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नायर और इड्ज्वा समुदायों ने कीहिन्दू ऐक्य की अनूठी पहलतिरुअनंतपुरम से प्रदीप कुमारश्री वेल्लापल्ली नतेशन के साथ श्री नारायण पणिक्कर (दाएं)कई सामाजिक बदलावों का साक्षी रहा केरल एक बार फिर एक अनूठे हिन्दू सामाजिक आंदोलन की राह पर है। केरल के अति प्रतिष्ठित समाज-सुधारक श्री नारायणगुरु, चट्टमबिस्वामिंगल तथा अन्य कई हिन्दू समाज सुधारकों ने आधुनिक केरल की नींव रखी थी। वर्तमान में राज्य के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में हो रही उथल-पुथल को महसूस करने के बाद नायर और इड्ज्वा इन दो समुदायों ने राज्य के हिन्दुओं का आह्वान किया है कि अपने हितों की रक्षा के लिए एकजुट हों। पिछले कुछ महीनों से नायर सर्विस सोसायटी (एन.एस.एस.) और श्री नारायण धर्म परिपालन योगम् (एस.एन.डी.पी.) ने केरल में हिन्दू समाज में एकजुटता की दिशा में कई अभियान शुरू किए हैं। राज्य में हिन्दू ऐक्य के नवजागरण का संकेत देते हुए एन.एस.एस.के महासचिव पी.के. नारायण पणिक्कर और एस.एन.डी.पी. के महासचिव वेल्लापल्ली नतेशन ने एक संयुक्त बयान जारी कर दोनों समुदायों का आह्वान किया है कि वे आपस के छुटपुट मतभेदों को भुलाकर समाज हित को ध्यान में रखते हुए हिन्दू ऐक्य के लिए प्रयास करें।एन.एस.एस. और एस.एन.डी.पी. ने महसूस किया है कि केरल में लगातार सत्ता में रहीं ईसाई और मुस्लिमों के वर्चस्व वाली सरकारों ने हिन्दू समाज के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। वर्तमान संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे सरकार तथा वाम लोकतांत्रिक मोर्चे सरकार ने ईसाइयों और मुस्लिमों के दबाव में हिन्दुओं के हितों को पूरी तरह नजरअंदाज किया है।उल्लेखनीय है कि केरल की राजनीति में एक समय ऐसा भी आया था जब पूर्व मुख्यमंत्री ए.के.एंटोनी को कहना पड़ा था कि सभी सरकारी सुविधाएं अल्पसंख्यक समुदाय संगठित रूप से हड़प रहा है। यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि ए.के. एंटोनी पर ईसाई और मुस्लिम समुदायों ने हिन्दू एकजुटता का समर्थक होने का आरोप लगाया था।राज्य की रोजगार नीति में बदलाव के लिए गठित आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्रन ने खुद कहा था कि उन्होंने मुस्लिमों की विशेष भर्ती की सिफारिश नहीं की थी, बल्कि मुस्लिम लीग ने इसकी जोरदार मांग की थी। अजीब बात तो यह है कि संविधान ने जहां केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए विशेष आरक्षण की व्यवस्था की है, वहीं केरल में मुस्लिम लीग ने जनसंख्या के आधार पर राज्य सेवाओं में प्रतिनिधित्व की मांग की है।केरल में कुल शैक्षिक संस्थाओं में से केवल 39 प्रतिशत संस्थाएं ही सरकारी क्षेत्र के अधीन हैं। बाकी 61 प्रतिशत यानी आधी से अधिक संस्थाएं अल्पसंख्यकों की हैं, जिनमें से केवल 5 प्रतिशत संस्थाएं ही एन.एस.एस. और एन.एस.डी.पी. की हैं। इसी तरह राज्य की शैक्षणिक संस्थाओं में 65 प्रतिशत शिक्षक अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। एन.एस.एस. के महासचिव पी.के. नारायण पणिक्कर ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि अल्पसंख्यक समुदाय को मिलने वाली विदेशी आर्थिक मदद की छानबीन की जाए। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को सुरक्षा देने के प्रावधान का उसके द्वारा गैरकानूनी ढंग से संपत्ति का संग्रह करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया, “यही गैरकानूनी संपत्ति राज्य की आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा बन गई है। अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा संवैधानिक प्रावधानों का गलत उपयोग किए जाने पर बहुसंख्यक समुदाय केवल मूकदर्शक नहीं बनेगा।” दूसरी तरफ एस.एन.डी.पी. योगम् के महासचिव वेल्लापल्ली नतेशन ने कहा है कि देश के अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक समुदाय को लील लेना चाहते हैं। हालत यह है कि अब राज्य में बहुसंख्यक समुदाय के सामने इससे बचने के केवल दो मार्ग बचे हैं- या तो वे अपना मतान्तरण कर लें या फिर आत्महत्या।