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बंगलादेशजिहादी आतंक का माफियाबंगलादेशी प्रधानमंत्री बेगम खालिदाजिया- गरीबी और भुखमरी के साए मेंभारत से कृतघ्नताबंगलादेश के कट्टर इस्लामी तत्वों अनुयायियों द्वारा सरकार की शह पर अपने ही देश के अल्पसंख्यकों को देश से खदेड़ने या नेस्तानाबूद कर देने की कार्रवाहियों का यदि कोई जीता-जागता उदाहरण देखना हो तो बंगलादेश में देखा जा सकता है। कहने को तो बंगलादेश प्रजातांत्रिक और सेकुलर देश रहा है, पर असल में यह देश गैरमुस्लिम आबादी पर अमानवीय अत्याचारों की सभी सीमाएं पार कर चुका है। चौदह हजार भारतीय सैनिकों के बलिदान तथा लगभग तीस लाख लोगों के खून-खराबे के बाद 1971 में अस्तित्व में आया यह देश अब पूरी-तरह से कट्टर मजहबी चंगुल में फंस गया है।बंगलादेश के संविधान में 1988 में हुए आठवें संशोधन के अनुसार अब इस देश ने इस्लाम को अपना मजहब निर्धारित किया है और 2001 से कट्टरपंथियों के हाथों में शासन की बागडोर आते ही इस देश की गैर-इस्लामी प्रजा पर तो कहर टूट पड़ा है। अल्पसंख्यक हिन्दू, बौद्ध, ईसाई यहां तक कि अहमदिया मुसलमान इस कहर के निशाने पर हैं। इन कट्टरपंथियों ने तालिबानी-रुख अपना लिया है तथा सांस्कृतिक संस्थाओं, मंदिरों, चर्चों, सूफी श्रद्धा स्थानों, अहमदियाई मस्जिदों को नष्ट करने का कार्य पूरे जोर-शोर से प्रारंभ कर दिया है। हिन्दुओं पर तो सारा खौफ उतर आया है। जिन प्रदेशों में हिन्दुओं की जनसंख्या 30 वर्ष पूर्व 28 प्रतिशत थी, वहां अब 2001 में महज 8 प्रतिशत रह गई है। ईसाई, बौद्ध तथा अन्य गैर-इस्लामी पंथ तो एक प्रतिशत से कम रह गए हैं। हिन्दू महिलाओं पर सामूहिक बलात्कार, गांवों में जाकर हिन्दुओं के घरों को जला डालना, निहत्थी जनता को मौत के घाट उतारना, सीमा पार खदेड़ना आदि इनके तरीके हैं ताकि इन थोड़े से बचे लोगों में दहशत फैले। इस काम में इन वहशी उन्मादियों को सरकारी फौजों, पुलिस आदि की खुलेआम सहायता मिल रही है। समाचार-पत्रों में छप रही खबरों, समय-समय पर आईं अनेक अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं की रपटों और अमरीकी फौज द्वारा प्रकाशित तथ्यों को पढ़ा जाए तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इनमें कुछ तथ्य इस प्रकार हैं-25 फरवरी को बीबीसी के समाचारों में बताया गया कि मोहम्मद जकारिया नामक एक बंगलादेशी मदरसे के शिक्षार्थी ने शपथ ली है कि वह इस्लाम का प्रचार करना चाहता है, सारे हिन्दुओं को मुसलमान बनाना चाहता है।वाशिंगटन टाइम्स, अगस्त, 2003 के अनुसार “हॉटलाइन बंगलादेश” के संचालक रोनालीन कोस्टा ने संवाददाता जुलिया डुईन को बताया कि बंगलादेश के दक्षिणी छोर पर भोलाद्वीप की हिन्दू महिलाओं में से 98 प्रतिशत महिलाएं मुस्लिम उन्मादियों के बलात्कार की शिकार हुई हैं।दि डेली स्टार के नवम्बर, 2001 के अंक में छपा है कि मुस्लिम गुंडों ने एक ही रात में करीब 200 हिन्दू महिलाओं से सामूहिक बलात्कार किए हैं। बंगलादेश हिन्दू, बौद्ध व ईसाई एकता काउंसिल, अमरीका ने एक पत्रक में स्पष्ट बताया है कि अल्बानिया, बहरीन आइसलैण्ड, जोर्डन, लेबनान, लीबिया, नामीबिया, ओनाम, पनामा, कोस्टारिका, माल्टा, बंगलादेश और पाकिस्तान से करीब 20 लाख अल्पसंख्यकों का खात्मा हो चुका है।