगा वल्र्ड क्लास ट्रांसपोर्ट सिस्टममंथन पोप का माफीनामा उन्माद जीता, तर्क हारा – देवेन्द्र स्वरूपचर्चा सत्र डेविड हार्ट आलोचनाओं से परे एक गणेश भक्त पादरीगवाक्ष गवाक्ष- शिव ओम अम्बरगहरे पानी पैठ पेप्सी और कोला के “वकील”श्रद्धाञ्जलिनई दिल्ली विश्व हिन्दू परिषद् की केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल बैठक मंदिर पर कोई समझौता नहीं – प्रतिनिधिशाह वली उल्ला कौन सूफी, कैसे संत? 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