नायर-इड्ज्वा ऐक्य की पहल पर टीका-टिप्पणी करने वालों पर रोष जताते हुए उन्होंने कहा कि अब उन पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। वोट बैंक की राजनीति कर इन समुदायों के सामने कठिन स्थितियां पैदा करने के लिए उन्होंने नेताओं को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि संगठित अल्पसंख्यक समुदाय राजनीतिक पक्षों को अपनी बात मानने पर मजबूर कर रहे हैं।उन्होंने कहा, “यहां बहुसंख्यक समुदाय और उसकी भावनाओं को अल्पसंख्यक समुदाय स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है।” एकता का आह्वान करने वाली दोनों संस्थाओं ने एक-दूसरे को अपने कार्यक्रमों में भाग लेने का न्यौता दिया था। पेरुन्ना में जनवरी में आयोजित 128वें मन्नम (एन.एस.एस. के संस्थापक) की जयन्ती समारोह में एस.एन.डी.पी. योगम् के श्री वेल्लापल्ली नतेशन को प्रमुख वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। लंबे समय बाद श्री नतेशन एस.एन.डी.पी. योगम् के ऐसे पहले महासचिव हैं जिन्होंने एन.एस.एस.के. मुख्यालय में भाषण दिया था। इसी तरह 29 जनवरी को एन.एस.एस.के महासचिव ने मंदिरों के ऐतिहासिक शहर वाइकोम में एस.एन.डी.पी.की बैठक का उद्घाटन किया। सूत्रों ने बताया, यह बैठक लोगों में एकता का संदेश पहुंचाने के लिए उठाया गया पहला कदम था। राज्यभर में कई स्थानों पर ऐसी बैठकें होंगी। एन.एस.एस.की स्थानीय केन्द्र इकाइयों की बैठकों को भी एस.एन.डी.पी. के नेता संबोधित करेंगे।एन.एस.एस. और एस.एन.डी.पी. के नेता जिला स्तर की संयुक्त बैठकों और जनसभाओं का आयोजन भी करेंगे। रा.स्व.संघ तथा भाजपा ने एस.एन.डी.पी. और एन.एस.एस.के सभी क्षेत्रों में साथ काम करने के निर्णय का स्वागत किया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री पी.एस.श्रीधरन पिल्लै ने कहा है कि दोनों संस्थाओं की पहल से हिन्दू ऐक्य की ओर कदम बढ़े हैं। एन.एस.एस.और एस.एन.डी.पी. के हिन्दू ऐक्य के लिए साथ काम करने के ऐतिहासिक निर्णय पर राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही हैं। केरल लैटिन कैथोलिक एसोसिएशन ने एन.एस.एस. और एस.एन.डी.पी. की एकता के विरोध की अगुवाई की। उसके बाद चर्च के अलग-अलग गुटों ने भी विरोधी तेवर अपनाए। केरल कैथोलिक बिशप कांफ्रेंस के परोक्ष प्रहार की तुलना में तीन मुस्लिम गुटों के आधिकारिक मुखपत्रों ने एन.एस.एस,. एस.एन.डी.पी. के इस अभियान की तीखी आलोचना की है।जमायते-इस्लामी के मुखपत्र “मध्यमम” के संपादकीय में प्रश्न उठाया गया है, “एंटोनी-पणिक्कर-नतेशन की तिकड़ी राज्य को कहां ले जा रही है?” एन.एस.एस. और एस.एन.डी.पी. के साथ मिलकर चलने के आह्वान पर उसमें कहा गया है कि यह केरल में नए सांप्रदायिक गठंबधन के उदय जैसा है, जो केरल के सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव डालेगा। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के मुखपत्र “चंद्रिका” में कहा गया है, “एन.एस.एस.- एस.एन.डी.पी. उसी राह पर बढ़ रहे हैं जिस पर चलकर रा.स्व.संघ, विश्व हिन्दू परिषद् और भाजपा हार चुके हैं।” माकपा को भी इस मेल से अपनी स्थिति डांवाडोल नजर आने लगी है। माकपा के राज्य सचिव पिनराई विजयन ने कहा, “प्रस्तावित एन.एस.एस.-एस.एन.डी.पी. एकजुटता से राज्य की पंथनिरपेक्ष ताकतों को किसी तरह बल नहीं मिलेगा। केवल संघ परिवार ही फायदे में रहेगा।”धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से जागरूक केरल के गांवों से प्राप्त जानकारी को यदि सही माना जाए तो इस सुखद अभियान का सबने एक स्वर से स्वागत किया है। केरल के नायर-इड्ज्वा समुदायों के लोगों का कहना है, बहुसंख्यक हिन्दुओं के बलबूते अल्पसंख्यक समुदाय फल-फूल रहे हैं। केरल का पूरा हिन्दू समाज एकजुट होकर अपने हितों की रक्षा करेगा।NEWS
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