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सेतु बनूंगा मैं-यदुनाथ पाण्डे, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, झारखण्ड-यदुनाथ पाण्डे,प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, झारखण्डझारखण्ड भाजपा के नए अध्यक्ष डा. यदुनाथ पाण्डे ने अपनी नियुक्ति और उस पर हुए विवाद के सम्बंध में पाञ्चजन्य से जो कहा, उसके सम्पादित अंश यहां प्रस्तुत हैं -आपकी नियुक्ति और विवाद साथ-साथ आए, क्यों? कहा जा रहा है कि आप झारखण्ड के लिए सुपरिचित भी नहीं हैं।हो सकता है कि दिल्ली की मीडिया मेरे से परिचित न हो, पर मैं आपातकाल में संघ के निर्देश पर सक्रिय हुआ, पढ़ाई छोड़ी। संघ के निर्देश पर ही 1979 में छात्र राजनीति से जुड़ा, रांची विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव लड़ा व जीता। उसके बाद विश्व हिन्दू परिषद् में कार्य किया। 1984 में जब श्री रामजन्मभूमि का आंदोलन प्रारंभ हुआ तो मुझे पूरे बिहार में बजरंग दल का दायित्व सौंपा गया। मैंने बिहार में बजरंग दल की इकाइयों का गठन किया। झारखण्ड में हनुमान जयंती पर झण्डा निकालने को लेकर आंदोलन किया। 1986 में जब पोप जान पाल द्वितीय को रांची में पांथिकसभा आयोजित करने और एक राष्ट्राध्यक्ष के रूप में सम्मान देने का भारत सरकार ने निर्णय लिया, तब हमने इसका भारी विरोध किया। हमारा कहना था कि एक राष्ट्राध्यक्ष को राजकीय सम्मान तो मिले, पर किसी तरह की सभा करने की इजाजत न दी जाए। इस विरोध को देखते हुए पोप को रांची हवाई अड्डे से ही वापस लौटना पड़ा। हजारीबाग में 1988 में हुए आंदोलन के समय मुझे 11 महीने तक जेल में रहना पड़ा। वहां से निकलने के बाद संघ के निर्देश पर ही मैं राजनीतिक क्षेत्र में गया, 1989 में लोकसभा का सदस्य चुना गया और तबसे लगातार राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हूं, इस क्षेत्र में नया नहीं हूं। 1990 में अविभाजित बिहार के समय वनाञ्चल भाजपा का दो बार उपाध्यक्ष रहा और अब भी अध्यक्ष बनने से पूर्व तक प्रदेश उपाध्यक्ष था।फिर आपकी नियुक्ति को लेकर इतना विवाद क्यों हुआ कि राज्य के वरिष्ठ नेता श्री मरांडी ने कहा कि वे किसी भी हद तक जा सकते हैं?वे हमारे राष्ट्रीय नेता हैं। उनके बारे में कोई भी टिप्पणी करना मैं मर्यादा के अनुकूल नहीं समझता। अपनी नियुक्ति की घोषणा हो जाने के बाद मैं उनसे मिलने गया था तब उन्होंने सहयोग करने का आश्वासन देते हुए कहा था कि आप काम शुरू कीजिए, मैं आपके साथ हूं।आरोप है कि श्री राजनाथ सिंह व श्री हृदयनाथ सिंह से निकटता के कारण आपको यह पद प्राप्त हुआ?पिछले 30 वर्षों के सार्वजनिक जीवन में पहले संघ ने और अब भाजपा ने मुझे जो भी निर्देश दिया, मैंने उसका निष्ठापूर्वक पालन किया। मैंने अपनी कोई भी बात मीडिया के माध्यम से नहीं कही। यदि इस तरह की बात किसी ने कही भी हो तो उसकी चिन्ता करना मेरा काम नहीं है। भाजपा एक परिवार की तरह है और उसमें सबका सबसे परस्पर स्नेह है।अध्यक्ष बनने के बाद आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?हमारे यहां सामूहिक निर्णय की परम्परा है, मैं उसी का पालन करूंगा। राज्य के सभी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर विचार-विमर्श के बाद ही आगामी कार्यक्रम तय होंगे। मैं सरकार व संगठन के बीच एक सेतु के रूप में काम करूंगा।NEWS
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