लक्ष्मी पूजक देश गरीब क्यों?
May 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

लक्ष्मी पूजक देश गरीब क्यों?

by
Jun 11, 2005, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Jun 2005 00:00:00

डा. भरत झुनझुनवालाहिन्दू संस्कृति में देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दुर्गा, लक्ष्मी एवं सरस्वती-तीनों देवियां आद्यशक्ति देवी अथवा परब्राह्म का ही रूप हैं। हिन्दू संस्कृति में इन तीनों देवियों से याचना की जाती है कि हमें शक्ति दें ताकि हम अपनी इच्छाओं को पूर्ण कर सकें और आद्यशक्ति देवी से एकरूप हो जाएं अथवा मोक्ष प्राप्त कर लें। लेकिन समस्या तब उत्पन्न होती है जब कोई अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए दूसरों का नुकसान करे। जैसे काली माता या लक्ष्मी की पूजा करके डाकू किसी गांव को लूटने के लिए निकलें। हिन्दू संस्कृति में इस प्रकार के कार्य के लिए पूजन निषेध माना गया है, क्योंकि जिन्हें लूटा जाता है वे भी परब्राह्म के ही रूप हैं। दूसरों को लूटने में डाकू उन्हें यानी परब्राह्म यानी अपने साध्य को ही संताप पहुंचाता है। इसलिए ऐसे कार्यों के लिए ही देवियों की पूजा करनी चाहिए जो दूसरों के लिए भी हितकर हों, यही “धर्म” है।अब प्रश्न उठता है कि धर्म की व्याख्या कौन करेगा? यदि देश का राजा डाकुओं की मदद से विदेशी आक्रमणकारी का सामना करे तो डाकू की लक्ष्मी पूजा सफल है। यदि डाकू किसी आतताई जमींदार को लूटकर गरीबों की जमीन के पट्टे छुड़वाए तो ऐसी लूट “धार्मिक” होती है। परन्तु डाकू यदि गरीब जनता को लूटकर जमींदार का साथ दे तो वह अधर्म है। पर समस्या यह है कि धर्म और अधर्म का निर्णय कौन करे? यह तय कौन करे कि डाकू आतताई जमींदार को लूटकर निरीह जनता को राहत पहुंचा रहा है अथवा जमींदार की शह पर निरीह जनता को लूट रहा है?इस निर्णय को देने के लिए समाज ने विचारकों का एक वर्ग बनाया। गांधीजी ने इन विचारकों को रचनात्मक कार्यकर्ता की संज्ञा दी। मनुस्मृति में इन्हें “ब्राह्मण” कहा गया। यहां ब्राह्मण को जन्म से नहीं बल्कि गुण से समझना चाहिए। मनुस्मृति में लिखा है कि अच्छा ब्राह्मण वह है जिसके पास तीन माह का अन्न हो, उससे श्रेष्ठ वह है जिसके पास तीन दिन का अन्न हो, और सर्वश्रेष्ठ वह है जिसे अगला भोजन कहां से आएगा पता न हो। इस प्रकार की स्वैच्छिक गरीबी ही विचारक अथवा रचनात्मक कार्यकर्ता की एक परिभाषा है। भगवान राम के साथ वशिष्ठ और शिवाजी के साथ समर्थ रामदास ने इसी प्रकार के विचारक की भूमिका निभाई थी।हिन्दू समाज तब तक सही दिशा में चला जब तक विचारक अपने कर्तव्य का निर्वाह करते रहे। विचारक समाज को तथा सरकार को बताते रहे कि किस प्रकार की नीतियां लागू की जाएं। विचारकों ने स्वैच्छिक गरीबी अपना रखी थी और बड़े आश्रम आदि नहीं बना रखे थे, इसलिए वे सही मायने में स्वतंत्र थे, बिना किसी दबाव के राजा को सलाह देते थे। यदि राजा आतताई हो जाता था तो वे समाज को विद्रोह के लिए प्रेरित करते थे। विचारक आम जनता से जुड़ा हुआ था। वह पेड़ के नीचे सोता था और गरीब के घर भी खाना खाता था। उसे समाज की सही स्थिति का ज्ञान था। इससे वह सरकार को सही सलाह दे सकता था।विचारक के जीवन का दूसरा पक्ष ब्राह्म ज्ञान का था। वह भगवान महावीर की तरह समाज में विचरते हुए पूरी सृष्टि से जुड़ा रहता था-पत्थर, पेड़-पौधों, पशुओं और मनुष्यों -सभी में वह ब्राह्म की सत्ता देखता था। उसकी व्यक्तिगत तपस्या और समाज का हित, एक-दूसरे से पूरी तरह जुड़े हुए थे। विचारक जब अपने मन में बैठे परमात्मा का साक्षात्कार करता था तो वह गरीब का भी साक्षात्कार होता था। ब्राह्म सर्वव्यापी है और गरीब के दु:ख से परिचित है। यानी विचारक का अंतर्मुखी चिंतन और समाज हित भी एकरूप थे।