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-सविता चड्ढा
कमजोर और निरीह
सिंह सी हुई खड़ी
अधिकारों के लिए भिड़ी,
मांग कर ही नहीं
शक्ति बन जो चली,
ये कलम की ताकत है
आपके समक्ष होकर
अपनी बात कहने का,
साहस और भरोसा,
सुनने और सुनाने का,
समझने समझाने का गुर
कलम से ही पाया है,
ये कलम की ताकत है।
करोड़ करोड़ जन तक
आवाज पहुंचाने का,
टूटनों से बचने का,
बुराइयों से लड़ने का,
धीरे-धीरे बढ़ने का,
तेज पग भरने का,
एक से एक हुनर,
कलम से ही पाया है,
ये कलम की ताकत है।
झूठ से बिगड़ने का,
सच हेतु मरने का,
मिलके साथ चलने का,
कीच से निकलने का,
मरीच से बिदकने का,
ऊंच और नीच सब कलम ने सिखाया है,
ये कलम की ताकत है।
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