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कही-अनकही

by
Jun 3, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 03 Jun 2005 00:00:00

दीनानाथ मिश्रबस सेवा का देशहितजब से अपने विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह मुजफ्फराबाद और श्रीनगर बस चालू करने का तोहफा ले-दे के आए हैं, तब से मैं कन्फ्यूजिया गया हूं। इस बस यात्रा पर आने-जाने वालों को पासपोर्ट और वीसा की जरूरत नहीं पड़ेगी। सिर्फ प्रवेश-पत्र पर वह पूरे जम्मू-कश्मीर में यात्रा कर सकेंगे। नियंत्रण रेखा के इस पार भी और नियंत्रण रेखा के उस पार भी। और मजे की बात यह है कि यह सुविधा दोनों देशों के सभी नागरिकों को होगी। मतलब यह निकला कि रावलपिंडी एक्सप्रेस अगर हवाई जहाज से दिल्ली आएगा और दिल्ली से श्रीनगर जाएगा तो उसे पासपोर्ट वीसा लगेगा और यही आदमी अगर मुजफ्फराबाद के रास्ते श्रीनगर आएगा तो पासपोर्ट वीसा की जरूरत नहीं पड़ेगी।एक तरह से यह भारत और पाकिस्तान के बीच बिना पासपोर्ट वीसा के सफर करने की शुरुआत है। शुरू में यह जम्मू-कश्मीर में लागू है। लेकिन यह दोनों देशों के हर नागरिक पर लागू है। चाहे वह कोच्ची का हो या करांची का, चाहे वह लाहौर का हो या लखनऊ का। लेकिन इसके कुछ फायदे जरूर होंगे। जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों को मासिक वेतन भत्ता आता है। वह अब तक नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के मार्फत आता है। फिर आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के विभिन्न संगठन का कोई आदमी श्रीनगर से चलकर दिल्ली आता है। पाकिस्तान के दूतावास में जाता है। वहां उन्हें भुगतान मिलता है। कई बार इसकी जानकारी खुफिया तंत्र को मिल जाती है और वह बेचारा पकड़ा जाता है।अभी इसी सप्ताह हुर्रियत कांफ्रेंस का एक नेता शेख अब्दुल अजीज नाहक पकड़ा गया। उसके पास हजार-हजार के सौ नोट पकड़े गए। इसके अलावा 12 लाख रुपए की अरबी मुद्रा दिरहम बरामद हुई। दोनों नोट नकली थे। मगर बिल्कुल असली जैसे थे। फर्क यह था कि बजाय भारतीय नोट, भारतीय रिजर्व बैंक में छपे होने के वह पाकिस्तान में छपे हुए थे। जैसे-जैसे भारत से पाकिस्तान की मित्रता बढ़ती जा रही है वैसे पाकिस्तान की सरकार भारत के अपने काम में हाथ बंटाने लगी है। भारत के लिए भारतीय लगने वाले नोट, भारत के बाजारों में डाले जा रहे हैं। मगर बैंक और पुलिस वाले नकली नोट पकड़ लेते हैं। सब्जी वाला और साबुन वाला नहीं पकड़ पाता। श्रीनगर और मुजफ्फराबाद बस सेवा चालू होने से इन नोटों के आदान-प्रदान के लिए दिल्ली आने की जरूरत नहीं रहेगी। ये नोट प्रवेश-पत्र से सीधे श्रीनगर पहुंच सकेंगे और हुर्रियत के विभिन्न संगठनों के माध्यम से बंट जाया करेंगे। एक बार जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान में छपे नोटों का बोलबाला हुआ तो भारतीय रिजर्व बैंक के नोट अल्पसंख्यक हो जाएंगे। और धीरे-धीरे अवैध भी हो सकते हैं। श्रीनगर-मुजफ्फराबाद बस के लिए प्रवेश-पत्र कुछ ले-देकर बन जाएंगे। फिर आतंकवादियों की ललाट पर “मैं आतंकवादी हूं” लिखा नहीं रहता। आतंकवादी नाहक बाड़बंदी और भारतीय सेना की गोलीबारी का संकट क्यों उठाएंगे? सीधे बस लेंगे और चले आएंगे। भारत के जम्मू-कश्मीर में खुशहाली है और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में बदहाली है। सोचेंगे, क्यों न वे खुशहाल इलाके में आकर बस जाएं। एक साथ दो-दो उद्देश्य पूरे हो जाएंगे। बेहतर जीवन- यापन भी और मजहब की सेवा भी।अभी तक आई.एस.आई. के लोगों को बड़ी कठिनाई होती थी। अब सुविधा हो गई है। बस लें और जम्मू तक तो कायदे से आ ही सकते हैं। जम्मू से पंजाब जाने में कहां कोई रुकावट है। चाहें तो हिमाचल के रास्ते चले आएं और चाहें तो पठानकोट के रास्ते चले आएं। और फिर जहां-जहां जरूरत है, वहां-वहां फैल जाएं। कौन पूछता है, कितने ढूंढे जा सकते हैं। इस बस सेवा के लिए आई.एस.आई. को बधाई! आएंगे, देखेंगे तो यह समझ जाएंगे।सचमुच बड़ी सुविधा हो गई। कोयम्बतूर का कोई मुसलमान अगर हथियारों या तोड़फोड़ का उच्चस्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहता है जो श्रीनगर तक तो बेरोक-टोक आ सकता है। प्रवेश-पत्र भी प्राप्त कर सकता है। बस लेकर मुजफ्फराबाद भी जा सकता है। मुजफ्फराबाद से सड़क रावलपिंडी भी जाती है और लाहौर की तरफ भी। चाहे तो वह पेशावर में जाकर प्रशिक्षण ले सकता है। वापस वह उसी रास्ते से लौटकर श्रीनगर से कोयम्बतूर जा सकता है। कितनी सुविधा हो गई? पासपोर्ट, वीसा बाधा का अंत हो गया। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता श्याम शरण ने बार-बार दोहराया कि यह सुविधा भारत और पाकिस्तान के सभी नागरिकों के लिए है। बड़ी अच्छी बात है। कम से कम एक रास्ता तो खुला। बिना पासपोर्ट के पाकिस्तान की यात्रा का। पाकिस्तानी अधिकारी इस रास्ते का इस्तेमाल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से पाकिस्तान के किसी भी शहर में जाने की अनुमति चाहें तो किसी को दें या न दें। अनुकूल हो तो दें, प्रतिकूल हो तो न दें।NEWS

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