हिन्दू समाज में गरीब को तब तक आराम मिला जब तक समाज में वशिष्ठ एवं समर्थ रामदास जैसे विचारक सरकार को सही दिशा देते रहे। परन्तु काल क्रम में विचारक पतित हो गए। भोगवाद में लीन हो गए। स्वैच्छिक गरीबी अपनाने एवं ब्राह्म के माध्यम से गरीब से जुड़ने के स्थान पर वे राजाओं द्वारा डाले गए रोटी के टुकड़ों पर पलने लगे। फलस्वरूप राजा निरंकुश हो गए। राजा एवं उच्च वर्ग के लोगों ने संसाधनों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर लिया और गरीब को उसके हिस्से से वंचित कर दिया। जिस प्रकार रावण ने भगवान शिव की पूजा करते हुए संसार को त्रास दिया, उसी प्रकार भारत के राजाओं ने पतित ब्राह्मणों द्वारा बताए भ्रष्ट हिन्दू धर्म का पालन करते हुए आम आदमी को त्रास दिया।भारत की गरीबी का कारण संसाधनों का अभाव नहीं बल्कि संसाधनों का उच्च वर्ग द्वारा दुरुपयोग है। इतिहासकार एनास मैडीसन के अनुसार सन 1700 के लगभग भारत, चीन तथा यूरोप का विश्व आय में हिस्सा लगभग 23-23 फीसदी अर्थात् बराबर-बराबर था। वर्तमान में हमारा हिस्सा लगभग दो फीसदी है। यानी सन् 1700 के लगभग हम बहुत समृद्ध थे। फिर भी देशवासियों ने विदेशी आक्रमणकारियों का साथ दिया था, चूंकि भारतीय राजा समृद्धि के साथ-साथ आतताई हो गए थे। डूंगरपुर की जनजातियों में एक कहानी प्रचलित है- कोई वनवासी घी का घड़ा लेकर बेटी के घर जा रहा था। रास्ते में पानी बरसने लगा। उसने जंगल में से एक पत्ता तोड़कर घड़े के ऊपर रख दिया। चौकीदार ने उसका यह कृत्य देख लिया और राजा के पास लेकर गया कि इस व्यक्ति ने राजा के जंगल से एक पत्ता तोड़ लिया है। राजा ने दण्डस्वरूप उसके हाथ कटवा दिए। इस प्रकार के अत्याचार से पीड़ित होकर वनवासी “इंगलिश प्रेसीडेंसी” क्षेत्रों में भाग कर अपनी जान बचाते थे। भारतीय राजाओं के इस प्रकार के अत्याचार का कारण विचारक के नियंत्रण का अभाव था।प्रश्न यह है कि हमारे विचारक अपने इस दायित्व का निर्वाह क्यों नहीं कर सके? ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे धर्म गुरुओं ने अध्यात्म की व्याख्या करने में गलती कर दी। हमारे धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि विचारक को एकान्त में रहकर चिंतन-मनन करना चाहिए। ऐसा कहने का उद्देश्य यह नहीं था कि विचारक समाज से अलग हो जाए और राजा को उच्छृंखल होने दे। एकान्त का मंत्र इसलिए दिया गया था कि विचारक अपने मन में बैठे ब्राह्म से एकात्म स्थापित करे और ब्राह्म में समाहित समाज और गरीब से आत्मसात करे। अध्यात्म का उद्देश्य अवचेतन स्तर पर पूरे समाज से जुड़ाव था ताकि समाज को नकारना ईसावास्य् उपनिषद में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है – “जो केवल अविद्या में रत रहते हैं, वे गहरे अंधकार में पड़ते हैं तथा जो केवल विद्या में रत रहते हैं वे उससे भी गहरे अंधकार में पड़ते हैं।” विद्या से गहरा अंधकार क्यों? क्योंकि अपने अंत:करण से आत्मसात करना शेष संसार से आत्मसात करने का रास्ता होता है। यदि शेष संसार को नकार दिया तो हमने ब्राह्म को खंडित कर दिया।सच यह है कि अंतर्मन यानी ब्राह्म के बताए रास्ते को अपनाते हुए बाहरी संसार में क्रियाशील रहना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति अपने मन में बैठे ब्राह्म से भी आत्मसात करता है और बाहरी समाज से भी। हमारे विचारकों ने बाहरी संसार को नकार दिया और केवल अंतर्मन में बैठे ब्राह्म में रम गए। नतीजा यह हुआ कि देश के राजा रावण सरीखे उच्छृंखल हो गए और आम जनता पर अत्याचार करने लगे। एक तरफ वे देवी लक्ष्मी की पूजा करके धनवान हो रहे हैं और दूसरी तरफ देश के नागरिक बेहाल हो रहे हैं।इस समस्या का उपचार अध्यात्म को बहिर्मुखी बनाना है। ब्राह्म जब सर्वव्यापी है तो दूसरों के दु:ख दर्द को अपना दु:ख दर्द मानना होगा। देश के विचारकों को विद्या तथा अविद्या में संतुलन बनाना होगा और गरीब को सुख देने के लिए सरकार पर अंकुश स्थापित करना होगा।NEWS