बंगलादेश के करीब 2 करोड़ अल्पसंख्यक दहशत में जी रहे हैं। उनके लिए अपने परिवारजनों पत्नी, बच्चों की सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है। किस वक्त उन्हें कट्टरपंथी उन्मादियों की बर्बरता का शिकार बनना पड़े, कहा नहीं जा सकता।बंगलादेश में 64 हजार से अधिक मदरसे हैं, जहां केवल कुछ को छोड़कर सभी में जिहाद और मतान्धता सिखाई जाती है। इनमें से 400 मदरसे तो सीधे ओसामा बिन लादेन की सहायता पर चल रहे हैं।मार्च, 2000 में अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्रपति बिल Ïक्लटन को राष्ट्रीय स्मारक जाने का दौरा रद्द करना पड़ा, महज इसलिए कि बंगलादेशी तालिबान कहीं उन्हें बंदूक का निशाना न बना दें।डेली स्टार ने 24 अगस्त, 2004 के अंक में एक समाचार प्रकाशित किया है, जिसके अनुसार 23 अगस्त, 2004 को सत्तारूढ़ बी.एन.पी. के सशस्त्र गुंडों ने अल्पसंख्यक हिन्दुओं के 22 मकानों को आग लगा दी, 20 गांववासियों को हताहत किया, उनकी सम्पत्ति और फसल लूट ली गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पीरगाछा जिले के एक गांव में 40 बी.एन.पी. के कार्यकर्ता भाले, तलवार लेकर गांव पर टूट पड़े तथा हिन्दुओं के घरों को आग लगा दी।बंगलादेश आब्जर्बर ने 20 नवम्बर, 2003 तथा दि इकानामिस्ट (एशिया) ने 30 नवम्बर, 2003 को प्रकाशित घटनाओं में बताया है कि इस्लामी जिहादियों ने हिन्दू परिवार के एक 4 दिन के बालक एवं 75 साल के बूढ़े व्यक्ति को जिंदा आग में झोंक दिया। पुलिस जानबूझकर वारदात के समय नहीं पहुंची।दि डेली स्टार ने 25 जनवरी, 2004 के अंक में समाचार छापा है कि इस्लामी आतंकवादियों ने चटगांव में हिन्दू मंदिरों और अनेक घरों को आग लगा दी और जब तक मकान व मंदिर पूरी तरह नष्ट नहीं हुए किसी को भी वहां सहायता के लिए जाने नहीं दिया।”जनाकंठा” ने 21 नवम्बर, 2003 को समाचार छापा कि मिर्जापुर उप जिला के तीन गावों के 12 मंदिरों को इस्लामी तत्वों ने आग लगा दी, देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़ा और भग्नावशेष नदी में फेंक दिए। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।30 अक्तूबर, 2003 को “हरकत-ए-इस्लाम-अल जिहाद” ने अल्पसंख्यकों के नाम एक नोटिस जारी कर उन्हें धमकाया कि यदि सात दिनों के अंदर वे मुसलमान नहीं बन जाते तो उन पर हमला किया जाएगा, उनके मकान जला दिए जाएंगे।न्यूयार्क टाइम्स ने 23 जनवरी, 2005 को “बंगलादेश में इस्लामी क्रांति” शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर वहां इस्लामी हरकतों का पर्दाफाश किया है।विश्व को चेतावनीइन घटनाओं का स्पष्ट संकेत है कि ये कट्टरपंथी इस्लामी जिहादी बंगलादेश को इस्लामिक राज्य बनाने की ठान चुके हैं जिसमें गैर-इस्लामियों को कोई स्थान नहीं रहेगा। अलकायदा के समर्थक बड़ी संख्या में देश में प्रवेश कर चुके हैं और अब बंगलादेश 1990 का अफगानिस्तान बन चुका है। लगभग दो करोड़ गैर-इस्लामी जनता इस देश से या तो नष्ट हो गई या पड़ोसी देशों में घुसपैठ कर चुकी है।(वि.स.के., नागपुर)NEWS
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