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Indian army press breafing

भारतीय सेना ने पाकिस्तान को दिखाया आईना, कहा- हम अगले मिशन के लिए हैं तैयार

प्रतीकात्मक तस्वीर

पकिस्तान का भारतीय एयरफील्ड तबाह करने का दावा भी निकला फर्जी, वीडियो का 5 सेकंड का एडिट हिस्सा सबूत के तौर पर दिखाया

‘ऑपरेशन सिंदूर’ : शब्दयुद्ध में जरा संभलकर!

आज रात 8 बजे देश को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रतीकात्मक तस्वीर

पंजाब पुलिस ने ‘डांस ऑफ द हिलेरी’ मेलवेयर से लोगों को चेताया, DGP बोले पाकिस्तानी हैकर्स कर रहे साइबर अटैक का प्रयास

एयर मार्शल ए.के. भारती

“भय बिनु होय न प्रीति…समझदार के लिए इशारा ही काफी”, एयर मार्शल ए.के. भारती ने जब सुनाई राम चरित मानस की चौपाई

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Indian army press breafing

भारतीय सेना ने पाकिस्तान को दिखाया आईना, कहा- हम अगले मिशन के लिए हैं तैयार

प्रतीकात्मक तस्वीर

पकिस्तान का भारतीय एयरफील्ड तबाह करने का दावा भी निकला फर्जी, वीडियो का 5 सेकंड का एडिट हिस्सा सबूत के तौर पर दिखाया

‘ऑपरेशन सिंदूर’ : शब्दयुद्ध में जरा संभलकर!

आज रात 8 बजे देश को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रतीकात्मक तस्वीर

पंजाब पुलिस ने ‘डांस ऑफ द हिलेरी’ मेलवेयर से लोगों को चेताया, DGP बोले पाकिस्तानी हैकर्स कर रहे साइबर अटैक का प्रयास

एयर मार्शल ए.के. भारती

“भय बिनु होय न प्रीति…समझदार के लिए इशारा ही काफी”, एयर मार्शल ए.के. भारती ने जब सुनाई राम चरित मानस की चौपाई

Navneet Rana threaten by Pakistan

‘न सिंदूर रहेगा, न ही सिंदूर लगाने वाली’, BJP नेता नवनीत राणा को पाकिस्तान से मिली हत्या की धमकी

Indian army press breafing

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर तीनों सेनाओं की प्रेस ब्रीफिंग, DGMO राजीव घई बोले-पहलगाम तक पाप का घड़ा भर चुका था

पाकिस्तानी सेना का बड़बोला और झूठ फैलाने में माहिर प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी

उजागर हुए जिन्ना के देश की फौज के जिहादियों के साथ रिश्ते, बड़बोले प्रवक्ता चौधरी का अब्बू था अल कायदा का करीबी

भगवान गौतम बुद्ध: सिद्धांत, सनातन धर्म और इस्लामी आक्रमण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies